मराठी फिल्मों तथा धारावाहिकों में उत्कृष्ट अभिनय कर समाज में नाम होते हुए भी इस छवि में संलिप्त न रहकर हिन्दू धर्म, राष्ट्र एवं समाज के लिए अखंडित कार्य करनेवाले अभिनेता हैं श्री. शरद पोंक्षे ! एक सफल अभिनेता होते हुए भी प्रखर राष्ट्रवाद एवं हिन्दुत्व के साथ समझौता न करनेवाले विरले व्यक्तित्वों में से एक है यह व्यक्तित्व ! आक्रमण, धमकियां, कानूनी कार्रवाई जैसे किसी भी दबाव से भयभीत न होते हुए श्री. शरद पोंक्षे ने राष्ट्र एवं धर्म की जागृति का कार्य अखंड जारी रखा । उनके प्रखर, राष्ट्रनिष्ठ तथा स्पष्टतापूर्ण विचारों के कारण एक बडा युवावर्ग उनसे जुड गया है । युवकों में राष्ट्र एवं धर्म के कार्य का आकर्षण उत्पन्न कर उन्हें कृतिप्रवण बनानेवाले हिन्दुत्व के इस सैनिक का कार्य हम इस लेख के माध्यम से जानकर लेंगे !

विशेष सदर
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज हेतु जिस प्रकार उनके सैनिकों एवं सेनापतियों का त्याग सर्वोच्च है, उस प्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक हिन्दू धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा हेतु ‘सैनिक’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । धर्मनिरपेक्षतावादी सरकरों, साथ ही प्रशासन एवं पुलिस के द्वारा होनेवाला उत्पीडन सहन करते हुए वे निस्वार्थ भावना से दिनरात संघर्ष कर रहे हैं । वर्तमान में राष्ट्रविरोधी शक्तियां धर्मनिरपेक्षतावादियों के समर्थन से बलवान होकर जहां हिन्दूविरोधी तथा राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र रच रही हैं, वहां हमारे मन में ‘आगे जाकर हिन्दुओं का तथा इस राष्ट्र का क्या होगा ?’, इसकी चिंता होती है । ऐसी स्थिति में हमने यदि हिन्दुत्व के लिए तथा राष्ट्र की रक्षा हेतु लडनेवाले इन सैनिकों के संघर्ष के उदाहरण पढे, तो निश्चित ही हमारे मन की चिंता दूर होकर उत्साह उत्पन्न होगा । इसीलिए हमने ऐसे सैनिकों की तथा हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु उनके संघर्ष की जानकारी करानेवाला ‘हिन्दुत्व के वीर योद्धा’ स्तंभ आरंभ किया है । इस माध्यम से भारत में सुराज्य की स्थापना करने हेतु प्रयास करनेवालों की सभी को जानकारी मिलेगी तथा उस परिप्रेक्ष्य में कार्य करने की प्रेरणा भी मिलेगी ! – संपादक
१. जन्म एवं शिक्षा
शरद पोंक्षे का जन्म महाराष्ट्र के मिरज में हुआ । वहां उन्होंने छठी कक्षा तक की शिक्षा ग्रहण की । उसके पश्चात उनका परिवार मुंबई में बस गया, वहां उन्होंने भाईंदर के अभिनव विद्या मंदिर विद्यालय में शिक्षा पूर्ण की । १२वीं कक्षा के उपरांत उन्होंने ३ वर्ष का ‘डिप्लोमा’ का पाठ्यक्रम पूर्ण कर ‘बेस्ट’ में नौकरी की ।
२. अभिनय यात्रा
उच्च माध्यमिक शिक्षा के उपरांत उन्होंने मुंबई के नाटक विद्यालय में प्रवेश लेकर वहां अभिनय का प्रशिक्षण लिया । वहां उनके अभिनय की प्रशंसा हुई । उनके कारण उन्हें मराठी फिल्मों में कार्य करने का अवसर मिला । उन्होंने अनेक मराठी फिल्मों तथा नाटकों में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं । उन्होंने ‘नथुराम गोडसे’की भूमिका निभाई, उससे वे लोकप्रिय हुए; परंतु इस भूमिका के कारण उन्हें आलोचना भी झेलनी पडी । उन्होंने दूरचित्रवाणी एवं फिल्मों में मिलकर १०० से अधिक भूमिकाएं निभाईं हैं ।
कैंसर जैसे रोग से सफलतापूर्वक लडकर समाज का मनोबल बढानेवाला एक व्यक्तित्व !

