‘मानव’ किसे कहा जा सकता है ?

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी

‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वेच्छाचार, प्राणियों की विशेषता हो सकती है, मानव की नहीं । ‘धर्मबंधन में रहना, धर्मशास्त्र का अनुकरण करना’, ऐसा करनेवाला ही ‘मानव’ कहला सकता है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले