बुद्धिजीवियों के द्वारा धर्म के प्रति लगाए जा रहे मिथ्‍या आरोपों का खंडन कर अपने धर्मकर्तव्‍य का निर्वहन करें !

पू. श्री. संदीप आळशी

     ‘स्‍वयं को बडे विज्ञानवादी कहलानेवाले आजकल के बुद्धिजीवी, तथाकथित आधुनिकतावादी एवं नास्‍तिकतावादी लोग सदैव यह क्षोभ व्‍यक्‍त करते रहते हैं कि देश में व्‍यर्थ ही धर्म को अत्‍यधिक महत्त्व दिया जा रहा है । ईश्‍वर आदि कुछ नहीं है और यदि है तो हमें दिखाएं ! न्‍यूटन, आइन्‍स्‍टीन जैसे पाश्‍चात्‍य वैज्ञानिकों ने आधुनिक विज्ञान में बडे-बडे आविष्‍कार किए; परंतु अंत में उन्‍होंने भी मन से यह स्‍वीकार किया कि ‘विज्ञान के आधार पर विश्‍व में समाहित अनेक रहस्‍यों को उजागर करना उनके लिए संभव नहीं हुआ ।
विश्‍व में होनेवाली अनेक घटनाआें के पीछे कार्यरत अथवा विश्‍व को संचालित करनेवाली सूक्ष्म वैश्‍विक अथवा ईश्‍वरीय शक्‍ति का निश्‍चितरूप से अस्‍तित्‍व है ।’ आज ‘इसरो’ के (‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ के) वैज्ञानिक अंतरिक्ष में कोई भी नया यान अथवा उपग्रह भेजने से पूर्व उसकी सफलता के लिए उनकी निर्मिति के प्रत्‍येक चरण में तिरुपति बालाजी मंदिर अथवा अन्‍य मंदिरों में जाकर भगवान से मनौती मांगते हैं, साथ ही भगवान की पूजा आदि करते हैं ।’ आजकल के इन बुद्धिजीवी, तथाकथित आधुनिकतावादी और नास्‍तिक लोगों को क्‍या ऐसा लगता है कि वे इन महान वैज्ञानिकों से भी अधिक बुद्धिमान हैं ?’
‘ईश्‍वर का अस्‍तित्‍व अस्‍वीकार करने के विषय पर देशवासियों को धर्म से दूर ले जानेवाले अथवा धर्मनिंदा करनेवालों के मिथ्‍या आरोप शांति से सुनना भी एक प्रकार से धर्मद्रोह ही है । वैसा न हो; इसके लिए इन आरोपों का समर्थता से खंडन कर अपने धर्मकर्तव्‍य का निर्वहन करें !’ – (पू.) श्री. संदीप आळशी (२३.९.२०१९)