|
नई देहली – हमारे पास ज्ञान और विज्ञान का खजाना है; केवल भीड के जोर पर सत्य-असत्य का निर्णय नहीं लिया जाता, ऐसा मत योगऋषि रामदेवबाबा ने पत्रकार वार्ता में व्यक्त किया । उच्चतम न्यायालय द्वारा पतंजलि के विज्ञापन पर दी गई चेतावनी के विषय में वह बोल रहे थे ।
(सौजन्य : IndiaTV)
योगऋषि रामदेवबाबा द्वारा रखे सूत्र
१. वैद्यकीय माफिया झूठा प्रचार करते हैं, पतंजलि कभी भी झूठा प्रचार नहीं करती । इसके विपरीत पतंजलि ने स्वदेशी पर जोर दिया है । जो झूठा प्रचार किया जा रहा है, यह उजागर किया जाना चाहिए । रोग के नाम पर लोगों को डराया जा रहा है ।
२. मैं कभी भी न्यायालय में नहीं गया ; लेकिन मैं उच्चतम न्यायालय में उपस्थित होने के लिए तैयार हूं । मुझे मेरा संपूर्ण संशोधन प्रस्तुत करने की अनुमति मिले, ऐसी मेरी इच्छा है । हमें हमारे रोगी और संशोधन प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना चाहिए । मैं ‘ड्रग एंड मैजिक रेमेडी कानून’ जो वर्ष १९४० में बनाया गया, उसके दोष उजागर कर सकता हूं ।
३. लोगों को बताया जाता है कि, एक बार बीमार हुए तो जन्मभर दवा औषधियां लेनी पडेंगी । हम कहते हैं कि औषधि छोडकर प्राकृतिक जीवन जिएं । हम सैकडो रोगियों को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के सामने लाने के लिए तैयार हैं । सभी संशोधन देने के लिए तैयार हैं ।
४. हमारे यहां सैकडों वैज्ञानिक हैं । हमने सैकडों संशोधन मार्गदर्शक तत्वों का पालन किया है और अंतर्राष्ट्रीय ‘जर्नल्स’ में शोधनिबंध प्रकाशित भी हुए हैं । इसके उपरांत हम दवा कर रहे हैं । सत्य-असत्य, इसका निर्णय संपूर्ण देश के सामने होना चाहिए ।
५. एलोपैथी उपचार करनेवालों की बड़ी संख्या है । उनका लाखों करोडों रूपयों का साम्राज्य है । इस कारण सत्य और असत्य का निर्णय नहीं होगा । उनके पास अधिक अस्पताल और अधिक डॉक्टर हैं, इस कारण उनकी आवाज अधिक सुनाई देती है, तो कम पैसों के कारण हमारी आवाज नहीं सुनाई देती ।
६. हम गरीब नहीं, हमारे पास ऋषिमुनियों के ज्ञान की विरासत है; लेकिन हमारी संख्या अल्प है । हम एक संस्था के रूप में संपूर्ण विश्व के औषधि माफियाओं से सामना करने के लिए तैयार हैं । स्वामी रामदेव कभी भी घबराए नहीं अथवा पराजित नहीं हुए । अंतिम निर्णय होने तक हम यह लडाई लडने वाले हैं । उच्चतम न्यायालय का हमेशा आदर किया जाएगा ।
क्या है प्रकरण ?
पतंजलि आयुर्वेद कंपनी ने दावा किया था, ‘कोरोना पर उनके उत्पादनों , ‘कोरोनिल’ और ‘श्वासारी’ इन औषधियों द्वारा उपचार किया जा सकता है ।’ इस दावे के उपरांत आयुष मंत्रालय ने कंपनी को उसके विज्ञापन तुरंत रोकने के लिए कहा, साथ ही भारतीय वैद्यकीय संगठन ने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की ।