Karnataka Temple Tax Bill : मंदिरों पर १० प्रतिशत कर (राजस्व) लगानेवाले विधेयक को राज्यपाल ने ‘पक्षपाती’ कहते हुए सरकार को वापस भेजा !

कर्नाटक कांग्रेस सरकार को तमाचा !

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत तथा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धाराम्य

बेंगळूरु (कर्नाटक) – कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा मंदिरों पर कर लगानेवाला विधेयक वापस भेज दिया है । ‘इस कानून की अनेक धाराएं पक्षपात करनेवाली हैं’, ऐसा कहते हुए राज्यापाल ने यह विधेयक सरकार को वापस भेज दिया है । राज्यपाल ने अधिक स्पष्टीकरण के साथ विधेयक दुबारा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं ।

१. कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने राज्य के मंदिरों पर कर लागू करने के लिए ‘कर्नाटक हिन्दू धार्मिक संस्थाएं एवं चैरिटेबल एंडोमेंट्स (सुधार) विधेयक २०२४’ विधानसभा में सहमत किया था । विधान परिषद द्वारा उसे अस्वीकार कर देने पर दोबारा विधानसभा में सम्मत कर विधान परिषद में भी सम्मत कर लिया गया था । तदनंतर वह राज्यापाल को हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था ।

२. इस विधेयक के अंतर्गत राज्य के जिन मंदिरों की वार्षिक आय १० लाख से १ करोड रुपए हैं, उनसे सरकार ५ प्रतिशत कर वसूल करेगी । जिन मंदिरों की वार्षिक आय १ करोड रुपए से अधिक है, ऐसे मंदिरों से सरकार १० प्रतिशत कर वसूल करेगी । साथ ही इस धन का उपयोग ‘सी’ वर्ग के मंदिरों के लिए किया जाएगा । मंदिर के कार्यकारी समिति के ४ सदस्यों में से एक सदस्य विश्‍वकर्मा समुदाय का होना चाहिए । धर्मादाय विभाग के नियंत्रण में मंदिरों की भूमि पर स्थित अतिक्रमण हटाने के लिए कार्य समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव है ।

सुधारित कानून वापस भेजने के राज्यपाल के निर्णय का स्वागत ! – कर्नाटक मंदिर महासंघ

यह कर्नाटक मंदिर मठ एवं धार्मिक संस्थाओं के महासंघ की विजय है । कर्नाटक मंदिर महासंघ द्वारा इस कानून का खंडन कर संपूर्ण राज्य में १५ से अधिक जिलों में आंदोलन कर वहां के जिलाधिकारियों के माध्यम से राज्यपाल को निवेदन दिया गया था । माननीय राज्यपाल थावरचंद गेहलोत के इस महत्त्वपूर्ण निर्णय का कर्नाटक मंदिर मठ एवं धार्मिक संस्था महासंघ स्वागत करता है एवं हिन्दू मंदिरों की रक्षा के लिए महासंघ इस प्रकार कटिबद्ध रहेगा, ऐसा महासंघ के राज्य संयोजक श्री. मोहन गौडा ने कहा है ।

क्या अन्य धार्मिक संस्थाओं को समाहित करोगे ? 

राज्यपाल गहलोत ने प्रश्न उठाते हुए पूछा है, ‘हिन्दू धार्मिक संस्थाओं से संबंधित किया गया कानून का सुधार, क्या अन्य धार्मिक संस्थाओं को भी लागू करने का कानून बनाने का राज्य सरकार का विचार है ?’  राज्यपाल द्वारा पूछे गए विषयों के संदर्भ में स्पष्टीकरण देकर विधेयक उनकी स्वीकृति के लिए पुनः भेजा जाएगा, ऐसा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है ।