साधको, ‘आध्यात्मिक कष्ट के कारण नहीं, अपितु स्वयं में विद्यमान स्वभावदोषों एवं अहं के पहलुओं के कारण चूकें हो रही हैं’, इसे ध्यान में लेकर उनके निर्मूलन के लिए प्रयास कीजिए !
‘अनेक साधकों को तीव्र अथवा मध्यम स्तर का आध्यात्मिक कष्ट है । ‘व्यष्टि अथवा समष्टि साधना में चूकें होने पर कुछ साधकों के मन में ‘मुझे हो रहे आध्यात्मिक कष्ट के कारण यह चूक हुई’, यह विचार आ रहा है, ऐसा ध्यान में आया है ।