‘युद्ध सेवा पदक (वाई.एस.एम.)’ प्राप्त करनेवाले पुणे के ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त) भारतीय सेना में ‘७ मराठा लाइट इन्फैंट्री’ में कार्यरत थे । उन्होंने भारत-चीन सीमा, भारत-पाकिस्तान सीमा तथा पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद एवं आतंकवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय सहभागी होकर उनका उन्मूलन करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । इस लेख के माध्यम से उनके कार्य की उपलब्धियां, उन्हें प्राप्त पदक तथा उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों का परिचय कराएंगे ।

१. सैन्य सेवा एवं शैक्षिक उपलब्धियां
अ. ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त) ने रक्षा अध्ययन में ‘मास्टर ऑफ साइंस’ (एम.एस.सी. – स्नातकोत्तर उपाधि) एवं ‘मास्टर ऑफ फिलॉसॉफी’ (एम.फिल.) की उपाधि प्राप्त की है । उन्होंने जुलाई १९७३ में देहरादून स्थित ‘इंडियन मिलिटरी अकादमी’ (आई.एम.ए.) में अपने सैन्य करियर का प्रारंभ किया तथा १५ जून १९७५ को ‘७वीं मराठा लाइट इन्फैंट्री’ में अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए ।

आ. उनकी जम्मू-कश्मीर, पंजाब, भारत-चीन सीमा, भारत-पाकिस्तान सीमा एवं पूर्वोत्तर सहित भारत के कुछ सर्वाधिक अशांत क्षेत्रों में उग्रवाद तथा आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में सक्रिय सहभागिता थी । भारत-चीन सीमा पर ‘पैट्रोलिंक’ (टोही दल) भी किया है । वर्ष १९७५ से उन्होंने भारतीय सेना द्वारा चलाए गए सभी प्रमुख अभियानों में भाग लिया ।
२. आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में प्रमुख उपलब्धि
अ. उन्होंने आतंकवाद के शिखर पर स्थित पुंछ तथा राजौरी के चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में ‘ऑपरेशन रक्षक’ के रूप में चलाए गए अभियान में अपनी बटालियन, अर्थात ‘७ मराठा लाइट इन्फैंट्री’ का नेतृत्व किया । पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में होनेवाली आतंकवादियों की घुसपैठ को रोकने में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण था । उनके नेतृत्व में उनकी यूनिट को ‘यूनिट प्रशस्ति पत्र’ तथा १८ ‘शौर्य पुरस्कार’ मिले । उसमें ब्रिगेडियर महाजन को प्राप्त ‘युद्ध सेवा पदक’ (वाई.एस.एम.) का समावेश है ।
विशेष स्तंभ
![]() छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य के लिए मावळे (शिवाजी के सैनिक) और शूरवीर योद्धाओं का त्याग सर्वोच्च है, उसी प्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक धर्म-राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘शूरवीर योद्धा’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनसे तथा उनके हिन्दू धर्मरक्षा के कार्य से परिचय करवाने के लिए ‘हिन्दुत्व के वीर योद्धा’ इस स्तंभ से अन्यों को भी प्रेरणा |
आ. भारतीय सेना के सबसे बडे सैन्य अभ्यास ‘ऑपरेशन पराक्रम’ की अवधि में, जिससे लगभग पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ, ब्रिगेडियर महाजन ने सेना की गतिविधियों तथा प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । उनके योगदान को ‘आर्मी कमांडर’ के ‘प्रशंसा पुरस्कार’ से मान्यता दी गई ।
इ. बाद में ‘ऑपरेशन रक्षक’ में ब्रिगेड कमांडर के रूप में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पुंछ, कृष्णा घाटी, सुरणकोट तथा राजौरी के आतंकवाद प्रभावित भागों में अभियानों का नेतृत्व किया । उनके कमांड में सीमा सुरक्षा बल (‘बी.एस.एफ.’ की) की २ बटालियन थीं । एक यूनिट को यूनिट प्रशस्ति पत्र मिला । वर्ष २००६ में ‘बी.एस.एफ.’ की एक बटालियन को देश की ‘सर्वोत्तम बटालियन’ के रूप में मान्यता मिली । उस वर्ष का सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ उनके कमांड के अधीन अधिकारी को दिया गया ।
३. प्राप्त अनेक शौर्य पुरस्कार
अ. ‘जीओसी-इन-सी सेंट्रल कमांड प्रशंसापत्र’
आ. युद्ध सेवा पदक (वाई.एस.एम.)
