शारदीय नवरात्रि : नवरात्रि में देवीपूजन कैसे करें ?

नवरात्रोत्‍सव मनाने का अर्थ है अखंड प्रज्‍वलित नंदादीप के माध्‍यम से नौ दिन आदिशक्‍ति की पूजा करना । नवरात्रि में वायुमंडल देवी की शक्‍तिरूपी तेजतरंगों से पूरित रहता है । दीप तेज का प्रतीक है । अत: दीप की ज्‍योति की ओर ये तेजतरंगें आकर्षित होती हैं ।

कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न आपातकालीन स्थि‍ति में नवरात्रोत्सव कैसे मनाना चाहिए ?

जहां नवरात्रोत्‍सव मनाने पर प्रतिबंध अथवा मर्यादाएं हैं, ये सूत्र इसी संदर्भ में हैं । जहां प्रशासन के सभी नियमों का पालन कर सामान्‍य की भांति उत्‍सव मनाना संभव है, ऐसे स्‍थानों पर सामान्‍य की भांति कुलाचार करें ।

बुद्धिजीवियों के द्वारा धर्म के प्रति लगाए जा रहे मिथ्‍या आरोपों का खंडन कर अपने धर्मकर्तव्‍य का निर्वहन करें !

‘स्‍वयं को बडे विज्ञानवादी कहलानेवाले आजकल के बुद्धिजीवी, तथाकथित आधुनिकतावादी एवं नास्‍तिकतावादी लोग सदैव यह क्षोभ व्‍यक्‍त करते रहते हैं कि देश में व्‍यर्थ ही धर्म को अत्‍यधिक महत्त्व दिया जा रहा है ।

सनातन की ग्रंथमाला – देवी की उपासना एवं उसका अध्यात्मशास्त्र

हलदी, कुमकुम आदि पूजासामग्री का महत्त्व एवं विशेषताएं समझाकर उनके प्रति आस्‍था निर्माण करनेवाले तथा पूजासामग्री के घटकों के संदर्भ में होनेवाली सूक्ष्म स्‍तरीय प्रक्रिया दर्शानेवाले ‘सूक्ष्म ज्ञानसंबंधी चित्रों’ से युक्‍त ग्रंथ !

घर बैठे विविध प्राचीन मंदिरों का दर्शन दिलानेवाला स्तंभ : श्री त्रिपुरसुंदरी देवी दर्शन

त्रिपुरा राज्‍य के अगरतला से २ घंटे की दूरी पर स्‍थित उदयपुर गांव में श्री त्रिपुरसुंदरी देवी का शक्‍तिपीठ है । त्रिपुरसुंदरी देवी का मंदिर कछुए के आकार के टीले पर होने से इस स्‍थान को ‘कूर्मपीठ’ भी कहते हैं । इस मंदिर में २ देवियों की मूर्तियां हैं ।

कोरोना महामारी के कारण उत्‍पन्‍न आपातकालीन स्‍थिति में दशहरा कैसे मनाना चाहिए ?

कर्मकांड की साधना के अनुसार आपातकाल के कारण किसी वर्ष कुलाचार के अनुसार कोई व्रत, उत्‍सव अथवा धार्मिक कृत्‍य पूरा करना संभव नहीं हुआ अथवा उस कर्म में कोई अभाव रहा, तो अगले वर्ष अथवा आनेवाले काल में जब संभव हो, तब यह व्रत, उत्‍सव अथवा धार्मिक कृत्‍य अधिक उत्‍साह के साथ करें ।

‘दशहरे के दिन अश्मंणतक की पत्तियों पर होनेवाले सकारात्मक परिणाम’ संबंधी विशेषतापूर्ण अनुसंधान !

अश्‍मंतक के पत्तों पर दशहरे के दिन क्‍या परिणाम होता है  इसका वैज्ञानिक अध्‍ययन करने के लिए रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यूएएस (यूनिवर्सल ऑरा स्‍कैनर)’ उपकरण का उपयोग किया गया ।

दशहरा कैसे मनाएं !

दशहरे के पहले नौ दिनों की नवरात्रि में दसों दिशाएं देवी की शक्‍ति से प्रभारित होती हैं एवं उन पर नियंत्रण प्राप्‍त होता है, अर्थात दसों दिशाओं के दिक्‌भव, गण इत्‍यादि पर नियंत्रण प्राप्‍त होता है, इससे दसों दिशाओं पर विजय प्राप्‍त होती है ।

शरद (कोजागरी) पूर्णिमा

‘इस दिन नवान्‍न (नए धान्‍य से) भोजन बनाते हैं । इस व्रत के रात्रिकाल में लक्ष्मी एवं ऐरावत पर बैठे इंद्र की पूजा की जाती है । पूजा के पश्‍चात देव व पितरों को कच्‍चा चिवडा (पोहे) एवं नारियल का जल समर्पित कर उसका प्राशन नैवेद्य के रूप में करते हैं

करवा चौथ

विवाहित स्‍त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्‍वास्‍थ्‍य की मंगलकामना करके भगवान रजनीनाथ को (चंद्रमा को) अर्घ्‍य अर्पित कर व्रत का समापन करती हैं ।