HVP Advocate Threatened : न्यायालय के परिसर में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता निरंजन चौधरी को धर्मांधों द्वारा हत्या की धमकी !

  • जळगाव का गोवंश हत्या प्रकरण

  • संशयित आरोपियों का वकीलपत्र लेने की बात को लेकर अधिवक्तओं में विवाद

  • पुलिस की धर्मांधों को छोड हिन्दुओं के बारे में ही दमननीति !  

अधिवक्ता निरंजन चौधरी

जळगाव, २२ जून (संवाददाता) – गोवंश हत्या और अवैध मांस रखने के दो विभिन्न अपराधों में ७ धर्मांधों को शहर और शनिपेठ पुलिस ने १८ जून को बंदी बनाया था । उन्हें २१ जून को जिला न्यायालय में उपस्थित करते समय संशयितों का वकीलपत्र लेने की बात को लेकर हिन्दू और मुसलमान अधिवक्ताओं में विवाद हुआ । दोपहर ३ बजे एक से डेढ सहस्र मुसलमानों का समूह न्यायालय के परिसर में इकठ्ठा होकर उनकी हिन्दू अधिवक्ताओं से भिडंत हुई । आमने-सामने आने से परस्परों में लडाई होकर तनाव उत्पन्न हुआ । इस घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस ने समूह को हटाने के लिए लाठियां चलाई । इस समय शोर मचानेवाले और विवाद करनेवाले धर्मांधों को नियंत्रण में लेने की अपेक्षा पुलिस कुछ हिन्दू युवकों को ही पुलिस थाने में पूछताछ करने ले गई । इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठ आक्रोशित हुए । साथही हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता निरंजन चौधरी को नदीम गफ्फार मलिक नामक धर्मांध ने जान से मार डालने की धमकी दी । उसके विरूद्ध शहर पुलिस थाने में परिवाद किया गया है । इस मामले में पुलिस ने उसके विरूद्ध गैर-संज्ञेय अपराध प्रविष्ट (दाखिल) किया है । (वास्तव तो यह है कि पुलिस को इस उद्दंड धर्मांधके विरूद्ध संज्ञेय अपराध प्रविष्ट कर उसपर कडी कार्यवाही करना अपेक्षित था ! – संपादक)

हिन्दुओं के दबाव के उपरांत पुलिस द्वारा अपराध प्रविष्ट और झूठा आरोप कर धर्मांधों द्वारा भी परिवाद प्रविष्ट !

गोवंश हत्या मामले के संशयित आरोपियों को न्यायमूर्ति एम्.एम्. बढे के न्यायालय में उपस्थित किया गया । उस समय हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता निरंजन चौधरी संशयित आरोपियों के अधिवक्ता मजहर पठान से बातचीत कर रहे थे । उस समय धर्मांध नदीम गफ्फार मलिक बीच में ही कुछ बोला । अधिवक्ता चौधरी ने उसे ‘बीच में मत बोलो’, ऐसा कहा, तब धर्मांध नदीम ने ‘तू बहुत जादा उड रहा है, तुझे देखना पडेगा । वकील है ना, तू कोर्ट के बाहर निकल, तुझे देखता हूँ और काट डालूँगा ।’, ऐसी धमकी दी । उस समय उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों ने अधिवक्ता चौधरी को सुरक्षा दी ।

इस मामले में अधिवक्ता निरंजन चौधरी ने पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट किया है । इस समय पुलिस थाने में हिन्दुओं का बहुत बडा समुदाय इकठ्ठा हुआ था । हिन्दुओं ने पुलिस पर दबाव डालने के उपरांत पुलिस ने परिवाद प्रविष्ट किया । (एक अधिवक्ता द्वारा परिवाद करने पर भी उसे प्रविष्ट करने के लिए भी पुलिस पर दबाव नीति का प्रयोग करना पडता होगा, तो यह पुलिस के लिए लज्जाजनक ! – संपादक) दूसरी और धर्मांध नदीम मलिक ने भी अधिवक्ता निरंजन चौधरी ने उन्हें जान से मार डालने की धमकी देने का झूठा परिवाद प्रविष्ट किया है । इसपर शहर पुलिस थाने में गैर-संज्ञेय अपराध प्रविष्ट हुआ है ।

अधिवक्ता केदार भुसारी के विरूद्ध मुसलमानों द्वारा परिवाद प्रविष्ट !    

