गुरुपूर्णिमा निमित्त परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संदेश
‘श्री गुरु के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले भक्त, साधक, शिष्य आदि के लिए गुरुपूर्णिमा ‘कृतज्ञता उत्सव’ होता है । गुरु के कारण आध्यात्मिक साधना आरंभ होकर मनुष्यजन्म सार्थक होता है । साधना न करनेवाले व्यक्ति व्यावहारिक जीवन जीते हैं । इसलिए उनका ‘अध्यात्म’, ‘साधना’, ‘गुरु’, ‘गुरुपूर्णिमा’ इ. शब्दों से संबंध ही नहीं आता । इन सबको अध्यात्म का थोडा-बहुत महत्त्व ध्यान में आने के लिए आनेवाले भीषण संकटकाल के संबंध में बताना आवश्यक है । इस गुरुपूर्णिमा के पश्चात कुछ मास में ही भारत को ही नहीं; अपितु संसार को भीषण संकटकाल का अनुभव करना पडेगा । कुछ देशों की युद्धजन्य परिस्थिति के कारण पेट्रोल-डीजल के भाव बढकर सर्वत्र प्रचंड महंगाई बढनेवाली है । अनाज, औषधियां, ईंधन आदि की प्रचंड कमी होनेवाली है । अनेक देशों को भुखमरी की समस्या का सामना करना पडेगा । युद्धजन्य स्थिति के कारण उत्पन्न आर्थिक मंदी का आघात बैंकों को भी होगा ।
संक्षेप में कहा जाए, तो प्रत्येक परिवार को आर्थिक संकटों का सामना करना पडेगा, ऐसी स्थिति आनेवाली है । आगे जाकर इस युद्ध का रूपांतरण विश्वयुद्ध में होनेवाला है । अतः अब तीसरा विश्वयुद्ध भी बहुत दूर नहीं । भारत में भी धार्मिक ध्रुवीकरण के कारण सर्वत्र दंगे और हिंसक घटनाएं होनेवाली हैं । उसके कारण सामाजिक असुरक्षितता का प्रश्न उत्पन्न होगा । आने वाले समय में सत्ता पर कोई भी हो, तब भी देश की स्थिति अराजकसदृश्य होगी । कोई भी राजनीतिक दल इस अराजकता को रोक नहीं सकता । इसलिए इस आपातकाल में कोई भी राजनीतिक आपकी रक्षा करेगा, इस भ्रामक अपेक्षा में न रहें !
आनेवाले भीषण काल में आध्यात्मिक सुरक्षा-कवच हुए बिना सुरक्षित जीवन व्यतीत करना संभव नहीं होगा; इसीलिए संकटकाल में केवल भगवान की ही शरण में जाते हैं । हमारे सौभाग्यवश ईश्वर का सगुण रूप संत पृथ्वी पर हैं । इन गुरुरूपी संतों की शरण जाएं और उनके मार्गदर्शन में साधना करें । गुरुरूपी संतों की कृपा का कवच और साधना का आध्यात्मिक बल ही अगले ४-५ वर्षाें के पृथ्वी से सबसे अनिष्ट काल में हमारे तारनहार बनेंगे, इसके प्रति श्रद्धा रखें !’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था.