नूतन आध्यात्मिक अनुसंधान करनेवाला महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा ‘यूूएएस (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण के माध्यम से किया वैज्ञानिक परीक्षण
‘आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी, अर्थात ‘दशहरा’ साढे तीन मुहूर्तोें में से एक है । दशहरे के दिन अश्मंतक के पत्ते देने का विशेष महत्त्व है । वर्ष २०१८ में परात्पर गुरु पांडे महाराजजी ने और सनातन के एक साधक ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को दशहरे के निमित्त अश्मंतक के पत्ते दिए थे । ‘अश्मंतक के पत्तों पर दशहरे के दिन क्या परिणाम होता है इसका वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यूएएस (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण का उपयोग किया गया । इस परीक्षण का स्वरूप, की गई गणनाआें की प्रविष्टियां और उनका विवरण आगे दिया है ।
१. परीक्षण का स्वरूप
सनातन के देवद आश्रम के एक संत परात्पर गुरु पांडे महाराजजी और एक साधक द्वारा दशहरे निमित्त भेजे गए अश्मंतक के पत्ते और तुलना के लिए रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम के उद्यान के पत्तों की दशहरे से एक दिन पहले और दशहरे के दिन ‘यूएएस’ उपकरण द्वारा की गई गणनाआें की प्रविष्टियांं ली गईं । इन सभी प्रविष्टियों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया ।
पाठकों को सूचना : स्थान के अभाववश इस लेख में ‘यूएएस’ उपकरण का परिचय’, ‘उपकरण द्वारा किए जानेवाले परीक्षण के घटक और उनका विवरण’, ‘घटक का प्रभामंडल नापना’, ‘परीक्षण की पद्धति’ और ‘परीक्षण में समानता आने के लिए
ली गई सावधानी’, ये नियमित सूत्र सनातन संस्था की goo.gl/tBjGXa इस लिंक पर दिए हैं । इस लिंक में कुछ अक्षर कैपिटल (Capital) हैं ।
२. की गई गणनाआें की प्रविष्टियां और उनका विवेचन
२ अ. नकारात्मक ऊर्जा संबंधी गणनाआें की प्रविष्टियों का विवेचन
२ अ १. परीक्षण में प्रयूक्त तीनों अश्मंतक के पत्तों में ‘इन्फ्रारेड’ और ‘अल्ट्रावायोलेट’ नकारात्मक ऊर्जा नहीं पाई गई ।
२ आ. सकारात्मक ऊर्जा संबंधी गणनाआें की प्रविष्टियों का विवेचन
सभी व्यक्ति, वास्तु अथवा वस्तुआें में सकारात्मक ऊर्जा होना आवश्यक नहीं है ।
२ आ १. दशहरे के दिन परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए गए अश्मंतक के पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में सर्वाधिक वृद्धि होना : परीक्षण किए तीनों पत्तों में दशहरे से एक दिन पहले भी सकारात्मक ऊर्जा थी । दशहरे के दिन तीनों पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा में हुई वृद्धि आगे दे रहे हैं ।
उपर्युक्त सारणी से निम्नांकित सूत्र ध्यान में आए ।
१. दशहरे के दिन आश्रम के उद्यान के पत्तों की तुलना में साधक द्वारा दिए पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में अधिक वृद्धि हुई ।
