हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सदगुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की वंदनीय उपस्थिति
ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश) – मांधाता पर्वत पर संतों की वंदनीय उपस्थिति में आदिगुरु शंकराचार्यजी की अष्टधातु से बनी १०८ फुट ऊंची एकात्मता की मूर्ति का अनावरण मुख्यमंत्री श्री. शिवराज सिंह चौहान ने १९ सितंबर, गुरुवार को किया । (इसी मान्धाता पर्वत पर शंकराचार्यजी के जीवन में गोविंद भगवत्पाद गुरु रूप में आए ।)
मूर्ति शंकराचार्यजी के बाल रूप में है । उन्हें १२ वर्ष की आयु का दर्शाया है । मूर्ति के आधार में ७५ फुट का पैडेस्टल है । यह मूर्ति पाषाण निर्मित १६ फुट के कमल पर स्थापित है । मूर्तिकार श्री भगवान रामपुरे एवं चित्रकार श्री. वासुदेव कामत के मार्गदर्शन में मूर्ति का निर्माण किया गया है । इस समय मांगलिक अनुष्ठानों के साथ २ सहस्र २०० करोड रुपए की लागत से बननेवाले अद्वैत-लोक का भी शिलान्यास किया गया ।
ओंकारेश्वर में संतजनों के आगमन पर केरल की पारंपरिक पद्धति से अतिथियों का स्वागत किया गया । विभिन्न राज्यों से आए सांस्कृतिक नृत्य-दलों के कलाकारों ने शैव परंपरा के नृत्यों की प्रस्तुति देते हुए अध्यात्मधाम में सभी का स्वागत किया । सनातन संस्कृति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक नृत्यों ने कार्यक्रम स्थल को आध्यात्मिक भाव का संचार किया ।
अद्वैत-लोक के मांगलिक अनुष्ठान के अवसर पर मान्धाता पर्वत पर उपस्थित जनों को आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वातावरण में अध्यात्म की दिव्य अनुभूति हुई । ओंकारेश्वर में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शंकराचार्य प्रतिमा अनावरण के पश्चात सिद्धवरकूट क्षेत्र में ब्रह्मोत्सव का आयोजन किया गया था ।
इस कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, स्वामी अवधेशानंदगिरी महाराजजी, स्वामी गोविंददेव गिरी महाराजजी, स्वामी परमात्मानंद महाराजजी, स्वामी स्वरूपानंद महाराजजी, स्वामी तीर्थानंद महाराजजी, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी सहित पूरे देश से आए साधु-संत, विद्वान मंच पर उपस्थित थे ।
विशेष संवादकार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी से संवाद किया । इस समय सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने उन्हें धर्मशिक्षा फलक ग्रंथ भेंट दिया । साथ ही जूना अखाडा पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराजजी ने सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी से संवाद किया । |