Unconstitutional Muslim Personal Law : ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ काे घटनाबाह्य घोषित करें !

मुसलमान महिला की उच्च न्यायालय में याचिका

भोपाल (मध्यप्रदेश) – राज्य में दतिया के ६० वर्षीय हुस्ना ने ´मुस्लिम पर्सनल लॉ १९३७´ (शरीयत) को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है । यह कानून घटनाबाह्य घोषित कर पिता की संपत्ति में लडकी को अधिकार मिलने हेतु उन्होंने याचिका प्रविष्ट (दाखिल) की है । ‘घटना में समानता का अधिकार होते हुए भी शरीयत के कारण लडकी के साथ पक्षपात होता है । पिता की संपत्ति में भाई के जितना अधिकार बहन को भी मिलना आवश्यक है’,इस याचिका में ऐसा कहा गया है । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर अक्टूबर माह के तीसरे सप्ताह में सुनवाई रखी है ।

हुस्ना के अधिवक्ता प्रतीप विसोरिया ने प्रविष्ट याचिका में कहा है कि शरीयत कानून अरब देश में बनाया गया । भारत में रहनेवाले मुसलमानों पर ‍वह क्यों लागू किया जाता है ? स्वतंत्रताप्राप्ति के पश्चात राज्यघटना के अनुसार शरीयत कानून में सुधार करने की आवश्यकता थी । वह नहीं किया गया । याचिका में पवित्र धर्मग्रंथ का प्रमाण देकर संपत्ति के बटवारे का भी उल्लेख किया गया है । स्वतंत्रताप्राप्ति के पश्चात हिंदुओं के लिए ‘हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम १९५६’ बनाया गया । परंतु मुसलमानों के लिए नया कानून नहीं बनाया गया ।  ( क्या इससे देश पर सर्वाधिक समय राज्य करनेवाली कांग्रेस की मुसलमान महिलाओं के विषय में द्वेष समझमें नहीं आता ? – संपादक )

संपादकीय भूमिका 

 इन समस्याओं का हल निकालने हेतु भारत में तत्काल समान नागरिक कानून / संहिता लागू करना आवश्यक !