२. दशहरे के दिन परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए अश्मंतक के पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में सर्वाधिक वृद्धि हुई ।
२ इ. कुल प्रभामंडल (टिप्पणी) संबंधी गणनाआें की प्रविष्टियों का विवेचन
टिप्पणी कुल प्रभामंडल : व्यक्ति के संदर्भ में उसकी लार तथा वस्तुआें के संदर्भ में उसपर लगे धूलिकण अथवा उसके थोडे से भाग का ‘नमूने’ के रूप में उपयोग कर उस व्यक्ति का अथवा वस्तु का ‘कुल प्रभामंडल’ नापते हैं ।
सामान्य व्यक्ति अथवा वस्तु का कुल प्रभामंडल सामान्यत: १ मीटर होता है ।
२ इ १. दशहरे के दिन परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए अश्मंतक के पत्तों के कुल प्रभामंडल में सर्वाधिक वृद्धि होना
उपरोक्त सारणी से ध्यान में आए सूत्र ।
१. दशहरे के दिन आश्रम के उद्यान के पत्तों की तुलना में साधक द्वारा दिए पत्तों के कुल प्रभामंडल में अधिक वृद्धि हुई ।
२. दशहरे के दिन परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए गए अश्मंतक के पत्तों के कुल प्रभामंडल में सर्वाधिक वृद्धि हुई ।
उपर्यूक्त सभी सूत्रों के विषय में अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण ‘सूत्र ३’ में दिया है ।
३. गणनाआें की प्रविष्टियों का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण
३ अ. परीक्षण में प्रयुक्त तीनों अश्मंतक के पत्तों में दशहरे से एक दिन पहले भी सकारात्मक ऊर्जा होने का कारण : ‘अन्य वृक्षों की तुलना में अश्मंतक के पत्तों में हरितद्रव्य अधिक होता है । जिस समय इन पत्तों पर सूर्यकिरण गिरती हैं, उस समय उनमें विद्यमान तेजतत्त्व कार्यान्वित होना आरंभ होता है । पत्तों के माध्यम से प्रक्षेपित तेजतरंगों का परिणाम वातावरण में दीर्घकाल तक रहता है ।’ (संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘त्योहार मनाने की उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र’)
इस परीक्षण से इसमें प्रयुक्त तीनों अश्मंतक के पत्तों में तेजतत्त्व (चैतन्य) होने से दशहरे से एक दिन पहले भी उन पत्तों में सकारात्मक ऊर्जा पाई गई ।
३ आ. दशहरे से एक दिन पहले साधक द्वारा दिए गए अश्मंतक के पत्ते की अपेक्षा आश्रम के बगीचे के अश्मंतक के पत्ते में सकारात्मक ऊर्जा अधिक होने का कारण : सनातन के आश्रम में संत और साधकों का निवास, उनकी दैनिक साधना और अविरत रूप से चलनेवाले राष्ट्र-धर्म से संबंधित अतुलनीय कार्य के कारण सनातन के आश्रम और आश्रम परिसर में अत्यधिक सात्त्विकता (चैतन्य) है । इसका सकारात्मक परिणाम वहां के व्यक्ति, वनस्पति और वस्तुआें पर होता है । आश्रम के बगीचे के अश्मंतक के पत्तों पर वहां के चैतन्य का अच्छा परिणाम हुआ है । इसलिए साधक द्वारा दिए पत्ते की अपेक्षा आश्रम के बगीचे के अश्मंतक के पत्ते में अधिक सकारात्मक ऊर्जा पाई गई । इससे यह समझ में आता है कि ‘सात्त्विक वातावरण का वनस्पतियों पर अच्छा परिणाम होता है ।’
– श्री. अभिजीत कुलकर्णी, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा.
