जिहाद में प्रेम के लिए कोई भी स्थान न होने का किया दावा !
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नई दिल्ली – देश को विभाजित करने के लिए और धार्मिक सामंजस्य बिगाडने के लिए भाजपा ने ‘लव जिहाद’ शब्द की उत्पत्ति की है । (केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, अच्युतानंदन, ने ‘लव जिहाद’ का अस्तित्व होने की बात कही थी और वे भाजपा के नहीं थे, यह बात गेहलोत कैसे भूल जाते हैं ? – संपादक) ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु कानून बनाना संविधान विरोधी है । यह कानून न्यायालय में टिक नहीं सकेगा । जिहाद में प्रेम के लिए कोई स्थान नहीं है । राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने यह ट्वीट किया है । उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के भाजपा शासित राज्यों में ‘लव जिहाद’ विरोधी कानून बनाया जानेवाला है । इस पृष्ठभूमि पर गेहलोत ने भाजपा की आलोचना की है ।
(सौजन्य : INDIATv)
गेहलोत ने आगे कहा कि,
१. भाजपा की ओर से देश में इस प्रकार का वातावरण तैयार करने का प्रयास हो रहा है, जिसमें सहमति से एकत्रित होनेवाले सज्ञान व्यक्तियों को भी सत्ता से दया की याचना करनी पडेगी । (यहां सहमति से एकत्रित होनेवाले सज्ञान व्यक्तियों का विरोध नहीं है, तो क्या उसके नामपर होनेवाली धोखाधडी का विरोध है ; यह गहलोत को ध्यान देना चाहिए ! – संपादक)
"Marriage is a matter of personal liberty, bringing a law to curb it is completely unconstitutional & it will not stand in any court of law. Jihad has no place in love," Ashok Gehlot wrote.https://t.co/l4eXBeihJo
— The Indian Express (@IndianExpress) November 20, 2020
२. विवाह संपूर्ण रूप से निजी निर्णय है और ये लोग उसपर ही अंकुश लगाना चाहते हैं । यह तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनने का प्रयास है । (भले ही विवाह निजी निर्णय होता है, तब भी उसमें किसी के साथ धोखाधडी होती हो, तो वह अपराध है, क्या यह बात गेहलोत को ज्ञात नहीं है ? अथवा वे इससे अनावगत होने का नाटक कर रहे हैं ? – संपादक)
३. यह तो भाजपा का धार्मिक सामंजस्य बिगाडने का, सामाजिक तनाव बढाने का और संविधान में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करने का षड्यंत्र दिखाई दे रहा है । हमारा राज्य किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता । (गत ७२ वर्षों में धार्मिक सामंजस्य बिगाडने का सर्वाधिक काम जितना कांग्रेस ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया होगा ! कांग्रेस के कार्यकाल में दिल्ली में भडके सिख विरोधी दंगे में ३.५ सिखों का संहार किया गया था । गेहलोत उस संदर्भ में क्यों नहीं बोलते ? अथवा क्या उन्हें यह संहार धार्मिक सामंजस्य लगता है ? – संपादक)