पितृपक्ष (महालय पक्ष) (आरंभ : २ सितंबर)
पितृपक्ष में दत्तात्रेय देवता का नाम जपने का महत्त्व : पितृपक्ष में ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप अधिकाधिक करने से पितरों को गति प्राप्त होने में सहायता मिलती है ।
पितृपक्ष में श्राद्धविधि (श्राद्धकर्म) करने के पश्चात पितरों के पिंड में अत्यधिक सकारात्मक परिवर्तन होना
‘पितृपक्ष में पितरों के लिए किए श्राद्ध का श्राद्धविधि में उपयोग किए पिंडों पर क्या परिणाम होता है ?’, इसका वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए २७.९.२०१८ को रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा एक परीक्षण किया गया ।
अधिक मास में सनातन संस्था के ग्रंथ और लघुग्रंथ अन्यों को देकर सर्वश्रेष्ठ ज्ञानदान का फल प्राप्त करें !
सभी पाठकों, हितचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र अनुरोध ! १. अधिक मास में ज्ञानदान का विशेष महत्त्व ! १८.९.२०२० से १६.१०.२०२० की अवधि में ‘अधिक मास’ है । शास्त्रकारों ने ‘अधिक मास में मंगलकार्य न कर विशेष व्रत और पुण्यकारी कृत्य करने चाहिए’, ऐसा बताया है । इस मास में दान देने से उसका कई … Read more
जलप्रलय की दृष्टि से भौतिक स्तर पर क्या पूर्वतैयारी करनी चाहिए ?
वर्षा ऋतु में अतिवृष्टि होने से जलप्रलय (बाढ) आता है । अन्य ऋतुआें में भी बादल फटने से जलप्रलय आ सकता है । ‘भविष्य में ऐसी स्थिति कब उत्पन्न हो जाए’, कहा नहीं जा सकता । इसलिए बाढग्रस्त क्षेत्रों के नागरिकों को किस प्रकार पूर्वतैयारी करनी चाहिए, इस संदर्भ में मार्गदर्शक सूत्र आगे दिए गए हैं ।
‘कोरोना’ विषाणु संक्रमण की पृष्ठभूमि पर अनिवार्य कारणों के लिए घर से बाहर निकलनेवाले व्यक्ति, साथ ही सर्दी, खांसी अथवा बुखार के लक्षणवाले व्यक्ति निम्नांकित कृत्य करें !
जिन्हें अनिवार्य कारणों के लिए अथवा नौकरी के कारण प्रतिदिन घर से बाहर जाना पडता है और भले ही उनमें सर्दी, खांसी अथवा बुखार के लक्षण न हों; परंतु तब भी वे प्रतिदिन २ – ३ बार ५ – ६ मिनट के लिए नाक के द्वारा भांप लें ।
पूर्वजों के कष्ट दूर होने हेतु पितृपक्ष में नामजप, प्रार्थना और श्राद्धविधि करें !
‘आजकल अनेक साधकों को अनिष्ट शक्तियों के कष्ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (२ से १७ सितंबर २०२० की अवधि में) इन कष्टों के बढने से इस अवधि में प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ’ नामजप करें ।
‘हिन्दी कौनसी ? संस्कृतनिष्ठ हिन्दी अथवा फारसीनिष्ठ ‘हिन्दुस्तानी’ ?’
वर्तमान में हमारे द्वारा उपयोग में लाई जानेवाली हिन्दी, शुद्ध नहीं; वह अरबी-फारसी-उर्दू-मिश्रित हिन्दी भाषा है । विदेशियों ने स्थूल आक्रमण के उपरांत भाषा पर आक्रमण किया ।
क्या बीती कश्मीरी हिन्दुओं पर ?
एक परिवार के लिए एक ही झोपडी; ४ हजार लोगों के लिए एक ही शौचालय; अन्न, जल इत्यादि मूलभूत सुविधाओं का अभाव !
…ऐसी स्थिति में कश्मीरी शरणार्थी यातनाओं से भरा जीवन जी रहे हैं !
हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था का ‘राष्ट्रध्वज का सम्मान करें’ अभियान !
वाराणसी (उ.प्र.) – सनातन संस्था की ओर से स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश में विशेष बालसंस्कार सत्संग का ‘ऑनलाइन’ आयोजन किया गया ।