दीपावली के उपलक्ष्य में की जानेवाली प्रार्थना !

‘हे प्रभु, हमारे ऋषि-मुनियों ने जिस उद्देश्य से त्योहार-उत्सवों का प्रयोजन किया है, उसका गर्भितार्थ हम समझ पाएं ! उस दृष्टिकोण से हम खरी दिवाली मना पाएं, ऐसी आपके श्रीचरणों में प्रार्थना है !’

बलि प्रतिपदा का महत्त्व !

बलि प्रतिपदा के दिन भूमि पर पंचरंगी रंगोली द्वारा बलि एवं उनकी पत्नी विंध्यावली के चित्र बनाकर उनकी पूजा करते हैं । इसके पश्चात बलि के नाम पर दीप एवं वस्त्र का दान करते हैं ।

यमदीपदान

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को, अर्थात यमदीपदान के दिन अपमृत्यु निवारणार्थ ‘श्री यमधर्मप्रीत्यर्थं यमतर्पणं करिष्ये ।’ ऐसा संकल्प कर यम के १४ नामों से तर्पण करें ।

गोवर्धनपूजा का महत्त्व !

बलि प्रतिपदा के दिन गोवर्धनपूजा करने की प्रथा है । भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन इंद्रपूजन के स्थान पर गोवर्धनपूजन आरंभ करवाया था । इसके स्मरणार्थ इस दिन गोवर्धन पूजन किया जाता है ।

भैयादूज

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित कर उनको तिलक लगाया तथा अपने हाथों से स्वादिष्ट भोजन कराया ।

धनतेरस के शुभ अवसर पर धर्मप्रसार के कार्य हेतु ‘सत्पात्र-दान’ कर श्री लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें !

‘धन’ अर्थात शुद्ध लक्ष्मी ! इस दिन मनुष्य के पोषण हेतु सहायता करनेवाले धन (संपत्ति) की पूजा की जाती है ।

भैयादूज के निमित्त बहन को उपहार के रूप में चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन संस्था के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति गौरव बढानेवाले ‘सनातन प्रभात’ का सदस्य बनाकर अनोखा उपहार दीजिए ! 

‘भाई उसकी रक्षा करे’, इसके लिए वह भाई की आरती उतारती है और तब भाई बहन को उपहार देता है । इस उपलक्ष्य में बहन को विशेष उपहार देने की पद्धति है ।

प्रयागराज में कुंभपर्व के समय की साधना का मिलता है १ सहस्र गुना फल ! इस अवधि में धर्मप्रसार की सेवा (समष्टि साधना) में सम्मिलित हों !

प्रयागराज में कुंभमेले की अवधि में सर्वत्र के साधकों को सेवा का अनमोल अवसर !

कुंभपर्व में सेवा के लिए अच्छी स्थिति में दोपहिया तथा चारपहिया वाहनों की आवश्यकता है !

कुंभकाल में धर्मप्रसार की सेवा करने के लिए भारतभर से अनेक धर्मप्रेमी तथा साधक प्रयाग में रहने के लिए आएंगे ।

प्रयागराज में होनेवाले कुंभपर्व के लिए वहां अपनी वास्तु उपयोग हेतु देकर, धर्मकार्य में सहभागी हों !

निवास की दृष्टि से, तथा विविध सेवाओं के लिए प्रयाग में वास्तु की (घर, सदनिका [फ्लैट], सभागृह [हॉल] की) आवश्यकता है ।