‘सभी प्रकार के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक प्रमाणों से यह स्पष्ट हुआ है कि भारत मानवसृष्टि का पहला राष्ट्र है । वेदों में भी ३४ स्थानों पर राष्ट्र का उल्लेख आया है । यदि राष्ट्र ही नहीं रहा, तो राष्ट्रीयता, राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रभक्ति की भावना देश की भावी पीढी में जागृत रखना कैसे संभव होगा ?
– श्री. दिनेश चंद्र त्यागी (अखिल भारत हिन्दू महासभा, ५५ वें राष्ट्रीय अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण, पृष्ठ १० और ११)
भारत में धर्माधिष्ठित ईश्वरीय राज्य चाहिए !
वर्ष १९४७ में भारत स्वतंत्र होने पर यहां वर्ष १९५० में भारतीय राज्यघटना अस्तित्व में आई । ‘स्वतंत्र’ का अर्थ क्या है ? स्वयं का तंत्र अर्थात व्यवस्था ! सचमुच ‘आज भारत स्वतंत्र है’, क्या ऐसा कह सकते हैं ? हिन्दू धर्म के अनुसार आदर्श राज्यव्यवस्था के अनेक सफल उदाहरण होते हुए आज हम विदेशी संकल्पना पर आधारित राज्यव्यवस्था द्वारा अपने देश का संचालन कर रहे हैं ।
(संदर्भ – HinduJagruti.org)