Expel Bangladeshi Infiltrators : बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकाल दीजिए !

  • झारखंड उच्च न्यायालय का राज्य सरकार को आदेश

  • अनुसूचित जाति की लडकियों को मुसलमान बनाने का षड्यंत्र ! – याचिका में लगाया गया आरोप

  • बांग्लादेश सीमा के निकट के राज्य के संताल परगणा प्रांत में ४६ नए मदरसों का निर्माण !

रांची (झारखंड) – भारत में स्थित बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कराकर उन पर कार्यवाही की जाए। उन्हें देश से बाहर निकालने हेतु कार्यान्वयन योजना बनाई जाए, ऐसा आदेश झारखंड उच्च न्यायालय ने झारखंड सरकार को दिया है। न्यायाधीश सुजित नारायण प्रसाद एवं न्यायाधीश ए.के. राय की खंडपीठ ने डैनियल दानिश के द्वारा प्रविष्ट जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिए।

घुसपैठ की समस्या से निपटने हतेु केंद्र राज्य सरकारों के साथ काम करे !

न्यायालय ने सरकार को इस विषय में प्रगति का ब्योरा २ सप्ताह में प्रस्तुत करने के लिए कहा है तथा ‘सरकार ने कितने बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कराई, उनमें से कितने लोगों को रोका तथा उन्हें वापस भेजने हेतु क्या प्रयास किए गए’, यह सरकार को बताना पडेगा। इसके अतिरिक्त न्यायालय ने इस विषय पर केंद्र सरकार को भी उत्तर देने के लिए कहा है। न्यायालय ने इसे अत्यंत गंभीर सूत्र भी बताया है। अकेली राज्य सरकारें इस विषय में कार्यवाही नहीं कर सकती, इसलिए केंद्र सरकार भी इसमें राज्य सरकारों के साथ काम करना चाहिए, साथ ही केंद्र सरकार इसमें क्या कदम उठा सकती है, इसका भी वह ब्योरा दे, ऐसा उच्च न्यायालय का कहना है।

केंद्र सरकार को घुसपैठियों पर कार्यवाही करने का निर्देश देने की याचिकाकर्ता की मांग

इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा है तथा इस संदर्भ में केंद्र सरकार को राज्य सरकारों को अधिकार प्रदान किए हैं। राज्य सरकार घुसपैठियों की पहचान कर स्वयं कार्यवाही कर सकती हैं, ऐसा केंद्र की ओर से न्यायालय को बताया गया है; परंतु इस पर याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार घुसपैठ होने की बात ही अस्वीकार कर रहा है, केवल इतना ही नहीं, अपितु राज्य सरकार संताल परगणा प्रांत में धर्मांतरण होने की बात भी स्वीकार नहीं करती। तो ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को ही घुसपैठियों पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया जाए, ऐसी मांग याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से की है। इस प्रकरण की अगली सुनवाई १८ जुलाई को होगी।

याचिका में लगाए गए गंभीर आरोप !

इस याचिका में न्यायालय को यह बताया गया है कि बांग्लादेश की सीमा से सटे झारखंड राज्य के संताल परगणा प्रांत में बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन योजनाबद्ध पद्धति से आदिवासी लडकियों के साथ विवाह कर उनका धर्मांतरण कर रहे हैं। इसे रोकना अतिआवश्यक है, साथ ही इस क्षेत्र में अचानक से ही ४६ नए मदरसों का निर्माण किया गया है। याचिका में इन मदरसों से देशविरोधी गतिविधियां चलाई जाने की बात बताई गई है। इस संदर्भ में आदिवासी महिलाओं का केवल शोषण ही नहीं होता, अपितु घुसपैठी उनकी भूमि पर भी नियंत्रण स्थापित कर रहे हैं।

संपादकीय भूमिका

  • वर्ष २००१ में ही भारत ५ करोड बांग्लादेशी घुसपैठियों का पाल रहा है, ऐसा एक राज्य के पुलिस महानिदेशक ने बताया है। उस पर किसी भी सरकार के द्वारा कार्यवाही न किए जाने से आज यही घुसपैठी भारत की अखंडता के लिए संकट बन गए हैं। लोकतंत्र से चलनेवाले भारत के लिए ऐसी स्थिति होना लज्जाप्रद ! 
  • ऐसा आदेश देना ही क्यों पडता है ? भारत के गुप्तचर संगठनों के पास इसकी जानकारी नहीं होगी, ऐसा होना संभव नहीं है। बांग्लादेशी घुसपैठियों पर ठोस कार्यवाही करने हतेु राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना ही आवश्यक ! 
  • राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार होने से ऐसी कार्यवाही होना कदापि संभव नहीं है, यही सत्य है !