Halal production ban Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में हलाल उत्पादों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध !

केवल निर्यात की अनुमति !

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल प्रमाणन के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद हलाल प्रमाण पत्र जारी करने वाले इस्लामिक संगठनों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण प्रविष्ट किया है,  जिसके फलस्वरूप अब हलाल प्रमाणीकरण प्राप्त उत्पादों के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस संबंध में राज्य खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त ने १८ नवंबर की रात्रि में आदेश प्रकाशित किया है । केवल निर्यात किए जाने वाले उत्पादों को ही हलाल प्रमाणन  की अनुमति है।

 (सौजन्य : ANI News)

समानांतर प्रमाणीकरण के कारण अन्न व खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के संबंध में भ्रम उत्पन्न होता है!

आदेश में कहा गया है, ‘उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणित दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, खाद्य और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण, भंडारण, वितरण, खरीद और बिक्री में लिप्त किसी भी व्यक्ति या प्रतिष्ठान के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’ ‘हलाल प्रमाणीकरण एक समानांतर प्रणाली के रूप में कार्य कर रहा है और यह खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के संबंध में भ्रम निर्माण करता है तथा इस संबंध में सरकारी नियमों का उल्लंघन करता है।’

प्रमाणित करने का अधिकार केवल भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (‘एफ.एस.एस.ए.आई.’) के पास सुरक्षित है!

उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त अनीता सिंह ने कहा कि पहले हलाल प्रमाणीकरण केवल मांस उत्पादों तक ही सीमित था; किन्तु वर्तमान में तेल, चीनी, टूथपेस्ट और मसालों जैसे सभी प्रकार के उत्पादों को हलाल प्रमाणीकरण दिया जा रहा है। भारत में खाद्य प्रमाणन से संबद्ध सभी कानूनों को समाप्त कर दिया गया है और इसके लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (‘एफ.एस.एस.ए.आई.’) ही उत्तरदायी है। इसे प्रमाणन के लिए एकमात्र अधिकृत निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है। एफ.एस.एस.ए.आई. इसके अतिरिक्त कोई अन्य संगठन या प्रतिष्ठान उत्पादों को प्रमाणपत्र जारी नहीं कर सकता।

हलाल प्रमाणपत्र के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट !

अधिवक्ता विभोर आनंद ने अप्रैल २०२२ में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर हलाल उत्पादों और हलाल प्रमाणीकरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। याचिका में दावा किया गया कि केवल १५ प्रतिशत जनसंख्या के लिए हलाल प्रमाणित उत्पाद बनाकर ८५ प्रतिशत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। याचिका में बहुराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों को अपने सभी हलाल प्रमाणित उत्पादों को बाजार से वापस लेने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया कि ‘हलाल’ प्रमाणन पहली बार १९७४ में नृशंसता से वध किए गए मांस के लिए प्रस्तुत किया गया था और १९९३ तक यह केवल मांस उत्पादों पर लागू था।

हलाल प्रमाणपत्र के लिए आवेदन राशि !

इस्लामिक संगठन जमीयत उलेमा देहली की अंतर्जाल संकेत स्थल पर ३ वर्ष के लिए हलाल प्रमाणपत्र की आवेदन राशि ६१ सहस्त्र ५०० रुपये है तथा एस.एस.टी. अतिरिक्त है। मांस उत्पाद निर्यात के लिए प्रति अनुबंध ८०० रुपये और गैर-मांस उत्पादों के लिए १ सहस्त्र रुपये है।

संपादकीय भूमिका 

  • योगी आदित्यनाथ सरकार का सराहनीय निर्णय !
  • यदि उत्तर प्रदेश सरकार इस पर प्रतिबंध लगा सकती है, तो अन्य राज्यों को भी ऐसा करना चाहिए और जिहादी आतंकवादियों को धन देने वाली समानांतर प्रमाणीकरण प्रणाली को नष्ट करना चाहिए !