चंद्र या मंगल जैसे ग्रहों पर मानव बस्ती के लिए आवश्यक शोध !
नई दिल्ली – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ३० दिसंबर को श्रीहरिकोटा से ‘स्पेड एक्स’ (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन) का आरंभ किया। इस मिशन के अंतर्गत ‘सीएसएलवी-सी६०’ रॉकेट की सहायता से पृथ्वी से ४७० किमी ऊपर अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ा जाएगा। यह यान ७ जनवरी को जोड़े जाएंगे। इस मिशन के अंतर्गत पहली बार अंतरिक्ष में जीवन अंकुरित करने में सफलता प्राप्त हुई है। ‘पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल’ (पोयम-४) पर भेजे गए ‘क्रॉप्स’ (कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज) के जरिए यह प्रयोग सफल हुआ। यह प्रयोग अंतरिक्ष में भोजन उगाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
१. ‘क्रॉप्स’ को विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में बनाया गया। इसके माध्यम से चवली के बीज केवल ४ दिनों में अंकुरित किए गए।
२. चवली जल्दी उगने वाली फसल होने के कारण प्रयोग के लिए इसके बीजों का चयन किया गया। यह शोध भविष्य में चंद्रमा, मंगल या अन्य ग्रहों पर मानव बस्ती बनाए रखने में सहायक होगा।
अब पालक पर होगा प्रयोग !
चवली के अंकुरण में सफलता मिलने के बाद अब पालक पर भी शोध आरंभ हो चुका है। वैज्ञानिकों को इसमें भी सफलता मिलने की उम्मीद है। पालक की कोशिकाओं पर एक साथ अंतरिक्ष और पृथ्वी पर प्रयोग किए जाएंगे। पालक की कोशिकाओं को सूर्यप्रकाश और पोषक तत्व ‘एलईडी लाइट्स’ के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे। पौधों की कोशिकाओं के रंग और वृद्धि का चित्रण किया जाएगा। यदि कोशिकाओं का रंग बदलता है, तो इसे असफल माना जाएगा। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो इससे अंतरिक्ष और पृथ्वी पर कृषि तकनीक में सुधार होगा। यह मंगल मिशन जैसे लंबे अंतरिक्ष अभियानों के समय पौधों को उगाने की संभावना को और दृढ करेगा।