महाकुम्भ में इंडोनेशिया के ‘धर्म स्थापनाम् फाउंडेशन’ के सदस्यों ने किया सनातन की ग्रंथ-प्रदर्शनी का अवलोकन !

प्रयागराज (उ.प्र.) – ‘‘सनातन संस्कृति प्रदर्शनी एक नया समुद्रमंथन है । इसे समुद्रमंथन इस दृष्टि से कहा जाना चाहिए कि सनातन संस्था वैज्ञानिक एवं शास्त्रीय परिभाषा में शोध कार्य कर धर्माचरण की प्रत्येक कृति का प्रमाण बताकर शास्त्रीय कारण देती है । इस कारण से मैंने उसे ‘समुद्रमंथन’ कहा है’’, ऐसा प्रतिपादन बाली (इंडोनेशिया) के ‘धर्म स्थापनाम् फाउंडेशन’ के अध्यक्ष डॉ. धर्म यश ने किया । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की वंदनीय उपस्थिति थी ।
‘धर्म स्थापनाम्’ के सदस्यों ने १४ जनवरी को महाकुम्भ पर्व में लगी सनातन की प्रदर्शनी का अवलोकन किया, उस समय वे ऐसा बोल रहे थे । प्रदर्शनी देखकर सभी सदस्य अभिभूत हुए । इन सभी ने बडी जिज्ञासा के साथ प्रदर्शनी में लगाए फलकों पर अंकित धर्मशिक्षा, अध्यात्म, राष्ट्र एवं धर्म की जानकारी जान
ली । विशेष बात यह है कि डॉ. धर्म यश ने इन सदस्यों को उनकी भाषा में फलकों पर अंकित जानकारी समझाई ।
सनातन का कार्य भारत सहित पूरे विश्व में फैलना चाहिए !
डॉ. धर्म यश ने कहा, ‘‘हम कोई कृति करते समय इतना गहन विचार कभी नहीं करते । हममें वेदों के प्रति विश्वास एवं श्रद्धा होती है । वर्तमान समय में सर्वत्र धर्म के प्रति अविश्वास उत्पन्न हुआ है । उसके कारण धर्माचरण का वैज्ञानिक प्रमाण देने पर लोग तुरंत ही उसपर विश्वास करते हैं । सनातन संस्था वैज्ञानिक एवं शास्त्रीय परिभाषा में शोध कार्य कर सभी को धर्मशिक्षा देकर धर्माचरण करने के लिए प्रेरित कर रही है; इसीलिए सनातन संस्था का कार्य एकमेवाद्वितीय ही है । यह कार्य भारत के साथ पूरे विश्व में फैलना चाहिए ।’’