वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का चौथा दिन (२७ जून) : उद्बोधन सत्र – हिन्दू राष्ट्र हेतु वैचारिक आंदोलन
विद्याधिराज सभागार – स्वतंत्रता के उपरांत इतिहास तथा शिक्षाप्रणाली पर वामपंथियों की प्रभुता रही है । भारत के टुकडष करना वामपंथियों की नीति रही है । उन्होंने भारत के टुकडे करने हेतु इतिहास एवं शिक्षा में तोडफोड की । वर्ष २०१४ में ये प्रयास असफल सिद्ध होने के उपरांत उन्होंने हिन्दू संस्कृति को लक्ष्य बनाना आरंभ किया । धर्मसंस्था, राष्ट्रवाद एवं शिक्षाव्यवस्था संस्कृति के आधार हैं; इसलिए उन्हें नष्ट करने का प्रयास किया गया । हमारी संस्कृति यदि नष्ट हुई, तो हमारा अस्तित्व मिट जाएगा । इसलिए इस आक्रमण को समझ लेना पडेगा । इसके लिए उनके मुखौटों को पहचानकर हमें उनके विरुद्ध लडना चाहिए । अंततः विजय हमारी ही होनेवाली है, ऐसा प्रतिपादन ‘प्रतिसाद’ कम्युनिकेशन के प्रबंध निदेशक अभिजीत जोग ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’के चौथे दिन अर्थात २७ जून को किया ।
उन्होंने आगे कहा, ‘’भारत पर लंबे समय तक राज करने हेतु उन्होंने यहां की संस्कृति नष्ट कर भारतीयों का आत्मविश्वास तथा आत्मसम्मान नष्ट करने के प्रयास किए । उसके लिए उन्होंने शिक्षा तथा इतिहास नष्ट करने का प्रयास किया । प्राचीन काल से चले आ रहे गुरुकुल बंद कर अंग्रेजी शिक्षाव्यवस्था आरंभ की । उसके कारण भारत के अधिकतर लोक अशिक्षित बन गए । इसके साथ ही उन्होंने भारत के मूल इतिहास में झूठी बातें घुसा दी, साथ ही भारत में प्राचीन काल से चली आर रही मनुष्य के कर्म पर आधारित वर्णव्यवस्था को उन्होंने जन्म पर आधारित अर्थात जातिव्यवस्था का नाम दिया । इस प्रकार अंग्रेजों ने हमारी पहचान दूर कर उनकी इच्छा के अनुसार पहचान हम पर थोप दी । इस प्रकार से मेकैले के पुत्र तथा मार्क्सवादियों ने एकत्रित होकर भारत का आत्मसम्मान नष्ट करने का प्रयास किया ।’’