
नई देहली – भारत और चीन एक बार पुन: संबंधों को सुधारने का प्रयत्न कर रहे हैं, ऐसा भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा। वह एशिया सोसाइटी के एक चर्चा सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने इस समय यह भी स्पष्ट किया कि, “हम जानते हैं कि भविष्य में भी भारत और चीन के बीच मतभेद उत्पन्न होंगे; किन्तु उन्हें संघर्ष का सहारा लिए बिना अन्य पद्धतियों से हल किया जा सकता है।”
🇮🇳🤝🇨🇳 “Working to Improve India-China Relations!” – EAM Dr. S. Jaishankar
⚠️ But history has taught India never to trust China blindly! While attempting to mend ties, staying alert is essential! 🛡️pic.twitter.com/VBz5zHHk3v
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 27, 2025
डॉ. जयशंकर के सूत्र !
१. तनावपूर्ण संबंध किसी के लिए भी लाभप्रद नहीं होते। २०२० में गलवान घाटी में जो हुआ वह समस्या को हल करने का योग्य मार्ग नहीं था।
२. गलवान में जो हुआ वह वास्तव में वेदनादायक था। यह केवल एक संघर्ष नहीं था, बल्कि लिखित समझौतों की अनदेखी की गई थी। ऐसा नहीं है कि वह समस्या पूर्णरूपेण समाप्त हो गई है, हम अभी भी घटना से संबंधित कुछ भागों का समाधान ढूंढ रहे हैं।
३. हम अनेक प्रकार से प्रतिस्पर्धा करते हैं; किन्तु हमें इसके लिए लडना नहीं चाहिए। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध किसी भी पक्ष के हित में नहीं हैं; क्योंकि यदि सीमा के निकट शांति भंग होती है, तो शेष संबंध ठीक से काम नहीं कर पाएंगे।
४. हमें लगता है कि अक्टूबर २०२४ से संबंधों में कुछ सुधार हुआ है। हम इस पर कार्यरत हैं। मैं और मेरे सहकर्मी अनेक बार चीनी विदेश मंत्री से मिल चुके हैं। क्या हम २०२० में हुए हानि की भरपाई कर सकते हैं? हम इसे चरणबद्ध पद्धति से समझने का प्रयास कर रहे हैं।
संपादकीय भूमिकाअपेक्षा है कि भारत ने इतिहास से यह सीख ली होगी कि चीन के साथ संबंध सुधारने का प्रयत्न करते समय सतर्क रहना और उस पर भरोसा नहीं करना आवश्यक है ! |