करीम सालार के नेतृत्व में मुसलमान समाज के प्रतिनिधिमंडल ने २१ जून को अपर पुलिस  अधीक्षक अशोक नखाते से मिलकर अधिवक्ता केदार भुसारी के विरुद्ध पूछताछ करने के संदर्भ में निवेदन दिया । इस निवेदन में कहा है कि अधिवक्ता भुसारी ने समविचारी अधिवक्ताओं को साथ में लेकर ‘गोवंश हत्या के संशयितों का वकीलपत्र न लें’, ऐसी जबरदस्ती १९ और २० जून को की । इससे शहर की शांति और हिन्दू-मुसलमान एकता संकट में पड सकती है । उनपर कानूनी कार्यवाही की जाए । भुसारी ने अधिवक्ताओं के गुट पर वकीलपत्र न लेने के संदर्भ में प्रचार किया है, ऐसा संशयित का अधिवक्ता इमरान शेख ने पत्रकारों से वार्तालाप करते समय बताया ।

६ लोगों को न्यायालयीन, तो ३ को अतिरिक्त कस्टडी !

गोवंश हत्या प्रकरण में ६ संशयित आरोपियों को न्यायाधीश सोनवणे के न्यायालय में उपस्थित करने पर उन्होंने उन्हें न्यायालयीन कोठरी में भेजा, तो न्यायाधीश बढे के न्यायालय में उपस्थित किए तीनों को १ दिन की पुलिस कोठरी मिली ।

 न्यायालय का काम कुछ समय के लिए रोक दिया !

‘न्यायालय के परिसर में लगभग २० से २५ मिनट समूह का शोर हो रहा था । परिणाम स्वरूप कुछ भी सुनाई न देने से भवन के न्यायालयों का काम कुछ समय के लिए रोका गया था’, ऐसा सरकारी अधिवक्ता सुरेंद्र काबरा ने बताया ।  सुरक्षा के कारण से २४ जून से न्यायालय के ४ में से २ प्रवेशद्वार बंद रखे जानेवाले हैं ।

भागदौड और अफवाहें !

पुलिस द्वारा लाठी चलाई जाने पर समूह तुरंत गणेश कालोनी के प्रवेश द्वार से बाहर निकला । न्यायालय के सामने के और गणेश कालोनी के दुकान दंगे की अफवाहों से १० मिनट में बंद हुए । पुलिस उपअधीक्षक गावित ने उनकी टीम के साथ न्यायालय में जाकर परिस्थिति को नियंत्रण में लाया ।


क्या है मामला ?

१८ जून अर्थात बकरी ईद के दूसरे दिन शिवाजीनगर के उस्मानिया पार्क क्षेत्र में पुलिस ने प्राप्त जानकारी के अनुसार छापा मारकर गोवंशियों की हत्या करनेवाले और अवैध मांस की यातायात करनेवाले ६ लोगों को, तो शनिपेठ पुलिस ने ३ लोगों को बंदी बनाया था । इन १ संशयितों में से एक कम उम्र का है । कुल ९ संशयितों को २० जून को न्यायालय में उपस्थित किया गया । उन्हें न्यायालय ने १ दिन की पुलिस कोठरी दी थी । तदुपरांत २१ जून को फिर से न्यायालय में उपस्थित किया जा रहा था, तब यह घटना हुई ।

हिन्दू और मुसलमान इन दोनों गुटों के सैंकडो वाहन न्यायालय के परिसर में आएं । दोनों गुट के लोग न्यायालय की मध्यवर्ती इमारत की सीढी से जाते जाते आमने-सामने आए । धर्मांधों ने हिन्दुओं के साथ शाब्दिक छेडखानी की । इसके उपरांत विवाद आरंभ हुआ । पुलिसकर्मी और घटना की जानकारी मिलने के कारण क्यु.आर्.टी. पथक (दंगा नियंत्रक पथक) तत्परता से न्यायालय के परिसर में आए । तदुपरांत भी भिडंत जारी रहने के कारण पुलिस ने लाठियां चलाकर समुदाय को दूर हटाया । पुलिस ने ३ प्रवेशद्वार बंद किए । एक ही प्रवेशद्वार से भीतर जाने का तथा बाहर आने का मार्ग खुला था । 

संपादकीय भूमिका 

  • धर्मांधों को छोड हिन्दुओं का दमन करनेवाली पुलिस भारत की है या पाकिस्तान की ? ऐसी पुलिस जहां है, वहां के हिन्दू असुरक्षित ही रहेंगे !
  • अधिवक्ता को धमकी देने का साहस करनेवाले उद्दंड धर्मांध ! इसे पुलिस, प्रशासन और उनकी चापलूसी करनेवाले सर्वदलीय शासनकर्ता ही उत्तरदायी हैं !