Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati : गोहत्याएं रुकी नहीं, तो ५ वर्षाें के उपरांत गाय को चित्र में देखना पडेगा !

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने व्यक्त की आशंका

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) – देश में ७५ वर्ष पहले ३० करोड मानव और ७८ करोड गाएं थी । अब जनसंख्या १४० करोड पर पहुंची है; परंतु केवल १७ करोड गाएं शेष हैं । जिस पद्धति से गोहत्याएं हो रही हैं, उसे रोका नहीं गया, तो ५ वर्षाें के उपरांत हमें गाय चित्र में देखनी पडेगी, ऐसी आशंका ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यहां व्यक्त की । वे यहां के गीता प्रेस के चित्र मंदिर में ‘गोरक्षा और धर्म’ इस विषय पर बोल रहे थे ।

 

शंकराचार्य ने बताया कि गोरखनाथ मंदिर में उन्होंने गायों की रक्षा के लिए बाबा गोरखनाथ से प्रार्थना की । द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गायों तथा प्रकृति की रक्षा की । हमने गोरक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मथुरा नगरी से पैदल यात्रा की और देहली में पहुंचने पर वर्ष १९६६ में गोरक्षा आंदोलन में गोलियां चलाकर प्राणों की आहुति देनेवाले गोभक्तों को नमस्कार किया । गोरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की और हिन्दुओं को उनकी रक्षा के लिए कार्य करने का आवाहन किया ।

(सौजन्य : India Speaks Daily) 

गोरक्षा के लिए कोई भी बडी राजनीतिक पार्टी आगे नहीं आई !

शंकराचार्य ने आगे कहा कि देश की २ सहस्र ६१५ पार्टियों को पत्र लिखकर गोरक्षा के लिए प्रतिज्ञापत्र देने की विनति की थी; परंतु कोई भी बडी पार्टी आगे नहीं आई । आज तक ६१ छोटी पार्टियों ने मुझ से संपर्क कर गोरक्षा का समर्थन किया है । गोरक्षा के लिए हिन्दुओं को सजग होने की आवश्यकता है ।

गोरक्षा के लिए लडनेवाली पार्टियों को मतदान करें !

धर्मशास्त्र और कानून के अनुसार जो अपराध एवं पाप करते हैं, उनका समर्थन करना भी पाप है । इसलिए गोरक्षा के लिए लडनेवाली पार्टियों को मतदान करें, ऐसा आवाहन शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने किया ।

…तो गोरखपुर का नामांतरण करना पडेगा !

गोरखपुर के नाम में ही गाय है । शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस समय ऐसी मांग भी की कि, यदि यहां से गोरक्षा का काम नहीं होता होगा, तो गोरखपुर के नाम में परिवर्तन करना चाहिए; क्योंकि जो नाम उपयुक्त नहीं है, वे नाम भी तो परिवर्तित किए जा रहे है ।