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रत्नागिरी (महाराष्ट्र) – महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष २०२० में राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में वस्त्र संहिता (ड्रेस कोड) लागू कर दी है । इतना ही नहीं, देश के कई मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों, मस्जिदों तथा अन्य पूजा स्थलों, निजी प्रतिष्ठानों, विद्यालय-महाविद्यालय, न्यायालयों, पुलिस आदि में भी वस्त्र संहिता (ड्रेस कोड) लागू है । इसी भूमिका पर मंदिरों की पवित्रता, शिष्टाचार तथा संस्कृति को संरक्षित करने के लिए ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की ओर से रत्नागिरी जिले में ११ स्थानों पर बैठकें की गईं । इन बैठकों में रत्नागिरी जिले के ४७ मंदिरों के न्यासियों ने उन मंदिरों में भारतीय संस्कृति के अनुसार ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय लिया है, ऐसी जानकारी श्री. सुनील घनवट द्वारा दी गई । वे यहां होटल वीवा एग्जीक्यूटिव के सभागृह में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे ।
श्री.सुनील घनवट ने कहा कि,
१. मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने और भारतीय संस्कृति का पालन करने के लिए, जिले के २० मंदिरों के दर्शनीय भाग में बोर्ड लगाए गए हैं, जिसमें भक्तों से कहा गया है कि वे मंदिर में आते समय अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनकर न आएं । साथ ही भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए मंदिर प्रशासन का सहयोग करें । राजापुर तहसील के काशीली में स्थित श्री कनकादित्य मंदिर, आदिवरे में स्थित श्री महाकाली मंदिर, राजापुर का श्री विट्ठल राम पंचायत मंदिर, रत्नागिरी का स्वयंभू श्री काशी विश्वेश्वर देवस्थान, नाचने के ग्राम देवता श्री नवलाईदेवी मंदिर, पावस के श्री राम मंदिर, प्रसिद्ध ग्राम देवता श्री जूना चिपलून के कालभैरव मंदिर, श्री विंध्यवासिनी मंदिर, मजरे-दादर (दसपति) स्थित श्री रामवरदायिनी मंदिर सहित जिले के ४७ मंदिरों ने वस्त्र संहिता (ड्रेस कोड) लागू करने का निर्णय लिया है ।
२. इससे पहले, मंदिरों और धार्मिक परंपराओं की सुरक्षा के लिए ४ तथा ५ फरवरी, २०२३ को जलगांव में आयोजित राज्य स्तरीय ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास सम्मेलन’ में उपरोक्त प्रस्ताव पारित किया गया था । इसकी कार्यवाही प्रदेश के मंदिरों में की जा रही है ।
३. कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों के लिए सात्विक वस्त्र संहिता कई वर्षों से लागू है, जैसे कि १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक, उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, श्री तिरूपति बालाजी मंदिर । आंध्र प्रदेश में, केरल में प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी में श्री माता मंदिर । बेसिलिका ऑफ बोर्न जीसस तथा सी कैथेड्रल सहित गोवा के अधिकांश मंदिरों में एक वस्त्र संहिता (ड्रेस कोड) लागू की गई है । महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों तथा कर्मचारियों के ‘जींस पैंट’, ‘टी-शर्ट’, चमकीले रंग अथवा कढ़ाई वाले कपड़े तथा ‘चप्पल’ पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है । मद्रास हाई कोर्ट ने भी माना कि ‘मंदिरों में प्रवेश के लिए सात्विक पोशाक पहननी चाहिए’ और १ जनवरी २०१६ से राज्य में वस्त्र संहिता (ड्रेस कोड) लागू कर दी । इसके अतिरिक्त, ढीले कपड़े अथवा गैर-पारंपरिक पोशाक में भगवान के दर्शन के लिए मंदिरों में जाना ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ नहीं हो सकती । ‘घर पर तथा सार्वजनिक स्थानों पर कौन से कपड़े पहनने हैं ?’ यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता है; लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्थान है । यहां धर्मानुसार आचरण होना चाहिए । कोर्ट ने निर्देश दिया है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं, अपितु धर्म महत्वपूर्ण है ।
४. पश्चिमी परिधानों की तुलना में भारतीय परिधान अधिक सात्विक तथा सभ्य होते हैं । भारतीय परिधान पहनने से हमारी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा तथा युवा पीढ़ी में स्वाभिमान जागृत होगा । पश्चिम की तुलना में पारंपरिक परिधान उद्योग को बढ़ावा मिलेगा । ग्रामीण अर्थव्यवस्था दृढ होगी । यदि हम मंदिर की सात्विकता को अधिक ग्रहण करना चाहते हैं तो हमारा आचरण तथा हमारी वेशभूषा भी सात्विक होनी चाहिए ।