उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक १ सहस्त्र १३७ प्रकरण लंबित हैं, जबकि महाराष्ट्र दूसरे क्रमांक पर है !
मुंबई, १७ अप्रैल (समाचार ) – जनप्रतिनिधि के रूप में चुने गए विधायकों और सांसदों के विरुद्ध हत्या, बलात्कार, आक्रमण आदि के गंभीर प्रकृति के २ सहस्त्र ३३१ आपराधिक प्रकरण विशेष न्यायालयों में लंबित हैं। इनमें उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक १,१३७ प्रकरण हैं, जबकि महाराष्ट्र में लंबित प्रकरणों की संख्या ४१९ है । लंबित प्रकरणों की संख्या में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है । यह आधिकारिक जानकारी केंद्र सरकार के न्याय विभाग के संकेत स्थल पर दी गई है ।
2331 criminal cases against MLAs and MPs pending in special court !#UttarPradesh leads the tally with 1137 pending cases, followed by #Maharashtra !#Election2024 #LokSabhaElection2024 pic.twitter.com/FrHPobvGvg
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) April 17, 2024
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के उपरांत मध्य प्रदेश में ३१९, कर्नाटक में २४४ , तेलंगाना में १०२, अंडमान-निकोबार में ८०, तमिलनाडु में २०, जबकि बंगाल राज्य में १० प्रकरण लंबित हैं। आंध्र प्रदेश और दिल्ली राज्यों में कोई प्रकरण लंबित नहीं है। यद्यपि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में लंबित प्रकरणों की संख्या अधिक है, किन्तु यह अच्छी बात है कि इन राज्यों में जन प्रतिनिधियों के विरुद्ध प्रकरण प्रविष्ट किए जा रहे हैं। जिन राज्यों में प्रकरण प्रविष्ट नहीं किए गए हैं , वहां प्रतिनिधियों की आपराधिक पृष्ठभूमि न हो ऎसा होने की अपेक्षा उन राज्यों में प्रतिनिधियों के विरुद्ध अपराध पंजीकृत ही नहीं किए गए हैं, इसकी संभावना अधिक है ।
विशेष न्यायालयों की पृष्ठभूमि !
देश भर में जनप्रतिनिधियों की आपराधिक पृष्ठभूमि और उनके विरुद्ध अपराधों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए वर्ष २०१४ में जन प्रतिनिधियों के विरुद्ध प्रकरणों की सुनवाई में गति लाने के लिए केंद्रीय स्तर पर विशेष न्यायालयों के गठन की प्रक्रिया चल रही थी किन्तु वास्तव में इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वर्ष २०१७ में सर्वोच्च न्यायालय ने जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध बढते अपराधों को देखते हुए विशेष न्यायालयों के गठन पर प्रश्न उठाया था। इसके उपरांत देश में जन प्रतिनिधियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरणों के निपटाने में तेजी लाने के लिए देश में १२ विशेष न्यायालय स्थापित किए गए।