कोरोना महामारी के कारण उत्‍पन्‍न आपातकालीन स्‍थिति में दशहरा कैसे मनाना चाहिए ?

प्रश्‍न : दशहरा कैसे मनाना चाहिए ?
उत्तर : घर में प्रतिवर्ष हम जिन उपलब्‍ध शस्‍त्रों का पूजन करते हैं, उनकी तथा जीविका के साधनों की पूजा करें । एक-दूसरे को अश्‍मंतक के पत्ते देना संभव न हो, तो ये पत्ते केवल देवता को अर्पण करें ।

दृष्‍टिकोण

कर्मकांड की साधना के अनुसार आपातकाल के कारण किसी वर्ष कुलाचार के अनुसार कोई व्रत, उत्‍सव अथवा धार्मिक कृत्‍य पूरा करना संभव नहीं हुआ अथवा उस कर्म में कोई अभाव रहा, तो अगले वर्ष अथवा आनेवाले काल में जब संभव हो, तब यह व्रत, उत्‍सव अथवा धार्मिक कृत्‍य अधिक उत्‍साह के साथ करें ।
२. कोरोना महामारी की पृष्‍ठभूमि पर आपातकाल का आरंभ हो चुका है । द्रष्‍टा संत एवं भविष्‍यवेत्ताआें के बताए अनुसार आगामी २-३ वर्षों तक यह आपातकाल चलता ही रहेगा । इस काल में सामान्‍य की भांति सभी धार्मिक कृत्‍य करना संभव होगा ही, ऐसा नहीं है । ऐसे समय में कर्मकांड के स्‍थान पर अधिकाधिक नामस्‍मरण करें । कोई भी धार्मिक कृत्‍य, उत्‍सव अथवा व्रत का उद्देश्‍य भगवान का स्‍मरण कर स्‍वयं में सात्त्विकता को बढाना होता है । इसलिए प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को स्‍वयं में सात्त्विकता बढाने हेतु काल के अनुसार साधना करने का प्रयास करना चाहिए । काल के अनुसार आवश्‍यक साधना के संदर्भ में सनातन के आध्‍यात्मिक ग्रंथों में विस्‍तृत जानकारी दी गई है, साथ ही वह सनातन संस्‍था के www.sanatan.org जालस्‍थल पर उपलब्‍ध है ।’
– श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्‍ता, सनातन संस्‍था (५.१०.२०२०)