पुणे जिले के ७१ मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू !

  • इसमें श्रीक्षेत्र भीमाशंकर मंदिर तथा ग्राम देवता श्री कस्‍बा गणपति मंदिर भी सम्‍माहित हैं

  • महाराष्ट्र में अब तक ५२८ से अधिक मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू हो चुकी है !

  • महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के संयोजक श्री सुनील घनवट का मानना है कि वस्‍त्र संहिता से मंदिरों की पवित्रता बनी रहेगी !

पुणे – मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखने तथा हमारी महान भारतीय संस्‍कृति के प्रसार के लिए, पुणे जिले के ज्‍योतिर्लिंग श्रीक्षेत्र भीमाशंकर के साथ-साथ पुणे के ग्राम देवता कसबा गणपति मंदिर सहित ७१ मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू करने का निर्णय लिया गया है । इसके चलते महाराष्ट्र राज्‍य के ५२८ से अधिक मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू कर दी गई है । श्री सुनील घनवट ने एक पत्रकार परिषद में यह जानकारी दी । वह १५ मार्च को पुणे के ’श्रमिक जकार्ताकार भवन’ में आयोजित एक संवाददाता सम्‍मेलन में बोल रहे थे ।

इस समय हिन्‍दू जनजागृति समिति के पुणे जिला संयोजक श्री. पराग गोखले, ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के पुणे जिला संयोजक ह.भ.प. चोरघे महाराज, ग्राम देवता ‘श्री कस्‍बा गणपति मंदिर’ की ट्रस्‍टी श्रीमती संगीता ठकार, ‘कन्‍हे पठार खंडोबा मंदिर’ के ट्रस्‍टी अधिवक्‍ता श्री मंगेश जेजुरीकर, श्री चतु:श्रृंगी मंदिर के श्री नंदकुमार अंगळ, हडपसर में श्री तुकाई मंदिर के सचिव श्री. सागर तुपे तथा अन्‍य मान्‍यवर इस अवसर पर उपस्‍थित थे ।

श्री. घनवट ने आगे कहा,

श्री सुनील घनवट

१. पुणे के समान नागपुर, अमरावती, जलगांव, अहिल्‍यानगर, मुंबई, ठाणे, सतारा, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सोलापुर, कोल्‍हापुर जैसे कई जिलों के मंदिरों में वस्त्र संहिता पहले ही लागू की जा चुकी है ।

२. मंदिर महासंघ के प्रयासों का स्‍वागत किया जा रहा है और न केवल महाराष्ट्र, बल्‍कि कर्नाटक, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश सहित देश भर के कई राज्‍यों तथा विदेशी मंदिरों में भी वस्त्र संहिता लागू करने का सराहनीय निर्णय वहां के ट्रस्‍टियों द्वारा लिया जा रहा है ।

३. वर्ष २०२० में सरकार ने राज्‍य के सभी सरकारी दफ्‍तरों में वस्त्र संहिता भी लागू कर दी है । देश के कई मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों, मस्‍जिदों तथा अन्‍य पूजा स्‍थलों, निजी प्रतिष्ठानों, विद्यालयों-महाविद्यालयों, न्‍यायालयों, पुलिस स्‍टेशनों तथा अन्‍य क्षेत्रों में वस्त्र संहिता का कठोरता से पालन किया जाता है ।

४. इसी पृष्‍ठभूमि पर हिन्‍दू मंदिरों की पवित्रता, शिष्टाचार तथा संस्‍कृति को बनाए रखने के लिए ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की बैठक में पुणे जिले के ७१ मंदिरों के वास्‍तुविदों ने भारतीय संस्‍कृति के अनुरूप अपने-अपने मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू करने का निर्णय लिया है ।

५. ५ फरवरी २०२३ को ‘महाराष्ट्र मंदिर न्‍यास परिषद’ में ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की स्‍थापना के बाद राज्‍य भर में धीरे-धीरे महासंघ का काम बढ़ रहा है । श्रीक्षेत्र तुळजाभवानी मंदिर में वस्त्र संहिता लागू करने का विरोध हुआ; लेकिन उसके बाद महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के माध्‍यम से महाराष्ट्र राज्‍य के ५२८ मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू की गई । जब मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू की जाती है, तो कुछ प्रगतिशील, आधुनिकतावादी लोग, ’ऐसी वस्त्र संहिता लागू करना गलत कैसे है?’ यह बताते हुए अपना रोना धोना आरंभ करते हैं । भारतीय संस्‍कृति के बारे में गलत विचार समाज में पहुंचता है; ढीले कपड़े या गैर-पारंपरिक पोशाक में भगवान के दर्शन के लिए मंदिरों में जाना ’व्‍यक्‍तिगत स्‍वतंत्रता’ नहीं हो सकती । प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को यह निर्णय लेने की स्‍वतंत्रता है कि घर पर तथा सार्वजनिक स्‍थानों पर क्‍या पहनना है; लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्‍थान है. जहां धर्मानुसार आचरण होना चाहिए । वहां व्‍यक्‍तिगत स्‍वतंत्रता को नहीं, धर्म के आचरण को महत्‍व होता है । इन सब पर विचार करने के उपरांत ही मंदिर के न्‍यासियों ने यह निर्णय लिया । अब से, मंदिर की पवित्रता बनी रहेगी तथा संस्‍कृति को संरक्षित करने में सहायता होगी ।

६. १२ ज्‍योतिर्लिंगों में से एक, उज्‍जैन का श्री महाकालेशवर मंदिर, छत्रपति संभाजीनगर का श्री घृष्‍णेशवर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्‍वेश्‍वर मंदिर,

आंध्र प्रदेश में श्री तिरूपति बालाजी मंदिर, केरल में प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्‍वामी मंदिर, कन्‍याकुमारी में श्री माता मंदिर, ऐसे अनेक सुप्रसिद्ध मंदिरों मे कई वर्षों से भक्‍तों के लिए सात्‍विक वस्त्र संहिता लागू है । यह वस्त्र संहिता अन्‍य धर्मों के पूजा स्‍थलों पर भी लागू होती है।

७. महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों तथा कर्मचारियों के ’जींस-पैंट’, ’टी-शर्ट’, चमकीले रंग अथवा कढ़ाई वाले कपड़े तथा पैरों में ’चप्‍पल’ पहनने पर प्रतिबंध लगाया है ।

८. मद्रास उच्‍च न्‍यायालय ने भी १ जनवरी, २०१६ से राज्‍य में वस्त्र संहिता लागू की, जिसमें मान्‍यता दी गई कि ‘वहां के मंदिरों में प्रवेश के लिए सात्‍विक पोशाक पहनी जानी चाहिए ।’