श्री. शरद पोंक्षे को वर्ष २०१९ में कैंसर हुआ । कैंसर कहते ही मनुष्य जीने की आशा छोड देता है; परंतु कैंसर का निदान होने के १०-११ महिनों तक श्री. शरद पोंक्षे ने इस कठिन रोग से सफलतापूर्वक लडाई लडी । इस काल में उन्होंने स्वयं में क्षात्रवृत्ति तथा सकारात्मकता तो बढाई ही; परंतु सबसे महत्त्वपूर्ण यह कि उन्होंने इससे समाज को प्रेरणा दी । समाज में संकट से सीखनेवाले लोग देखने को मिलते हैं; परंतु उनमें से ऐसे संकट का सामना कर उससे समाज का दिशादर्शन करनेवाला तथा समाज को राष्ट्रकार्य के लिए प्रेरित करनेवाला व्यक्तित्व है श्री. शरद पोंक्षे ! जिस देश में हिमालय समान विशाल व्यक्तित्व वाले लोग हुए, उस देश के नागरिकों को कभी भयभीत नहीं होना चाहिए । हमारी युवा पीढी को देश के राष्ट्रपुरुषों तथा संतों का इतिहास सिखाया ही नहीं गया, यह हमारे शिक्षातंत्र का दोष है’, ऐसा श्री. शरद पोंक्षे का कहना है ।
३. व्याख्यानों के माध्यम से देश-विदेशों में हिन्दुत्व का प्रसार !
वर्ष २००० से देश-विदेशों में हिन्दुत्व, वीर सावरकर, अजेय बाजीराव पेशवा; भारत – कल, आज और कल; श्रीराम, एवं छत्रपति शिवाजी महाराज इन विषयों पर अनेक व्याख्यान लेकर नागरिकों में हिन्दुत्व एवं राष्ट्रनिष्ठा जागृत की । उनके माध्यम से देश के लाखों युवकों तक राष्ट्रपुरुषों का शौर्य पहुंचा तथा उनमें देश के लिए कुछ करने की भावना उत्पन्न हुई ।
देश के लाखों युवकों तक वस्तुनिष्ठ इतिहास पहुंचाने हेतु प्राणों की चिंता किए बिना कार्य करनेवाले श्री. शरद पोंक्षे !

१. धमकियों से न डरकर गांधी का खरा स्वरूप उजागर करनेवाले नाटक के किए १ सहस्र २०० प्रयोग !
मोहनदास गांधी की हिन्दू समाज के प्रति दोहरी नीति, साथ ही नथुराम गोडसे का प्रखर राष्ट्रवाद समाज तक पहुंचाने हेतु उन्होंने ‘मी नथुराम गोडसे बोलतोय’, यह नाटक प्रस्तुत किया । सत्य एवं अहिंसा का सिद्धांत रखनेवाले गांधीवादियों ने यह नाटक हिंसा के माध्यम से बंद कराने का प्रयास किया तथा यही गांधी के खोखले अहिंसावाद की पराजय थी । बस जलाना, चलते नाटक में कलाकारों को मारने के लिए स्टेज पर चले जाना, जातिवाचक गंदी गालियां देना, पत्नी को फोन कर श्री. पोंक्षे को मारने की धमकियां देना आदि हिंसक कृत्यों से बिना भयभीत हुए श्री. शरद पोंक्षे तथा उनके सहयोगियों ने विगत २५ वर्षाें में ‘मी नथुराम गोडसे बोलतोय’ नाटक के १ सहस्र २०० प्रयोग प्रस्तुत किए गए । इस नाटक को विरोध होने के कारण न्यायालयीन लडाई लडनी पडी । उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय ने नाटक के पक्ष में निर्णय दिया; परंतु उसके उपरांत भी नाटक की बस जलाना तथा धमकियां देना जैसे विरोध की चिंता किए बिना नाटक के प्रयोग जारी ही थे । महाराष्ट्र एवं केंद्र में कांग्रेस की सरकार के समय ‘मी नथुराम गोडसे बोलतोय’, यह नाटक न हो; इसके लिए प्रचंड दबाव होते हुए भी श्री. शरद पोंक्षे ने पूरे राज्य में बेबाकी से इस नाटक के प्रयोग किए ।
नथुराम गोडसे के प्रखर एवं ओजस्वी विचार व्यक्त करनेवाले व्यक्तित्व का भी उसी प्रकार से प्रखर राष्ट्रनिष्ठ होना आवश्यक था । श्री. शरद पोंक्षे ने इस नाटक से जो यह प्रखरता व्यक्त की, उसका कोई तोड नहीं है । इसके कारण देश के लाखों युवकों तक वस्तुनिष्ठ इतिहास तो पहुंच ही गया; परंतु साथ ही वे राष्ट्रकार्य के लिए प्रेरित भी हुए । श्री. शरद पोंक्षे में विद्यमान कला एवं प्रखर राष्ट्रप्रेम का विलक्षण संगम सभी कलाकारों के लिए आदर्श है ।
२. प्रसारमाध्यमों के द्वारा राष्ट्र एवं धर्म का प्रसार !
सामाजिक माध्यमों के द्वारा राष्ट्र एवं धर्म के कार्य का प्रसार करने हेतु श्री. शरद पोंक्षे ने प्रौद्योगिकी तथा उसमें निहित सूक्ष्मताएं आत्मसात की । इसके उपरांत उन्होंने स्वयं का ‘राष्ट्राय स्वाहा’, यह यूट्यूब चैनल बनाकर वे हिन्दू धर्म पर हो रहे विभिन्न आघातों तथा दुष्प्रचार का मुंहतोड उत्तर दे रहे हैं । इस चैनल के माध्यम से वे हिन्दू धर्म एवं राष्ट्रवाद का प्रभावी प्रचार कर रहे हैं ।
३. आर्थिकदृष्टि से दुर्बल घटकों की सहायता !
हिन्दुत्व का प्रसार करते समय श्री. शरद पोंक्षे ने समय- समय पर समाज के आर्थिकदृष्टि से दुर्बल घटकों की सहायता की । फिल्मविश्व में काम करते समय वे हिन्दुत्व के प्रसारकार्य के लिए समय देकर समाज के कार्य में भी सदैव ही क्रियाशील रहे हैं । असंख्य निर्धन हिन्दुओं को आर्थिक एवं चिकित्सकीय सहायता देकर वे समाजकार्य में भी सहभाग ले रहे हैं । कैंसर से पीडित रोगियों में आत्मविश्वास उत्पन्न हो; इसके लिए वे उनका समुपदेशन (काउंसलिंग) करते हैं । अनेक कैंसर पीडितों को इसका लाभ मिल चुका है ।