कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न आपातकालीन स्थि‍ति में नवरात्रोत्सव कैसे मनाना चाहिए ?

 

 ‘इस वर्ष १७ अक्‍टूबर से २४ अक्‍टूबर की अवधि में नवरात्रोत्‍सव मनाया जाएगा । कोरोना महामारी की पृष्‍ठभूमि पर लागू की गई यातायात बंदी, साथ ही अन्‍य प्रतिबंधों के कारण कुछ स्‍थानों पर सामान्‍य की भांति नवरात्रोत्‍सव मनाने पर मर्यादाएं (शर्ते) आनेवाली हैं । ऐसे समय में अनेक लोगों के मन में ‘नवरात्रोत्‍सव किस प्रकार मनाना चाहिए ?’, यह प्रश्‍न उठ रहा है । इस परिप्रेक्ष्य में हम यहां कुछ उपयुक्‍त सूत्र और उचित दृष्‍टिकोण दे रहे हैं –

            (टिप्‍पणी : जहां नवरात्रोत्‍सव मनाने पर प्रतिबंध अथवा मर्यादाएं हैं, ये सूत्र इसी संदर्भ में हैं । जहां प्रशासन के सभी नियमों का पालन कर सामान्‍य की भांति उत्‍सव मनाना संभव है, ऐसे स्‍थानों पर सामान्‍य की भांति कुलाचार करें ।)

प्रश्‍न : नवरात्रोत्‍सव में देवी के मंदिर में जाकर गोद भरना संभव न हो, तो क्‍या करना चाहिए ?

उत्तर : नवरात्रोत्‍सव में देवी के मंदिर में जाकर देवी की गोद भरना संभव न हो, तो घर पर पूजाघर में स्‍थित कुलदेवी की ही गोद भरें । गोद के रूप में देवी को अर्पित साडी का उपयोग प्रसाद के रूप में किया जा सकता है ।

प्रश्‍न : ललितापंचमी मनाना संभव न हो, तो क्‍या करना चाहिए ?

उत्तर : ‘हम ललितादेवी की पूजा कर रहे हैं’, इस भाव से घर में स्‍थित देवी की ही पूजा करें ।

प्रश्‍न : अनाज, फूल अथवा पूजासामग्री की अनुपलब्‍धता के कारण, साथ ही मालाबंधन जैसे धार्मिक कृत्‍य करना संभव न हो, तो क्‍या करना चाहिए ?

उत्तर : घटस्‍थापना हेतु उपयोग किए जानेवाले अनाज अथवा नवरात्रोत्‍सव में किए जानेवाले धार्मिक कृत्‍यों में प्रांतों के आधार पर भेद है । नवरात्रोत्‍सव तो कुलपरंपरा अथवा कुलाचार का भाग है । आपातकालीन मर्यादाआें के कारण घटस्‍थापना अथवा मालाबंधन जैसे धार्मिक कृत्‍य सामान्‍य की भांति करना संभव न हो, तो उपलब्‍ध सामग्री का उपयोग कर जितना करना संभव है, उतना करें । शेष सभी विधियां मन से (मानस उपचार) करें ।

प्रश्‍न : कुमारिकापूजन कैसे करना चाहिए ?

उत्तर : घर में कोई कुमारिका हो, तो उसका पूजन करें ! प्रतिबंधों के कारण कुमारिकाआें को घर बुलाकर पूजन करना संभव न हो, तो उसकी अपेक्षा अर्पण का सदुपयोग हो, ऐसे स्‍थानों पर अथवा धार्मिक कार्य करनेवाली संस्‍थाआें को कुछ धनराशि अर्पण करें ।

प्रश्‍न : गरबा खेलना अथवा गागर फूंकना (महाराष्‍ट्र में नवरात्रि की अष्‍टमी पर स्‍त्रियों द्वारा किया जानेवाला धार्मिक नृत्‍य का एक प्रकार) जैसे कृत्‍य संभव न हों, तो क्‍या करना चाहिए ?

उत्तर : गरबा खेलना अथवा गागर फूंकना जैसे धार्मिक कृत्‍यों का उद्देश्‍य होता है देवी की उपासना करते हुए जागना । ये धार्मिक कृत्‍य करना संभव न हो; तो कुलदेवी का नामस्‍मरण अथवा पोथीवाचन, संकीर्तन (स्‍तुतिवाचन भजन) कर देवी की उपासना कर सकते हैं ।

     कुलदेवी के नामस्‍मरण, साथ ही नवरात्रोत्‍सव की जानकारी सनातन के ग्रंथ ‘शक्‍तिका परिचयात्‍मक विवेचन’ एवं ‘शक्‍ति की उपासना’ में दी गई है । ये ग्रंथ www.sanatanshop.com जालस्‍थल पर ‘ऑनलाइन’ बिक्री हेतु उपलब्‍ध हैं, साथ ही जालस्‍थल पर नवरात्रोत्‍सव के संबंध में जानकारी भी उपलब्‍ध है ।

– श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्‍ता, सनातन संस्‍था. (५.१०.२०२०)