हिन्‍दूद्वेषी लेखिका अरुंधती रॉय द्वारा जर्मन समाचार वाहिनी पर की गई भारत सरकार की आलोचना का हिन्दुत्‍वनिष्‍ठ मारिया वर्थ द्वारा किया खंडन

मारिया वर्थ

     १७ अप्रैल २०२० को ‘ड्‍वेच वेले’ (डीडब्‍ल्‍यू) नामक जर्मन समाचार वाहिनी ने, भारत के ‘हिन्‍दू मुसलमानों से सब्‍जियां नहीं खरीदते, ऐसी शिकायत करनेवाला समाचार दिखाकर एक महिला की और हिन्‍दूद्वेषी लेखिका अरुंधती रॉय की भारत विरोधी भेंटवार्ता प्रसारित की । इस आलोचना के परिप्रेक्ष्य में पाठकों के लिए प्रस्‍तुत है हिन्‍दुत्‍वनिष्‍ठ मारिया वर्थ द्वारा किया गया उसका खंडन !

‘ड्‍वेच वेले’ द्वारा एकांगी समाचार का प्रसारण !

     भारत में हिन्‍दुओं ने मुसलमान सब्‍जी विक्रेताओं का बहिष्‍कार किया, ऐसा वीडियो ‘ड्‍वेच वेेले’ (डीडब्‍ल्‍यू) नामक समाचार वाहिनी पर दिखाया गया; परंतु जब मौलवी कहते हैं, ‘अल्लाह ने कोरोना विषाणु हिन्‍दुओं को मार डालने के लिए भेजा है, इसलिए उसे सर्वत्र फैलाओ’, तब उसका समाचार इस वाहिनी पर प्रसारित नहीं किया जाता ।

कोरोना के काल में धर्मांधों का अत्‍यंत हीन आचरण

     यातायात बंदी के काल में धर्मांध धर्मप्रचारकों ने देश के विविध भागों में कोरोना फैलाया । उनकी जांच के लिए गए डॉक्‍टर और पुलिस पर पथराव किया । इतना ही नहीं कुछ धर्मांधों ने डॉक्‍टरों पर थूकना, अस्‍पताल में खुले में मल-मूत्र विसर्जन करना, अश्‍लील हावभाव करना, महिला परिचारिकाओं के सामने नग्‍न घूमना इत्‍यादि जैसे अत्‍यंत ही हीन और असभ्‍य आचरण किया । वे सब्‍जियों और नोट पर थूक रहे थे । इस विषय में अनेक वीडियो प्रसारित हुए । क्‍या गारंटी है कि ये धर्मांध सब्‍जी विक्रेता ये नहीं सोच रहे थे कि ‘हिन्‍दुओं की मृत्‍यु हो ।’ इस भय से कुछ स्‍थान पर हिन्‍दू  उनसे सब्‍जी खरीदने से बच रहे थे,  तो स्‍थिति को देखते हुए उस विषय में आश्‍चर्य करने जैसा कुछ भी नहीं है ।

‘ड्‍वेच वेले’ का भारतद्वेष !

     इस समाचार वाहिनी ने भारत की मोदी सरकार अल्‍पसंख्‍यकों के साथ भेदभाव कर रही है, ऐसी आलोचना करनेवाली अरुंधती रॉय की भेंटवार्ता प्रसारित की । यह सीधे-सीधे झूठ फैलाना है । पाकिस्‍तान में कोरोना संकट के समय हिन्‍दुओं में राशन वितरण भी नहीं किया जा रहा था । जीवित रहने के लिए उन्‍हें धर्मपरिवर्तन करने हेतु बाध्‍य किया जा रहा था; परंतु समाचार वाहिनी ने इसकी पूर्णत: अनदेखी की । अरुंधती रॉय ने ऐसा भी कहा कि मोदी शासन स्‍थापित होने के उपरांत समूह द्वारा अल्‍पसंख्‍यकों को मारने की घटनाएं बढी हैं । नरसंहार तो हिन्‍दुओं के रक्‍त में ही नहीं है । इसलिए न तो उन्‍होंने पहले कभी ऐसा किया और न ही आगे कभी करेंगे । इसके विपरीत गत १ सहस्र वर्षों से हिन्‍दुओं को ही जिहाद और धर्म-परिवर्तन का सामना करना पड रहा है । धर्मांधों ने ही ये हत्‍याकांड करवाए थे ।

अरुंंधती रॉय का कार्य अर्थात भारत के इस्‍लामीकरण का समर्थन !

     भारत में अल्‍पसंख्‍यकों पर अत्‍याचार होते हैं, यह असत्‍य संसार में फैलाने के लिए धर्मांधों को हिन्‍दुओं के विरोध में भडकाने का काम रॉय ने आरंभ किया है । वे भारत के विरोध में युद्ध छेडकर भारत के इस्‍लामीकरण और पाकिस्‍तान की नीतियों का समर्थन देने का कार्य कर रही हैं । रॉय और उनके गुट ने हिन्‍दुओं का ऐसा चित्रण किया है कि वे आक्रमक हैं । वे हिन्‍दुओं को कलंकित करने का प्रयत्न कर रही हैं; परंतु उन्‍हें स्‍मरण रहे कि पूरे विश्‍व में फैले हिन्‍दुओं से किसी को कभी कष्‍ट हुआ है, यह सुनने में नहीं आया । इसके विपरीत धर्मांध पूरे विश्‍व में संकट उत्‍पन्‍न करनेवाले और हिंसक प्रमाणित हुए हैं ।

सहिष्‍णु हिन्‍दू !

