साधको, कलियुग में भगवद्गीता समान नियतकालिक ‘सनातन प्रभात’ का पठन और अध्ययन नियमित करें !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळ

‘बहुत से साधक नियतकालिक ‘सनातन प्रभात’ नहीं पढते, यह ध्यान में आया है । ऐसे साधक ध्यान दें कि ‘उनमें सीखने की वृत्ति का अभाव है’ और उसे बढाने के लिए प्रयत्न करें । इस नियतकालिक के माध्यम से राष्ट्र, धर्म तथा अध्यात्म संबंधी अनमोल मार्गदर्शन मिलता है । इसलिए साधकों को ‘सनातन प्रभात’ पढने के लिए और उसके अध्ययन के लिए नियमित समय देना अपेक्षित है ।

सेवा की व्यस्तता के कारण संपूर्ण नियतकालिक पढना संभव न हो, तो राष्ट्र और धर्म पर आघात करनेवाली घटनाएं, साधना और गुरुसेवा से संबंधित महत्त्वपूर्ण सूचनाएं, संतों के मार्गदर्शन पर लेख आदि स्तंभ प्रधानता से पढें । अन्य स्तंभ समय की उपलब्धता के अनुसार पढ सकते हैं । समष्टि सेवा करनेवाले साधकों को ‘प्रतिदिन समाज में क्या घटनाएं घटती
हैं ?’ यह जानना आवश्यक है । इस दृष्टि से उनका प्रत्येक अंक नियमित पढना अनिवार्य है ।

‘साधको, श्री गुरु का चैतन्यदायी नियतकालिक ‘सनातन प्रभात’ नियमित पढें और उसकी सीख के अनुसार आचरण कर गुरुकृपा प्राप्त करें !’ – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१०.१०.२०२२)