Bhojshala Survey : आज से धार (मध्य प्रदेश) की भोजशाला का होगा वैज्ञानिक सर्वेक्षण !

२९ अप्रैल तक सर्वेक्षण का ब्योरा प्रस्तुत किया जाएगा !

धार (मध्य प्रदेश) – यहां स्थित भोजशाला का पुरातत्व विभाग की ओर से सर्वेक्षण किए जाने का आदेश मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने दिया था । इस पृष्ठभूमि पर कल २२ मार्च से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का दल भोजशाला का सर्वेक्षण चालू करने वाला है । पुरातत्व विभाग ने धार प्रशासन और पुलिस अधीक्षक को सर्वेक्षण के पूर्व पर्याप्त सुरक्षा देने के लिए कहा है, जिससे सर्वेक्षण का काम न रुके । हिन्दू संगठनों के मतानुसार, भोजशाला में बनी कमल मौलाना मस्जिद श्री सरस्वती देवी का मंदिर है । राजा भोज ने यह भोजशाला वर्ष १०३४ में संस्कृत के अध्ययन के लिए निर्माण की थी । बाद में मुगलों ने आक्रमण कर उसकी तोडफोड कर वहां मस्जिद का निर्माण किया ।

१. उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता (पू.) हरिशंकर जैन के ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी प्रविष्ट की थी । इस पर उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्णय दिया था ।

२. न्यायालय ने आदेश में कहा था कि, ‘कार्बन डेटिंग’ पद्धति से परिसर की विस्तार से वैज्ञानिक जांच की जाए , जिससे भूमि के ऊपर और नीचे की दोनों संरचनाएं कितनी पुरानी हैं और कितनी प्राचीन हैं, यह निश्चित किया जा सकेगा ।

साथ दोनों पक्षों के २ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सर्वेक्षण की कार्यवाही और उसका चित्रीकरण किया जाए , ऐसा भी न्यायालय की ओर से बताया गया । अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई २९ अप्रैल के दिन होगी, इसके पूर्व सर्वेक्षण का ब्योरा प्रस्तुत करने का आदेश भी न्यायालय ने दिया है ।

भोजशाला का इतिहास 

१. १ सहस्र वर्ष पूर्व धार में परमार वंश का राज्य था । राजा भोज ने वर्ष १००० से १०५५ तक राज्य किया । राजा भोज श्री सरस्वती देवी के निसीम भक्त थे । उन्होंने वर्ष १०३४ में यहां एक महाविद्यालय की स्थापना की, जो कालांतर में ‘भोजशाला’ के रूप में पहचाना जाने लगा । हिन्दुओं ने भी इसे सरस्वती मंदिर माना ।

२. वर्ष १३०५ में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला उद्ध्वस्त की । इसके उपरांत वर्ष १४०१ में दिलावर खान घोरी ने भोजशाला के एक भाग में मस्जिद का निर्माण किया । वर्ष १५१४ में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे भाग में भी मस्जिद का निर्माण किया ।

३. वर्ष १८७६ में यहां उत्खनन किया गया । इस उत्खनन में श्री सरस्वतीदेवी की मूर्ति मिली । मेजर किनकेड नामक अंग्रेज यह मूर्ति लंदन ले गया । वर्तमान में मूर्ति लंदन के संग्रहालय में है । उच्च न्यायालय में प्रविष्ट की याचिका में इस मूर्ति को लंदन से वापस लाने की मांग भी की गई है ।

संपादकीय भूमिका

देश में जिन स्थानों पर मुसलमान आक्रांताओं ने हिन्दुओं के मंदिर तोडकर वहां मस्जिदें बनाई हैं, उन सभी स्थानों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश केंद्र सरकार को देना चाहिए, ऐसा ही अब हिन्दुओं को लगता है !