     हिन्‍दुओं की श्रद्धा धर्म पर आधारित है । उनके मत के अनुसार सद़्‍विवेकबुद्धि का उपयोग कर किया जानेवाला उचित आचरण धर्म है ! हिन्‍दू बच्‍चों को कभी भी गैरहिन्‍दुओं का द्वेष करने की सीख कभी नहीं दी जाती । कट्टरपंथियों में ‘भगवान केवल उनसे ही प्रेम करते हैं, दूसरे धर्म के बच्‍चों से प्रेम नहीं करते’ की सीख दी जाती है । हिन्‍दू इतने भोलेभाले हैं कि उन्‍हें कट्टरपंथियों के मन में व्‍याप्‍त इन दुष्‍ट विचारों का अता-पता भी नहीं चलता । वे उन्‍हें स्‍वयं को जो नहीं मिलते, वैसे विशेषाधिकार मूर्खता के कारण मुसलमान और ईसाईयों को दे देते हैं । लगभग १०० वर्ष पूर्व स्‍वामी विवेकानंदजी ने हमें सतर्क करते हुए कहा था कि धर्मांतरण करनेवाला एक व्‍यक्‍ति का अर्थ एक हिन्‍दू न्‍यून हुआ, ऐसा नहीं है, अपितु एक शत्रु का बढना है !’ योगी अरविंद ने यह अपेक्षा व्‍यक्‍त की थी कि जो हिन्‍दू धर्मांतरण कर धर्म से दूर गए हैं, उनका नए धर्म से विश्‍वास उठ जाएगा, जिसका उन्‍होंने दबाव में आकर अथवा लालच की बलि चढकर स्‍वीकार किया है ।

जिसे सत्‍य का अधिष्‍ठान प्राप्‍त है, ऐसे हिन्‍दू धर्म की महानता !

     जो सत्‍य है, उसे दबाव और प्रलोभन की आवश्‍यकता नहीं पडती । असत्‍य बलपूर्वक अथवा कानून का भय दिखाकर थोपा जाता है  उसके कारण सत् छोडकर अन्‍य बातें लोगों पर थोपी जाती हैं । हिन्‍दू मतप्रणाली निश्‍चित रूप से सत्‍य को पकडी हुई होती है । हिन्‍दू धर्म को स्‍वीकार करने के लिए किसी पर जबरदस्‍ती नहीं की जाती । ऐसा होते हुए भी अत्‍यंत संकटग्रस्‍त परिस्‍थितियों में भी यह धर्म टिका रहा और अब पाश्‍चात्‍य देशों में रहनेवाले लोग चर्च से उबकर स्‍वयंप्रेरणा से हिन्‍दू धर्म का स्‍वीकार कर रहे हैं । भारतीय तत्त्वज्ञान जब पाश्‍चात्‍य लोगों की समझ में आ गया, तभी आधुनिक विज्ञान ने सभी की निर्मिति एक ही शक्‍ति से होने का अविष्‍कार किया । जिन देशों में हिन्‍दू धर्म की जडें मजबूत हैं, जहां संस्‍कृत जैसी परिपूर्ण, प्रतिष्‍ठित और शक्‍तिशाली भाषा सिखाई जाती हो, जिस तत्त्वज्ञान के कारण परमाणुशक्‍ति के शोध को प्रेरणा मिली, जहां रामायण और महाभारत का अध्‍ययन किया जाता हो और जहां बच्‍चे ‘सर्वेऽत्र सुखिनः सन्‍तु’ का पारायण करते हों, उस देश में किसी को चिंता करने की आवश्‍यकता ही नहीं है ।

हिन्‍दू धर्म में निहित तत्त्वज्ञान उचित ही है !

     जो भारतीय इस्‍लाम अथवा ईसाई पंथों में धर्मांतरित हुए हैं, क्‍या उन्‍हें उनके पूर्वजों के योगदान के प्रति गर्व नहीं प्रतीत होता ? भारत गौरवशाली संस्‍कृति का मूल स्‍थान है । भारत पहले ज्ञान का भंडार था और पृथ्‍वी पर सबसे धनवान देश था । भारत में छात्रों को संस्‍कृत भाषा में ‘सर्वेऽत्र सुखिनः सन्‍तु’ का परायन करने के लिए कहा जाता हो, तो उसपर मुसलमान और ईसाई आपत्ति दर्शा ही नहीं सकते । ‘यह सीख जातिवादी है’, ऐसा कहना विद्वेषपूर्ण है । ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम्’ (अर्थ : संपूर्ण पृथ्‍वी ही एक परिवार है) कहनेवाले नहीं; अपितु अयोग्‍य तत्त्वज्ञान आत्‍मसात करनेवाले ही समाज को विभाजित कर रहे हैं ।

     मानवता की भलाई के लिए लाखों वर्षों से चिरंतन और अमूल्‍य तत्त्वज्ञान प्रदान करनेवाली भारतमाता के प्रति पूरा विश्‍व एक दिन निश्‍चित रूप से कृतज्ञता व्‍यक्‍त करेगा !

– मारिया वर्थ, जर्मन लेखिका