इ. उनके कमांड की अवधि में ‘७ मराठा लाइट इन्फैंट्री’ को ‘लष्कर प्रमुख यूनिट प्रशस्ति पत्र (Chief of Army Staff Unit Citation)’
ई. उनके कमांड की अवधि में ‘जीओसी-इन-सी नॉर्थन कमांड यूनिट प्रशंसापत्र’
उ. ब्रिगेड कमांडर के रूप में एक यूनिट को ‘सी.ओ.ए.एस.’ यूनिट प्रशस्ति पत्र
४. ‘आर्मी वॉर कॉलेज’ में प्राध्यापक की भूमिका
फरवरी २००६ में ब्रिगेडियर महाजन ने ‘आर्मी वॉर कॉलेज’ के ‘हायर कमांड विंग’ की विद्या शाखा में ३ वर्ष उत्कृष्ट कार्य किया । ‘डायरेक्टिंग स्टाफ’ (कर्मचारियों को मार्गदर्शन) के रूप में उन्होंने तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन किया । उन्होंने तज्ञ प्रबंधन, आण्विक जैविक-रासायनिक युद्ध, कश्मीर तथा पूर्वोत्तर में उग्रवाद, साम्यवादी विचारधारा का अतिरेक, आतंकवाद, सागरी घुसपैठ, इन पर मार्गदर्शन किया ।
नागरिकों से आह्वान![]() छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, बाजीराव पेशवा, ये सभी योद्धा महान थे ही; पर जब तक सर्वसामान्य मनुष्य देश के लिए कुछ नहीं करता, तब तक देश महान नहीं होगा । – ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (सेवानिवृत्त) |
५. निवृत्ति के उपरांत योगदान
५ अ. शैक्षिक तथा सलाहकार की भूमिका
५ अ १. ब्रिगेडियर महाजन मुंबई के ‘राष्ट्रीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक’ के ‘स्ट्रैटेजिक स्टडी सेंटर’ (रणनीतिक अभ्यास केंद्र) के प्रमुख हैं ।
५ अ २. उन्होंने वर्ष २०१८ से २०२१ तक पुणे विश्वविद्यालय में ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय सुरक्षा अध्यासन’ के अध्यक्ष एवं प्राध्यापक के रूप में कार्य किया ।
५ अ ३. वे वर्ष २०१७ से २०१९ तक दमन एवं दीव सरकार के ‘सुरक्षा सलाहकार’ थे ।
५ आ. लेखन तथा सामाजिक माध्यम सहभाग
५ आ १. वे निवृत्ति के उपरांत भी लेखन के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा व्याख्यानों में योगदान दे रहे हैं । उन्होंने ५ सहस्र से अधिक लेख लिखे हैं,
वे ‘सकाळ’, ‘लोकसत्ता’, ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ तथा ‘सनातन प्रभात’ जैसे अग्रणी मराठी समाचार-पत्रों में, तथा ‘केस जर्नल’, ‘न्यूज भारती ऑर्गेनाइजर’, इन अंग्रेजी प्रकाशनों में प्रकाशित होते हैं । वे राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में भी योगदान देते हैं ।
५ आ २. वे ‘आईबीएन लोकमत’, ‘जी २४ तास’, ‘एबीपी माझा’, ‘टाइम्स नाऊ’ तथा ‘मिरर नाऊ’ जैसे मराठी, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषिक समाचार चैनलों पर वाद-विवाद अथवा चर्चा सत्रों में भी सहभागी होते हैं ।
५ आ ३. वे स्वयं ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचते हैं ।
अ. फेसबुक पर लोकप्रिय ‘ई-लेक्चर’ शृंखला सम्मिलित है, जिसे ५० लाख से अधिक ‘व्यूज’ मिले हैं ।
आ. उनका यू ट्यूब चैनल https://m.youtube.com/@hemantmahajan12153/videos%E2%80%99 इस लिंक पर है तथा उसे २ लाख ३५ सहस्र से अधिक ‘व्यूज’ मिल रहे हैं ।
इ. उनके https://brighemantmahajan.blogspot.com इस ‘ब्लॉग’ को १० लाख व्यूज मिल रहे हैं ।
ब्रिगेडियर महाजन (सेवानिवृत्त) द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखी मराठी एवं अंग्रेजी पुस्तकें१. ‘नक्षलवादाचे आव्हान : चीनचे भारताशी छुपे युद्ध’, प्रकाशक : नचिकेत प्रकाशन, नागपुर. २. ‘आव्हान चिनी ड्रॅगनचे’, प्रकाशक : नचिकेत प्रकाशन, नागपुर. ३. ‘Proxy War In Jammu Kashmir : A Winning Strategy-2014’ यह पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ शोध प्रकल्प ‘थिंक टैंक’ के लिए । (बुद्धिजीवियों के समूह के लिए) । ४. ‘आव्हान जम्मू-काश्मीरमधील छुप्या युद्धाचे’, प्रकाशक : माधवी प्रकाशन, पुणे. ५. ‘बांगलादेशी घुसखोरी भारताच्या सुरक्षेचे सर्वांत मोठे सुरक्षा आव्हान । वर्ष २०२९ पूर्वी आसाम, बंगालच्या मुख्यमंत्रीपदी दोन बांगलादेशी ? (ऑक्टोबर २०१५, २०१६)’, प्रकाशक : भारतीय विचार साधना, पुणे. उनकी ऐसी अनेक ‘ई-पुस्तकें’ मराठी srushti.com पर मिलती हैं । |