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मालदा (बंगाल) – १७ फरवरी को वृन्दावन में विश्वविद्या न्यास के प्रमुख हिरण्यमय गोस्वामी के नेतृत्व में यहां के ‘आदीना’ मस्जिद क्षेत्र में हिंदुओं ने पूजा की। इसका स्थानीय मुसलमानों ने विरोध किया। इस प्रकरण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मालदा थाने में हिरण्यमय गोस्वामी के विरुद्ध प्रकरण प्रविष्ट कराया है। ऐसा समाचार है कि परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। यह मस्जिद कुछ शताब्दियों पूर्व एक हिन्दू मंदिर को तोडकर बनाई गई थी। वहां अभी भी हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां और भग्न शिवलिंग उपस्थित है।
Adinath temple lies beneath Adina Ma$j!d in Bengal’s Malda district.
➡️Murtis of Hindu deities and broken Shiv Ling, still in the m@$j!d’s premises.
➡️ A Mandir pujari (priest) is booked for worshipping on the site, after a complaint by Archaeology Department.
🛕 Several Hindu… pic.twitter.com/4XfdKJmYu4
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 21, 2024
१. हिरण्यमय गोस्वामी इस क्षेत्र में भ्रमण के लिये आये। उन्होंने यहां शिवलिंग और देवी-देवताओं की मूर्तियां भी देखीं। इसके उपरांत उन्होंने अपने कुछ मित्रों को बुलाया एवं पूजा और मंत्र जाप प्रारंभ कर दिया। इससे परिसर के मुसलमानों को कष्ट हुआ। जिसकी उन्होंने स्थानीय पुलिस को सूचना दी।
२. पुलिस उप निरीक्षक नवीन चंद्र पोद्दार वहां गोस्वामी को रोकने के लिए पहुंचे। पोद्दार ने गोस्वामी से कहा कि वह इस मस्जिद में धार्मिक गतिविधियां नहीं कर सकते। गोस्वामी ने पोद्दार से पूछा, ‘मेरा अपराध क्या है ?’ तो पोद्दार ने कहा, ‘ आपका अपराध ये है कि, आप चाहे जहां नमस्कार कर रहे हैं । आप यहां ऐसी गतिविधियां नहीं कर सकते।’
३. गोस्वामी ने पुलिस अधिकारी पोद्दार से पूछा, ‘मुझे यहां मूर्तियां दिखाई देती हैं, तो मैं पूजा क्यों नहीं कर सकता ? मुझे दिखाओ कि कहां लिखा है ‘यहां नमस्कार नहीं कर सकते।’ क्या आपको मुझे यहां से चले जाने के लिए कहने का अधिकार है?” तब हिंदुओं ने उन्हें यहां आने से रोकने वाला एक लिखित आदेश दिखाने की मांग की।
आदिनाथ मंदिर का इतिहास
वर्ष १३३९ में इस्लामी आक्रमणकारी सुल्तान सिकंदर शाह ने यहां हिन्दू मंदिर को तोडकर एक मस्जिद का निर्माण कराया था। मई २०२२ में भा.ज.पा. के नेता रतींद्र बोस ने कहा था कि ‘इस मस्जिद के नीचे आदिनाथ मंदिर है।’ उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘मुसलमानों और ब्रिटिश शासकों से इस मंदिर की रक्षा करते हुए जीतू सरदार की वीरतापूर्वक मृत्यु हो गई थी। यह इतिहास किसी को कोई ज्ञात नहीं है । यह तथ्य मेरे मन में तब आया जब मैं स्थानीय विधायक चिन्मय देब बर्मन के साथ यहां आया । काशी के भगवान विश्वनाथ अपने स्थान पर लौट आये हैं। क्या अब भगवान आदिनाथ की पुनर्स्थापना का अवसर है ?’
संपादकीय भूमिका
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