दृश्‍यश्रव्‍य-चक्रिकाओं के माध्‍यम से भक्‍तों को हुए प.पू. बाबा के दर्शन !

संत भक्‍तराज महाराजजी के शिष्‍य परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी
ने दृश्‍यश्रव्‍य-चक्रिका के माध्‍यम से वर्णन की प.पू. बाबा की महिमा !

त्रिलोक के योगीराज संत भक्‍तराज महाराज – (परात्‍पर गुरु) डॉ. आठवले

     परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने बताया, ‘‘प.पू. बाबा का भजन ‘त्रिलोक के पर’ बाबा का यह भजन वास्‍तव में उनके गुरु के लिए है; परंतु वह प.पू. बाबा पर भी लागू होता है । गृहस्‍थाश्रमी होते हुए भी प.पू. बाबा योगीराज के रूप में भूतल पर अवतरित हुए !’’ इसमें परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने, प.पू. बाबा ने अपने गुरु श्री अनंतानंद साईश की सेवा कैसे की ? एक पैर पर खडे रहकर उन्‍होंने घंटों तक भजन कैसे गाए ?, इसके अनेक उदाहरण दिए हैं । प.पू. बाबा के त्रिसूत्र ‘भजन, भ्रमण एवं भंडारा’ और भक्‍तों को आनंद देने के लिए उनके पास जानेवाले एकमात्र संत प.पू. बाबा, अपने अंदर स्‍थित गुरु के प्रति अटल श्रद्धा और भक्‍तों को विविध माध्‍यमों से सिखाने के संदर्भ में भी उन्‍होंने कृतज्ञतापूर्वक अपना मनोगत व्‍यक्‍त किया । उन्‍होंने देश-विदेश में स्‍थित सनातन संस्‍था के साधकों को भी प.पू. बाबा के प्रति अनुभूतियां प्राप्‍त होने की बात कही ।

     इस दृश्‍यश्रव्‍य-चक्रिका के माध्‍यम से परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कक्ष में स्‍थित प.पू. बाबा के छायाचित्र में हो रहे आध्‍यात्मिक परिवर्तन भी सभी को देखने को मिले ।