यदि आप प्रार्थना करना चाहते हैं, तो मस्जिद में जाएं !

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने नमाज के लिए एयरपोर्ट (विमान पत्तन) में स्वतंत्र कक्ष की मांग रद्द की !

गुवाहाटी (असम) – गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने यहां एयरपोर्ट (विमान पत्तन) पर नमाज के लिए एक स्वतंत्र कक्ष की व्यवस्था की मांग से संबंधित याचिका रद्द कर दी । न्यायालय ने मुस्लिम याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा, ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है । ऐसी व्यवस्था किसी समाज की मांग पर नहीं की जा सकती । प्रार्थना के लिए मस्जिदें हैं । जिसे भी नमाज पढनी हो, वह वहां जाए ।’

क्या संविधान में सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना कक्ष के प्रावधान का उल्लेख है ?

याचिका राणा सुदैर जमान ने प्रविष्ट की थी । उस समय न्यायालय ने जमान से पूछा कि संविधान में ऐसे अधिकार का उल्लेख कहां है कि सभी सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना के लिए स्थान होना चाहिए’ ? सरकार ने कुछ एयरपोर्टों (विमान पत्तनों) पर प्रार्थना कक्ष बनाए हैं; किंतु इसका अर्थ कदापि यह नहीं है कि सभी सार्वजनिक स्थानों पर प्रार्थना के लिए स्थान होने चाहिए; तो केवल एयरपोर्ट (विमान पत्तन) ही क्यों ? प्रत्येक सार्वजनिक स्थान पर क्यों नहीं ? क्या ऐसी मांग मौलिक अधिकार है ?

प्रार्थना से आय नहीं होती !

राणा जमान ने न्यायालय से कहा कि एयरपोर्ट (विमान पत्तन) पर धूम्रपान, स्पा तथा रेस्तरां बनाने के नियम हैं; अत: प्रार्थना के लिए एक कक्ष होना चाहिए ।

न्यायालय ने कहा कि धूम्रपान के लिए अलग कक्ष बनाया जाता है जिससे धूम्रपान से अन्यों को कष्ट न हो । रेस्तरां से आय होती है किंतु लोग नमाज पढने जाएंगे तो इससे कोई आय नहीं होगी ।

याचिका में आगे कहा गया है, ‘अधिकतम उडाने नमाज के समय में होतीं हैं, अत: एक अलग कक्ष होना चाहिए ।’ न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक यात्री को उडान का समय चुनने की स्वतंत्रता है । इसलिए वह ऐसा विमान चुन सकता है जिसमें उसे सुविधा हो ।

संपादकीय भूमिका 

लोगों का यह भी मानना है कि बिना अनुमति के सडकों एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ कर नागरिकों के लिए बाधा उत्पन्न करने पर भी न्यायालय को आदेश पारित करना चाहिए !