कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी (४ नवंबर)
विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की मंगलकामना करके भगवान रजनीनाथ को (चंद्रमा को) अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करती हैं । यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है ।
करक चतुर्थी को ही ‘करवा चौथ’ भी कहा जाता है । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी केवल रजनीनाथ की पूजा नहीं होती; अपितु शिव-पार्वती व स्वामी कार्तिकेय की भी पूजा होती है । शिव-पार्वती की पूजा का विधान इस हेतु किया जाता है कि जिस प्रकार शैलपुत्री पार्वती ने घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया, वैसा ही उन्हें भी मिले ।
(संदर्भ : कल्याण अंक, गीता प्रेस, गोरखपुर)