UP Madrasas Under Scan : उत्तर प्रदेश के ४ सहस्र (हजार) से अधिक बिना अनुदानित मदरसों की होगी जांच

आतंकवाद विरोधी दल को दिया गया है आदेश

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश आतंकवाद विरोधी दल ने राज्य के चलाए जानेवाले ४ सहस्र से अधिक बिना अनुदानित मदरसों की जांच आरंभ की है । एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है । सरकार ने राज्यभर में चल रहे अवैध मदरसों की जांच करने के आदेश दिए थे । तदनंतर राज्य के ४ सहस्र १९१ मदरसे दल के रडार पर पाए गए हैं । इन में गोंडा एवं बहराइच जिले के अनुमान से ७०० मदरसे समाहित हैं । मदरसों की जांच के लिए स्वतंत्र दल तैयार किए गए हैं ।

अकेले बहराइच जिले में ४९५ मदरसे

नेपाल सीमा से सटे हुए बहराइच जिले के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा के मत में ४९५ अवैध मदरसे अकेले बहराइच में स्थित हैं तथा इनमें से न्यूनतम १०० मदरसे भारत-नेपाल सीमा से सटे हुए गांवों में चलाए जाते हैं ।

मदरसों में धन कहां से आता है ?

बहराइच जिले में अवैध मदरसों को धन कहां से मिलता है, इस प्रकरण की जांच चल रही है । क्या इन मदरसों को कोई भी गैरकानूनी स्त्रोत द्वारा, विशेषत: सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित मदरसों द्वारा निधि मिलती है ?, इसका भी आतंकवाद विरोधी दल जांच कर रहा है ।

मदरसों पर सरकार का ध्यान

‘मकतब’ के रूप में चल रहे मदरसों ने अबतक पंजीकरण क्यों नहीं किया, इसकी जांच आतंकवाद विरोधी दल करेगा । ये मदरसे संबंधित जिले में कब से चल रहे हैं ? उन्हें निधि कहां से मिलती थी ? यह सब बातें जांच कर उसका विवरण (रिपोर्ट) महासंचालकों को प्रस्तुत किया जाएगा । अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को दल से समन्वय कर दल के पुलिस महासंचालकों की सूचना के अनुसार आवश्यक कार्यवाही करने की सूचनाएं दी गई हैं । इस संदर्भ में सरकार द्वारा पत्र पाया गया है, ऐसा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने कहा है । इस संदर्भ में जिलाधिकारी से चर्चा हुई है । उनकी सूचना के अनुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी ।

संपादकीय भूमिका

  • क्या कभी हिन्दुओं के एक भी गुरुकुल अथवा वेदपाठशाला की आतंकवाद विरोधी दल द्वारा जांच करने का आदेश किसी ने सुना है ?; परंतु मुसलमानों के मदरेसों की ही जांच सदैव की जाती है; क्योंकि आतंकवाद का धर्म होता है, यही इससे दिखाई देता है ! 
  • अनुदानित हों अथवा बिना अनुदानित, मदरसों का एक ही पाठ्यक्रम होता है तथा उसके परिणामों का पूरा विश्व अनुभव कर रहा है । इस कारण अब केवल भारत में नहीं, अपितु वैश्विक स्तर पर ही मदरसों को बंद करने का निर्णय लेना आवश्यक हो गया है !