धार्मिक स्थल बचाने की भावना से हिंसाचार करने का दावा !
नई देहली- उत्तराखंड के हल्द्वानी में अनधिकृत मदरसा गिराने गए प्रशासन और पुलिस कर्मियों पर धर्मांधों ने किए आक्रमण में ५ लोगों की मृत्यु हुई । इस हिंसाचार के संदर्भ में वेब चैनल ‘द वायर’ द्वारा धर्मांधों का समर्थन करने का प्रयत्न किया गया । इस वेब चैनल ने एक चर्चा का आयोजन किया था, जिसका सूत्रसंचालन वेब चैनल की संपादिका अरफा खानम शेरवानी ने किया । पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, उमाकांत लखेरा और ‘द वायर’ के अन्य एक संपादक याकूत अली इस चर्चा में सम्मिलित थे । इस चर्चा में पुलिस पर आक्रमण करनेवाले धर्मांधों का पक्ष प्रस्तुत किया गया । साथही धर्मांधों को निर्दोष ठहराकर प्रशासन और राज्य सरकार को इस आक्रमण के लिए पूर्णतः उत्तरदायी ठहाराया गया । इस समय बताया गया कि, ‘चुनावों को देखते हुए मुसलमानों को भडकाया गया ।’ (संपादक और संपादिका दोनों मुसलमान होने पर इससे अलग क्या बताया जाएगा ? मुसलमान पहले मुसलमान और पश्चात अन्य कुछ । ऐसी घटनाओं से यह बार बार दिखाई देता है ! – संपादक)
(सौजन्य : The Wire)
चर्चा में त्रिलोचन भट्ट ने कहा कि उनपर (धर्मांध मुसलमानों पर) राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के (रासुकाच्या) अंतर्गत अपराध प्रविष्ट करने की तैयारी हो रही है । उन्होंने पथराव किया यह स्वीकार है; परंतु धार्मिक स्थल को बचाने के लिए उन्होंने धार्मिक भावना में आकर ऐसा किया होगा; (हिन्दुओं के जो धार्मिक स्थल मुसलमान आक्रमकों ने हथियाए हैं, उन्हें वापस लेने के लिए यदि हिन्दू कानून हाथ में लेंगे, तब क्या पत्रकार ऐसी ही भूमिका अपना सकेंगे ? – संपादक) तो क्या उन पर रासुका लगाएंगे ? वे आतंकवादी नहीं हैं । (क्या उन्हें ऐसा लगता है कि पुलिस थाने को घेरकर पुलिस को जिंदा जलाने का प्रयत्न करनेवाले आतंकवादी नहीं, किंतु गांधीवादी हैं ? – संपादक) उन्हें सीधे लक्ष्य किया जा रहा है ।
संपादकीय भूमिकाआक्रमण कर १०० से भी अधिक पुलिसकर्मियों को घायल करनेवालों, सार्वजनिक संपत्ति की हानि करनेवालों, अनधिकृत भवन गिराने का विरोध करनेवालों का समर्थन करनेवाले ऐसे पत्रकारों पर भी हिंसाचार का समर्थन करने का अपराध प्रविष्ट कर कारागृह में भेज देना चाहिए ! |