हिन्दुओं का धर्मांतरण ही न हो, इसके लिए प्रयास करें !

‘धर्मांतरित हिन्दुओं को पुनः हिन्दू धर्म में अपनाने का कार्य करने की अपेक्षा ‘हिन्दू धर्मांतरित ही न हो’, ऐसा कार्य करना अधिक महत्वपूर्ण है !’

धन का त्याग अधिक सुलभ !

‘धन अर्जित करने की अपेक्षा उसका त्याग करना अधिक सुलभ है, तब भी मानव वह नहीं करता, यह आश्चर्य की बात है !’

धर्मकार्य के लिए ईश्‍वर के आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें ?

‘ईश्‍वर की प्राप्ति हेतु यदि हम प्रयास करेंगे, तो ईश्‍वर का ध्यान हमारी ओर आकर्षित होता है तथा हमारे द्वारा किए धर्मकार्य हेतु ईश्‍वर की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त होते हैं ।’

विनाश की ओर बढते हिन्दू !

कहां अर्थ और काम पर आधारित पश्चिमी संस्कृति और कहां धर्म और मोक्ष पर आधारित हिन्दू संस्कृति ! हिन्दू पाश्चात्त्यों का अंधानुकरण कर रहे हैं, इसलिए वे तीव्र गति से विनाश की ओर बढ़ रहे हैं ।

हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए ‘उपासना की शक्ति’ बढाइए और ‘शक्ति की उपासना’ कीजिए !

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से एकत्रित हुए हिन्दू राष्ट्रवीरों को मेरा नमस्कार ! हिन्दू राष्ट्र की स्थापना सहज और सरल बात नहीं है ।

गुरुपूर्णिमा के पश्चात आनेवाले भीषण संकटकाल में सुरक्षित रहने के लिए गुरुरूपी संतों के मार्गदर्शन में साधना करें !

‘श्री गुरु के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले भक्त, साधक, शिष्य आदि के लिए गुरुपूर्णिमा ‘कृतज्ञता उत्सव’ होता है । गुरु के कारण आध्यात्मिक साधना आरंभ होकर मनुष्यजन्म सार्थक होता है ।

काल की आवश्यकता समझकर राष्ट्र तथा धर्मरक्षा की शिक्षा देना, यह गुरु का वर्तमान कर्तव्य !

राष्ट्र तथा धर्मरक्षा की शिक्षा देनेवाले गुरुओं के कार्य का स्मरण कीजिए !

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुरेव परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः

शिष्य का अज्ञान दूर हो तथा उसकी आध्यात्मिक उन्नति हो, इसलिए जो उससे उपयुक्त साधना करवा लेते हैं और इस प्रकार सहजता से वास्तविक अनुभूति प्रदान करा देते हैं, उन्हें गुरु कहते हैं । शिष्य का परममंगल अर्थात मोक्षप्राप्ति केवल गुरुकृपा से ही हो सकती है ।

‘मानव’ किसे कहा जा सकता है ?

‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वेच्छाचार, प्राणियों की विशेषता हो सकती है, मानव की नहीं । ‘धर्मबंधन में रहना, धर्मशास्त्र का अनुकरण करना’, ऐसा करनेवाला ही ‘मानव’ कहला सकता है ।’