३ इ. दशहरे से एक दिन पहले परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए गए अश्मंतक के पत्ते में सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा होने का कारण : परात्पर गुरु पांडे महाराजजी ‘परात्पर गुरु’ पद के संत होने से उनमें बहुत चैतन्य है संतों के चैतन्य का परिणाम उनकी देह, उनके चारों ओर के वातावरण, उनके द्वारा उपयोग की गई वस्तुआें एवं उनके संपर्क में आनेवाले व्यक्तियों पर होता है । परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए गए पत्तों को उनका चैतन्यमय हस्तस्पर्श होने से उन पत्तों की सात्त्विकता बहुत बढ गई थी । इसलिए परीक्षण में दशहरे से एक दिन पहले संतों द्वारा (परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा) दिए अश्मंतक के पत्तों में सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा पाई गई । इससे ध्यान में आता है कि ‘संतों के चैतन्य का वनस्पतियों पर कितना सकारात्मक परिणाम होता है ।’
३ ई. दशहरे के दिन परीक्षण में अश्मंतक के तीनों पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में वृद्धि होने का कारण : आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी, अर्थात दशहरे का दिन साढे तीन मुहूर्तोें में से एक है । इस दिन ब्रह्मांडमंडल से दैवी स्पंदन भूमंडल की ओर अधिक आकृष्ट होते हैं और भूमंडल पर सक्रिय रहते हैं ।
दशहरे के दिन अश्मंतक के पत्तों में तेजतत्त्व अधिक जागृत होने के कारण उस दिन अश्मंतक के पत्ते देने का विशेष महत्त्व है । परीक्षण में प्रयुक्त अश्मंतक के तीनों पत्तों में तेजतत्त्व दशहरे के दिन अधिक जागृत हुआ, तथा पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में वृद्धि हुई । इससे यह ध्यान में आता है कि ‘हिन्दू धर्म में विशिष्ट तिथि पर विशिष्ट त्यौहार मनाने का अध्यात्मशास्त्र है’ ।
३ उ. दशहरे के दिन आश्रम के बगीचे के अश्मंतक के पत्तों की तुलना में साधक द्वारा दिए अश्मंतक के पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा में अधिक वृद्धि होने का कारण : गुरु अर्थात ईश्वर का सगुण रूप ! साधक के लिए गुरु ही उसका सर्वस्व होते हैं । साधक का गुरु के प्रति भाव होता है । इसलिए गुरु द्वारा बताई साधना वह लगन से करता है । दशहरे के निमित्त साधक ने कृतज्ञताभाव से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को अश्मंतक के पत्ते दिए थे । परीक्षण के अन्य पत्तों के समान साधक द्वारा दिए अश्मंतक के पत्तों में भी दशहरे के दिन अधिक तेजतत्त्व जागृत हुआ । उसके गुरु के प्रति भाव के कारण उस पत्ते के चैतन्य में और वृद्धि हुई । इस परीक्षण से बगीचे के पत्तों की तुलना में साधक द्वारा दिए अश्मंतक के पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा में दशहरे के दिन अधिक वृद्धि पाई गई । इससे साधकों में गुरु के प्रति भाव होने का महत्त्व ध्यान में आया ।
३ ऊ. दशहरे के दिन परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए गए अश्मंतक के पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा में सर्वाधिक वृद्धि होना : परात्पर गुरु पांडे महाराजजी का आध्यात्मिक अधिकार अधिक है, अत: वे परात्पर गुरु डॉक्टरजी को (परात्पर गुरु डॉ. आठवले को) गुरु के स्थान पर मानते हैं । उनका परात्पर गुरु डॉक्टरजी के प्रति अपार भाव है । उन्होंने दशहरे के निमित्त कृतज्ञताभाव से परात्पर गुरु डॉक्टरजी को अश्मंतक के पत्ते दिए थे । इन पत्तों में मूलत: ही (अर्थात दशहरे से एक दिन पहले भी) बहुत सात्त्विकता थी । यह पत्ते शिष्यभाव के ‘परात्पर गुरु’पद के संत ने (परात्पर गुरु पांडे महाराजजी ने) कृतज्ञताभाव से अपने गुरु को (परात्पर गुरु डॉक्टरजी को) दिए थे, इस कारण दशहरे के दिन उन पत्तों के तेजतत्त्व में (चैतन्य में) बहुत वृद्धि हुई । इस परीक्षण से यह ध्यान में आया कि परात्पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा दिए अश्मंतक के पत्तों की सकारात्मक ऊर्जा में दशहरे के दिन सर्वाधिक वृद्धि हुई ।’
– श्री. अभिजीत कुलकर्णी, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (२९.८.२०१९)
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