१७ अक्टूबर (आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा) से २५ अक्टूबर (आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी) की अवधि में शारदीय नवरात्रोत्सव मनाया जाएगा । पूरे भारत में अत्यंत उत्साह एवं भक्तिमय वातावरण में नवरात्रि के व्रत का पालन किया जाता है माता जगदंबा की कृपा प्राप्त करने हेतु श्रद्धापूर्वक उपवासादि आराधना की जाती है । नवरात्रि की अवधि में घटस्थापना, मालाबंधन, अखंडदीप, सप्तशतीपाठ, घडा फूंकना, डांडिया खेलना आदि कृत्य देवी के व्रत के ही विविध अंग हैं । इस लेख के माध्यम से देवी के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति में अधिकाधिक वृद्धि हो; जगज्जननी श्री जगदंबा के चरणों में यह प्रार्थना !
नवरात्रि में देवीपूजन कैसे करें ?
घटस्थापना क्यों करनी चाहिए ?
नवरात्रि के व्रत के लिए घर में किसी पवित्र स्थान पर वेदी बनाकर, उसपर सिंहारूढ अष्टभुजादेवी एवं नवार्ण यंत्र की स्थापना करें । घर में घटपूजन करने से हमें आदिशक्ति श्री दुर्गादेवी के तत्त्व का अधिकाधिक लाभ होता है तथा वास्तु भी चैतन्यमय बनता है ।
देवी का पूजन कैसे करें ?
देवी को अनामिका सेे तिलक लगाएं । देवी को मोगरा, गुलदाउदी, रजनीगंधा, कमल व जूही के फूल चढाएं । फूल एक अथवा नौ गुना संख्या में, डंठल देवी की ओर कर गोलाकार पद्धति से चढाएं । गोलाकार का भीतरी भाग रिक्त हो । देवी की दो अगरबत्तियों एवं नीरांजन से घडी की दिशा में, उनकी छाती से भ्रूमध्य तक गोलाकार आरती उतारें । देवी की एक अथवा नौ गुना संख्या में परिक्रमा करें ।
कुमकुमार्चन का महत्त्व
विधि : देवी का नामजप करते हुए एक-एक चुटकी कुमकुम देवी के चरणों से सिर तक चढाते जाएं अथवा उन्हें कुमकुम से स्नान कराएं । कुछ स्थानों पर कुमकुम केवल चरणों पर चढाया जाता है ।
धर्मशास्त्र : शक्तितत्त्व की निर्मिति लाल प्रकाश से हुई है । कुमकुम में शक्तितत्त्व आकर्षित करने की क्षमता अधिक है; अत: देवी की मूर्ति का कुमकुमार्चन करने पर वह जागृत होती है । जागृत मूर्ति का शक्तितत्त्व कुमकुम में अवतरित होता है । इसे लगाने से उसमें विद्यमान देवी की शक्ति हमें प्राप्त होती है ।
नवरात्रि में कुमारिकापूजन क्यों करें ?
नवरात्रि में प्रतिदिन एक कुमारिका को अथवा एक ही दिन नौ कुमारिकाओं को घर पर बुलाएं । कुमारिका अप्रकट शक्तितत्त्व का प्रतीक है । कुमारिका में संस्कार भी अल्प मात्रा में व्यक्त होते हैं । अत: उसकी पूजा करने से हमें सगुण देवीतत्त्व का अधिकाधिक लाभ होता है । कुमारिका में विद्यमान देवीतत्त्व जागृत हो गया है, इस भाव से उसकी पाद्यपूजा करें । उसे आदिशक्ति का रूप मानकर भोजन एवं नए वस्त्र देकर भावपूर्वक नमस्कार करें ।
नवरात्रि में अखंड दीपप्रज्वलन क्यों करें ?
नवरात्रोत्सव मनाने का अर्थ है अखंड प्रज्वलित नंदादीप के माध्यम से नौ दिन आदिशक्ति की पूजा करना । नवरात्रि में वायुमंडल देवी की शक्तिरूपी तेजतरंगों से पूरित रहता है । दीप तेज का प्रतीक है । अत: दीप की ज्योति की ओर ये तेजतरंगें आकर्षित होती हैं । दीपप्रज्वलन से इन तरंगों का वास्तु में भ्रमण होता है एवं वास्तु में तेज संवर्धित होता है । इससे श्रद्धालु सहज लाभान्वित होते हैं ।
नवरात्रि में देवी का जप अधिकाधिक करें !
नवरात्रि में श्री दुर्गादेवी का तत्त्व सदैव की तुलना में १,००० गुना अधिक रहता है । इस तत्त्व का हमें बडी मात्रा में लाभ हो, इस हेतु पूरे नौ दिन तक ‘श्री दुर्गादेव्यै नम:’, यह नामजप अधिकाधिक करें ।
आरती कैसे करें ?
आरती आरंभ करने से पूर्व तीन बार शंखनाद करें ।
अर्थ समझकर आरती गाएं । ताली एवं वाद्य धीमे बजाएं ।
देवता की पूर्ण गोलाकार आरती करें ।
आरती हो जाने पर हथेलियों को दीप पर रख, तदुपरांत दाईं हथेली को सिर पर आगे से पीछे गरदन तक फेरें ।
अंत में देवता की परिक्रमा करें । यदि सुविधाजनक न हो, तो एक ही स्थान पर खडे-खडे ३ बार परिक्रमा करें ।
(अधिक जानकारी हेतु पढें : सनातन के ग्रंथ ‘शक्तिका परिचयात्मक विवेचन’ एवं ‘शक्तिकी उपासना’ तथा लघुग्रंथ ‘देवीपूजनका अध्यात्मशास्त्र’)