Rahul Gandhi Going To Pandharpur : हिन्दुओं को हिंसाचारी बोलनेवाले राहुल गांधी पंढरपुर जाकर श्रीविठ्ठल का दर्शन करेंगे !

मुंबई (महाराष्ट्र) – आषाढी एकादशी के समारोह के लिए लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी १३ अथवा १४ जुलाई को पंढरपुर जाकर श्रीविठ्ठल का दर्शन करनेवाले हैं । कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इसकी पुष्टि की है । इससे पूर्व ही राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार ने राहुल गांधी को पंढरपुर की बारी में आने का आमंत्रण दिया था, इससे भाजप की ओर से उनकी आलोचना की जा रही है ।

सदैव ही हिन्दुओं का द्वेष करनेवाले राहुल गांधी को बारी में आने का निमंत्रण देने का अधिकार शरद पवार को किसने दिया ? – आचार्य तुषार भोसले ने की आलोचना

हिन्दुओं को हिंसक बोलनेवाले तथा सदैव ही हिन्दुओं का द्वेष करनेवाले राहुल गांधी को बारी में आने का निमंत्रण देने का अधिकार मौलाना शरद पवार को किसने दिया ?, इन शब्दों में आलोचना करते हुए भाजपा के आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के नेता आचार्य तुषार भोसले ने महाविकास गठबंधनसहित राहुल गांधी तथा शरद पवार की आलोचना की है । आचार्य तुषार भोसले ने यह भी प्रश्न उठाते हुए कहा, ‘संत तुकाराम महाराज की पालकी शरद पवार के गांव से विगत सैंकडों वर्षाें से जाती है; परंतु शरद पवार के ८४ वर्ष के जीवन में कभी उनके कदम बारी की ओर नहीं मुडे तो अब वे किस मुंह से राहुल गांधी को बारी में आने का निमंत्रण दे रहे हैं ?’

इफ्तार पार्टियों में जानेवालों को आजतक पंढरपुर की बारी कभी दिखाई नहीं दी ?

शरद पवार ७ जुलाई को तुकाराम महाराज की पालकी में वारकरियों के साथ पैदल चलेंगे, यह चर्चा कुछ दिन पूर्व चल रही थी; परंतु इस विषय में स्वयं शरद पवार ने स्पष्टीकरण देते हुए ‘मैं बारी में पैदल नहीं चलूंगा, अपितु यह बारी मेरे गांव से होते हुए जाती है; इसलिए मैं केवल पंढरपुर जानेवाली पालकी के स्वागत के लिए रुकूंगा’, ऐसा बताया । इसी सूत्र पर आचार्य तुषार भोसले ने ‘प्रतिवर्ष इफ्तार पार्टियों में जानेवाले शरद पवार तथा राहुल गांधी को आज तक बारी तथा वारकरी दिखाई नहीं दिए; परंतु अब महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव को सामने रखकर आप बारी में आने की बात कर रहे हैं, यह समझ में न आने जितनी महाराष्ट्र की जनता मूर्ख नहीं है, इसे ध्यान में रखिए’, इन शब्दों में शरद पवार की आलोचना की है ।

संपादकीय भूमिका 

‘क्या वारकरियों को यह स्वीकार है ?’, यह प्रश्न यहां उठता है ! ‘भगवान के द्वार पर सभी समान हैं’, यह हिन्दुओं का भाव होने से दर्शन का विरोध कोई नहीं करेगा; परंतु जिन हिन्दुओं ने ८०० वर्षाें से इस परंपरा को शाश्वत रखा है, उन सहिष्णु हिन्दुओं को केवल मुसलमानों के मतों के लिए हिंसाचारी बोलना, इस दोगलेपन तथा पाखंड को रोकने हेतु हिन्दुओं को लोकतांत्रिक पद्धति से प्रयास करने चाहिएं !