(कहते हैं) ‘लव जिहाद’ को रोकने हेतु कानून बनाना संविधान विरोधी !

देश को विभाजित करने के लिए और धार्मिक सामंजस्य बिगाडने के लिए भाजपा ने ‘लव जिहाद’ शब्द की उत्पत्ति की है ।

‘शॉर्ट्स’ (अशोभनीय कटे हुए परिधान ) के माध्यम से श्रीगणपति की खिल्ली उड़ाने के लिए ब्राजील की संस्था ने क्षमायाचना की !

दक्षिण अमेरिकी देश ब्राज़ील में हिन्दुओं के संगठित विरोध के कारण, ’जॉन कॉट्रे ´ प्रतिष्ठान ने भगवान श्रीगणेश के अपने व्यंग्यात्मक विज्ञापनों को वापस ले लिया है।

भगवान दत्तात्रेय के तारक और मारक नामजप का तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित साधकों पर हुआ परिणाम

समाज के अनेक लोगों को अनिष्‍ट शक्‍तियों का (आध्‍यात्मिक) कष्‍ट होता है । अनिष्‍ट शक्‍तियों के कारण व्‍यक्‍ति को शारीरिक और मानसिक कष्‍ट होते हैं तथा जीवन में अन्‍य बाधाएं भी आती हैं । अनिष्‍ट शक्‍तियों के कष्‍ट के कारण साधकों की साधना में भी बाधाएं आती हैं; परंतु दुर्भाग्‍य से अनेक लोग इस कष्‍ट से अनभिज्ञ होते हैं ।

आपराधिक पृष्‍ठभूमि के नेताआें के विरुद्ध कार्रवाई न होना, लोकतंत्र की शोकांतिका है !

‘भारतवर्ष में प्रभु श्रीराम, विक्रमादित्‍य, चंद्रगुप्‍त, समुद्रगुप्‍त, हरिहर एवं बुक्‍क जैसे अनेक तेजस्‍वी एवं धर्माधिष्‍ठित राजा हुए । महाराष्‍ट्र को तो छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज और पेशवा के रूप में धर्माधिष्‍ठित राजा मिले, जिन्‍होंने वास्‍तव में श्रीविष्‍णु की भांति अपनी प्रजा का रक्षण और पालन-पोषण किया; परंतु वर्तमान लोकतंत्र में इसका ठीक उलटा अनुभव हो रहा है ।

भारत-चीन सीमाविवाद के समझौते के लिए ‘शिमला समझौता’

१०६ वर्ष पूर्व लंडन के सरकारी मुख्‍यालय से शिमला को एक तार भेजा गया; किंतु तार पहुंचने में विलंब हुआ और तभी ‘मैकमोहन रेखा’ नाम की संतति ने जन्‍म लिया । वर्ष १९७१ के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध के उपरांत इन देशों के मध्‍य हुआ ‘शिमला समझौता’ सभी को ज्ञात है ।

ऐतिहासिक, सांस्‍कृतिक और पौराणिक प्रमाणों के अनुसार भारत मानवसृष्‍टि का पहला राष्‍ट्र होना और वेदों में भी वैसा उल्‍लेख होना

सभी प्रकार के ऐतिहासिक, सांस्‍कृतिक और पौराणिक प्रमाणों से यह स्‍पष्‍ट हुआ है कि भारत मानवसृष्‍टि का पहला राष्‍ट्र है । वेदों में भी ३४ स्‍थानों पर राष्‍ट्र का उल्‍लेख आया है । यदि राष्‍ट्र ही नहीं रहा, तो राष्‍ट्रीयता, राष्‍ट्रप्रेम और राष्‍ट्रभक्‍ति की भावना देश की भावी पीढी में जागृत रखना कैसे संभव होगा ?

सनातन के गुरु-शिष्‍य संबंधी ग्रंथ पढें !

शिष्‍य को केवल गुरुकृपा से ही मोक्ष प्राप्‍त हो सकता है ! – ग्रंथ – गुरुका महत्त्व, प्रकार एवं गुरुमन्‍त्र
ग्रंथ – गुरुका शिष्‍योंको सिखाना एवं गुरु-शिष्‍य सम्‍बन्‍ध

‘रेफ्रिजरेटर’ के कारण अन्नि पदार्थों पर होनेवाले दुष्पररिणाम !

इस भागदौड भरे जीवन में समय के अभाव के कारण महिलाएं सप्‍ताह में एक ही बार बाजार से फल, सब्‍जियां एवं अन्‍य पदार्थ लाकर फ्रिज में रखती हैं तथा आवश्‍यकता के अनुसार वे उनका उपयोग करती हैं । इसके कारण शारीरिक स्‍तर पर तो हानि होती ही है; परंतु साथ में आध्‍यात्मिक स्‍तर पर भी उसके दुष्‍परिणाम देखने में आते हैं ।

साधकों, सामने खडे घोर आपातकाल को देखते हुए सामाजिक माध्यमों जैसे साधनों का अनावश्यक प्रयोग कर समय व्यर्थ न गंवाएं !

आजकल मनुष्‍य ‘वॉट्‍स एप’, ‘फेसबुक’, ‘ट्विटर’, ‘टेलीग्राम’, ‘इंस्‍टाग्राम’ इत्‍यादि सामाजिक माध्‍यमों कागुलाम होता जा रहा है और इसके द्वारा वह अपने जीवन का अमूल्‍य समय अनावश्‍यक और अर्थहीन बातें देखने में खर्च कर रहा है ।

संत भक्‍तराज महाराज जैसे पूर्णता को प्राप्‍त उच्‍च कोटि के संतों के सत्‍संग से लाभान्‍वित पू. शिवाजी वटकरजी द्वारा वर्णन की गई गुरुतत्त्व की महिमा !

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी हमें अभ्‍यासवर्ग में अध्‍यात्‍म का सैद्धांतिक ज्ञान देते थे और उसका प्रत्‍यक्ष क्रियान्‍वयन करने के लिए बताकर साधना करवाते थे । उसके प्रायोगिक भाग के रूप में वे हमें संतों का सत्‍संग कराते थे, साथ ही हमसे राष्‍ट्र एवं धर्म के संदर्भ में सेवा भी करवाते थे ।