दृश्यश्रव्य-चक्रिकाओं के माध्यम से भक्तों को हुए प.पू. बाबा के दर्शन !
गृहस्थाश्रमी होते हुए भी प.पू. बाबा योगीराज के रूप में भूतल पर अवतरित हुए !’’ इसमें परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने, प.पू. बाबा ने अपने गुरु श्री अनंतानंद साईश की सेवा कैसे की ? एक पैर पर खडे रहकर उन्होंने घंटों तक भजन कैसे गाए ?, इसके अनेक उदाहरण दिए हैं ।