समाजवादी पक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का बौद्धिक दिवालियापन दर्शानेवाला वक्तव्य !
लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं ‘प्रशिक्षण परिषद’ (एन.सी.ई.आर.टी.) तथा सरकार द्वारा विद्यालयीन पाठ्यक्रम में रामायण एवं महाभारत को समाहित करना, अग्नि परीक्षा लेने के उपरांत भी सीता, शूर्पपणखा एवं द्रौपदी जैसी महान देवियों का त्याग करना, विवाह प्रस्ताव पर नाक एवं कान काटना, द्रौपदी जैसी अन्य देवियों को निर्वस्त्र करना, क्या आप इन सूत्रों को बढावा देना चाहते हैं ?” प्रदेश के समाजवादी पक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर पूछा । मौर्य ने यह ट्वीट ‘एन.सी.ई.आर.टी.’ द्वारा रामायण एवं महाभारत को पाठ्यक्रम में समाहित करने की अनुशंसा के संबंध में किया है ।
यद्यपि कि आज वैसे ही बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा व महिला उत्पीड़न की घटनायें हो रही हैं। कहीं दलित, आदिवासी, पिछड़े समाज के लोगों पर पेशाब करना व मल-मूत्र का लेपन करना, समय से फीस न जमा करने पर बच्चों की पिटाई कर मौत की नींद सुला देना, कहीं महिलाओं के साथ सामूहिक दुराचार की घटना…
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) November 22, 2023
मौर्य ने ट्वीट में आगे लिखा कि,
१. एक भाई ने दूसरे से झगडा कराने का काम किया तो दूसरे ने भाईयों को आपस में लडने के लिए विवश किया । क्या सरकार पारिवारिक अलगाव को प्रोत्साहित करने के पक्ष में है ? (क्या उन्हें इस वास्तविकता का ज्ञान है, कि स्वामी प्रसाद मौर्य समाज में कलह निर्माण करने का काम करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं? ऐसा करने वालों का अंत क्या होता है ? उन्हें इन पुस्तकों से यह ज्ञान प्राप्त होगा ! – संपादक)
२. वर्तमान समय में साम्प्रदायिक हिंसा एवं महिलाओं पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं । दलितों, आदिवासियों, पिछडों तथा महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं । विद्यालय का शुल्क नहीं देने पर बच्चों को शारीरिक दंड दिया जा रहा है । महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म हो रहे हैं । बलात्कार के उपरांत उन्हें मारकर टुकडे-टुकडे कर दिए जाते हैं । (इसके लिए अब तक शासन करने वाले सभी राजनीतिक दल उत्तरदायी हैं, मौर्य ऐसा क्यों नहीं कहते ? – संपादक)
३. यदि पाठ्यक्रम में परिवर्तन करना ही है तो देश के वर्तमान वीर सपूतों एवं राष्ट्र नायकों की जीवनी पढाई जानी चाहिए । नेता जी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, रानी लक्ष्मीबाई, चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह आदि महानायकों को समावेश किया जाना चाहिए । (उनका जीवन चरित्र तो पढाया जाता रहा है; परंतु श्रीराम एवं श्रीकृष्ण का चरित्र जो अभी तक नहीं पढाया गया, अब उसे पढाने का कार्य किया जाएगा । इसी कारण मौर्य जैसे लोग उदर-शूल से व्यथित हैं ! – संपादक)
संपादकीय भूमिका
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