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अजमेर (राजस्थान) – संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), भारत में पडोसी देशों से आनेवाले शरणार्थियों को भारत का नागरिकत्व देने संबंधी है । इस कानून द्वारा भारत के किसी भी मुसलमान की नागरिकता निरस्त नहीं की जाएगी । नागरिकता निरस्त की जाएगी, यह एक कुप्रचार है, ऐसा स्पष्ट वक्तव्य यहां के मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के दिवान सैयद जैनुल आबेदीन ने मुसलमानों को संबोधित करते हुए दिया । यहां पर पत्रकार वार्ता में वे बोल रहे थे । ‘सीएए कानून मुसलमानों के विरोध में है क्या ?’ ऐसा प्रश्न उन्हें पूछा गया था । साथही उन्होंने यह आवाहन किया कि काशी और मथुरा के मंदिरों की समस्या दोनों पक्ष न्यायालय के बाहर समझदारी से सुलझाएं ।
#WATCH | Jaipur: Syed Zainul Abedin, Dewan and Sajjada Nasheen of the Ajmer Sharif Dargah says, "CAA is for the people who have migrated from Myanmar, Bangladesh, and Afghanistan and came to India. Why are the Muslims of India afraid, this is not for them. Neither the citizenship… pic.twitter.com/Q18DVs24pk
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) February 22, 2024
दिवाण आबेदिन ने प्रस्तुत किए सूत्र
१. गृहमंत्री ने संसद में जो बताया वही मैं बता रहा हूं । बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगाणिस्तान और म्यांमार से भारत में स्थानांतरित और वर्तमान में यहां निवास कर रहे लोगों के लिए सीएए कानून है, ऐसा संसद के प्रत्येक सदस्य ने कहा है ।
२. इन देशों से आनेवाले लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाती है क्या ? इसका उत्तर ‘नहीं’ है । यह कानून केवल उन्हीं के लिए है । भारत के मुसलमान क्यों घबरा रहे हैं ? यह कानून उनके लिए नहीं है । इससे नागरिकता निरस्त नहीं होगी । बस इतना ही । आपको बताता हूं कि, ‘सीएए कानून मुसलमानों की नागरिकता निरस्त करने हेतु लाया गया है’, ऐसा कुप्रचार देश के मुसलमानों में किया गया था ।
न्यायालय के निर्णय से कडवाहट उत्पन्न होने से पहले ही समझौता करें ! – सैयद जैनुल आबेदीन, दिवान, अजमेर दरगाह
काशी और मथुरा के मंदिरों का विवाद अभी तक न्यायालय के सामने प्रलंबित है । इसलिए इसपर वक्तव्य देना उचित नहीं होगा । हमारे भूतकालीन अनुभव से हमें लगता है कि इस समस्या पर न्यायालय के बाहर ही समझौता किया जाए, तो वह दोनों पक्षों के हित में होगा । ऐसा करने से दोनों में उत्पन्न होनेवाली कडवाहट को टाल सकेंगे । वहां शांति निर्माण होगी; क्योंकि जिसके पक्ष में निर्णय आएगा वह न्यायालय के निर्णय से आनंदित होगा और जिसके विरुद्ध निर्णय होगा उसके मन में कडवाहट आएगी । फिर ऐसा क्यों करें ?
#WATCH | Jaipur: Syed Zainul Abedin, Dewan and Sajjada Nasheen of the Ajmer Sharif Dargah says, "CAA is for the people who have migrated from Myanmar, Bangladesh, and Afghanistan and came to India. Why are the Muslims of India afraid, this is not for them. Neither the citizenship… pic.twitter.com/Q18DVs24pk
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) February 22, 2024
धर्म और राजनीति का महत्त्व !
प्राचीन काल में राजघरानों के धर्मगुरु होते थे, जिनके परामर्श से राजा निर्णय लेते थे; परंतु आज ‘धर्म अर्थात राजनीति’ ऐसा नया चित्र निर्माण किया गया है । गोरखपुर का गीता प्रेस भारत में सुविख्यात है । इस प्रेस का वर्ष १९५७ का ‘श्री कल्याण’ नामक संस्करण है । बडी मोटी किताब है । इस किताब के पृष्ठ क्रमांक ७७१ और ७७२ के श्लोक में कहा है, ‘यदि राजनीति धर्म से पृथक की जाए, तो राजनीति विधवा होगी और धर्म राजनीति से विभक्त होगा, तो धर्म विधुर होगा । (विधुर अर्थात जिसके पत्नी का देहांत हुआ है) । – सैयद जैनुल आबेदीन, दिवान, अजमेर दरगाह
Ajmer Dargah's Dewan Syed Zainul Abedin's honest opinion.
Mu$l!ms are misled about #CAA, their citizenship will not be snatched away.
Appealed for an amicable out of court settlement, in the Kashi and Mathura temple case.
👉 It is now clearly known that, there were Hindu… pic.twitter.com/pmf2chEUgn
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 24, 2024
संपादकीय भूमिकाकाशी और मथुरा में हिन्दुओं के मंदिर थे । उन्हें हिन्दुओं को लौटाया जाए, ऐसा आबेदीन ने मुसलमानों को स्पष्ट बताना अपेक्षित है ! |