हमारी मस्जिदें छीनी जा रही हैं ! – मौलाना तौकीर रजा

  • अब ‘इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल’ के प्रमुख मौलाना (इस्लाम के ज्ञाता) रजा द्वारा श्रीराममंदिर के उद्घाटन पर विषैले बोल !

  • राममंदिर के निष्कर्ष पर सर्वोच्च न्यायालय की विश्वसनीयता पर भी प्रश्‍नचिन्ह उपस्थित !

मौलाना तौकीर रजा

नई देहली – अयोध्या के श्रीराममंदिर के उद्घाटन का उत्साह न केवल भारत, अपितु पूरे विश्व में हैं । ऐसा भले ही हो, परंतु अनेक धर्मनिरपेक्षतावादी एवं हिन्दुद्वेषी कांग्रेसियों को पेटदर्द हो रहा है । मुस्लिम नेता भी इसका विरोध कर रहे हैं । अब ‘इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल’ के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने इसके विरुद्ध वक्तव्य दिया है । उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक समय मुस्लिम बलिदान नहीं देंगे । हमारे देश की हमारी मस्जिद हमसे छीनी जा रही है । यह बात हम सहन नहीं कर सकते हैं ।

(सौजन्य : The Leader Hindi) 

रजा ने आगे कहा कि,

१. भाजपा हमारी अजान पर आपत्ति जता रही है; यह प्रत्यक्ष है । वास्तव में भाजपा को मुसलमानों के अस्तित्व से भी कष्ट होता है ।

२. राममंदिर पर जो निर्णय सुनाया गया, उस पर सर्वोच्च न्यायालय की विश्वसनीयता पर भी प्रश्‍नचिन्ह उपस्थित होता है । सर्वोच्च न्यायालय के जिस न्यायमूर्ति ने राममंदिर पर निष्कर्ष दिया, उसे आगे जा कर राज्यसभा में नियुक्त किया गया । इसका अर्थ राममंदिर का निर्णय पूर्व से ही निश्चित था ।

३. यदि कोई मुझे राममंदिर के उद्घाटन के कार्यक्रम में आमंत्रित करे, तो मैं वहां नहीं जाऊंगा । इसका कारण यह है कि उस कार्यक्रम का आयोजन धार्मिक कारण की अपेक्षा राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए अधिक मात्रा में किया गया है । (हिन्दुओं के अमर्यादित त्याग से निर्मित मंदिर पर आगबबूला होनेवाले तौकीर रजा को कोई कभी निमंत्रण नहीं भेजेगा, यह उनको समझना चाहिए ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

  • ‘झूठ बोलो; परंतु भारपूर्वक बोलो’ रजा जैसे मुस्लिम नेताओं की यह पुरानी आदत है । अर्थात ऐसे उत्तेजनापूर्ण वक्तव्य के लिए रजा पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए । कल वास्तव में यदि राममंदिर के उद्घाटन पर कहीं भी हिंसा हुई, तो उसके लिए रजा को उत्तरदायी मानकर उन्हें कारागृह में बंद कर देना चाहिए !
  • इतिहास का इससे अधिक अपमान और क्या हो सकता है ? वास्तव में अब हिन्दुओं को ही इस प्रकार के अनुचित प्रचार के विरुद्ध विश्व को सच्चा इतिहास बताना चाहिए एवं ‘निर्द्वंद हिन्दू बनने के लिए’ (अनअपोलोजेटिक हिन्दू) राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेडना चाहिए !
  • यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर आपत्ति है एवं अलोकतांत्रिक वक्तव्य है । ऐसे नेताओं के विरुद्ध अब कठोर कार्रवाई होनी चाहिए !