वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ‘लव जिहाद’ के विषय में किया गया उद्बोधन
‘द केरल स्टोरी’ फिल्म ने भारत में चल रहा ‘लव जिहाद’ का षड्यंत्र तथा उसका वैश्विक आंतकवादी संगठन ‘इसिस’ के साथ संबंध प्रमाणित कर दिखाया; परंतु तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों ने अनेक स्थानों पर इस फिल्म का विरोध किया । कहीं इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाया गया, तो कहीं सिनेमाघरों ने उसे दिखाना अस्वीकार कर दिया । भारत की लडकियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनसे उनके धर्म, माता-पिता, संस्कृति, अस्तित्व ये सबकुछ छीनकर उन्हें अपने ही देश, धर्म तथा परिवार के विरुद्ध ‘जिहाद’ करने के लिए तैयार किया जाता है, यह कोई सामान्य बात नहीं है ! परंतु मुस्लिम वोटबैंक को टिकाए रखने के लिए इस फिल्म का विरोध किया गया । यहां हमें यह ध्यान में लेना होगा कि जो धर्मनिरपेक्षतावादी इस फिल्म को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, वे वास्तव में अनुभव हो रही लव जिहाद की विभीषिका को कैसे स्वीकार कर सकेंगे ? क्या वे हिन्दू लडकियों की रक्षा के लिए प्रयास करेंगे? इसके परिणामस्वरूप संपूर्ण देश में लव जिहाद की घटनाओं ने उधम मचा रखा है । देहली की साक्षी दीक्षित की क्रूरतापूर्ण हत्या हो अथवा मुंबई की श्रद्धा वालकर के टुकडे-टुकडे करना हो; इन जिहादियों को किसी प्रकार का भय नहीं रह गया है, ऐसा दिखाई देता है ।
कोई चिडीमार जैसे दाने डालकर निर्दोष पक्षियों को अपने जाल में फंसाता है, उसी प्रकार से मित्रता करने के लिए मुस्लिम लडकियों का उपयोग कर अपनी झूठी पहचान बताकर, हाथ में लाल धागा बांधकर तथा भेंटवस्तुएं देकर इन लडकियों को जाल में फंसाया जाता है । इतिहास की अज्ञानता के कारण इन लडकियों को उनके द्वारा कुछ छल-कपट होने का तथा भविष्य में आनेवाले संकट का भान ही नहीं हो पाता । आगे जाकर जिहाद के प्रथम कदम के रूप में उस युवती पर इस्लाम स्वीकारने पर विवश किया जाता है, साथ ही उसे बुर्का पहनना, गोमांस खाना एवं तलाक पद्धति को भी स्वीकार करना पडता है तथा आगे जाकर उसका जीवन नरक बन जाता है ।
‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्म हो अथवा साक्षी, श्रद्धा जैसे लडकियों की अमानुषिक हत्याएं हों; समाज पर उनका परिणाम कुछ ही समय तक टिका रहता है; परंतु लडकियों को इस संकट से बचाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए जाते । वैसा हुआ होता, तो फ्रिज में श्रद्धा वालकर के टुकडे मिलने के उपरांत भी साक्षी, अंकिता सिंह, मानसी दीक्षित, तनिष्का शर्मा, खुशी परिहार, वर्षा चौहान, हिना तलरेजा आदि युवतियों की इस प्रकार से अमानवीय हत्याएं नहीं हुई होतीं ।
१. हिन्दू बहन का ‘लव जिहाद’ में फंसने का कारण
१ अ. लव जिहाद के लिए मुस्लिम युवकों को प्रशिक्षित कर उनका उपयोग करना : संपूर्ण विश्व को ‘दार-उल्-इस्लाम’ बनाना अर्थात विश्व पर इस्लामी सत्ता स्थापित करना मुस्लिमों का सपना है ! सरकार द्वारा प्रतिबंधित ‘पी.एफ.आई.’ का (‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’का) ‘विजन-२०४७ डॉक्युमेंट’ (वर्ष २०४७ तक भारत को इस्लामी देश बनाने का षड्यंत्र) इसी का भाग है । उसके लिए जिहाद की किसी भी सीमातक जाने की उनकी तैयारी है । मौलवियों के द्वारा उन्हें इस जिहाद के कार्य में प्राण जाने पर उनके लिए ‘जन्नत’ में (स्वर्ग में ) उपभोग के लिए ७२ हुरें (सुंदरियां) मिलने का सपना दिखाया जाता है । उसमें शरीर पर बम बांध लेने की अपेक्षा ‘लव जिहाद’ सबसे सरल पद्धति होने से उसका सर्वाधिक उपयोग किया जाता है । उसके लिए वे दिखने में अच्छे एवं शिक्षित युवकों को प्रशिक्षित कर उनका उपयोग करते हैं । जब कोई लडकी उनके जाल में फंस जाती है, उस समय वे उसे अपना सच्चा रूप दिखाकर उस पर इस्लाम स्वीकारने की हठ (जबरदस्ती) करते हैं । वे उस लडकी को इस्लामी वेशभूषा, रहन-सहन आदि स्वीकार करने पर विवश कर देते हैं । यह सब होने पर वे पुनः अगली लडकी को अपने जाल में फंसाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं । श्रद्धा वालकर के टुकडे करनेवाले आफताब पूनावाला ने इसी प्रकार से २० लडकियों को अपने जाल में फंसाया था ।
१ आ. हिन्दुओं पर स्थित धर्मनिरपेक्षतावाद का प्रभाव तथा ‘मेरा अब्दुल वैसा नहीं है’ की मानसिकता ! : लव जिहाद में प्रेम की सहज-सुलभ भावनाओं का उपयोग किया जाता है । उसके लिए युवावस्था में उत्पन्न भावनाओं का तथा शारीरिक आकर्षण का उपयोग किया जाता है । उसमें भी लडकियों के संदर्भ में यह बहुत सरल सिद्ध होता है; क्योंकि उनके माता-पिता पहले ही सर्वधर्म समभाव माननेवाले बन चुके हैं । हिन्दू पद्धति से धर्माचरण करना पुराने विचारों का माना जाता रहा है । विदेशी परंरपराओं के दास (गुलाम) होने की भांति हिन्दू आचरण कर रहे हैं । जन्मदिवस पर केक काटना, दरगाह पर जाना, रमजान का पालन करना आदि कृत्य हिन्दुओं को प्रगतिशीलता के लक्षण दिखते हैं । लव जिहाद में फंसी हिन्दू बहनों को इससे सतर्क किए जाने पर उनका यह कहना होता है कि अन्य मुसलमान भले ही बुरे होंगे; परंतु मेरा प्रेमी अब्दुल वैसा नहीं है । वह सबसे अलग है; परंतु उसके कुछ माह उपरांत ही सभी अब्दुल एक ही विचाराधारावाले हो जाते हैं, यह उसे जब ज्ञात होता है, तब उसके सामने अन्य कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता । उसके उपरांत पूरा जीवन पश्चाताप करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाता ।
२. लव जिहाद करने के लिए मुसलमानों द्वारा अपनाए जानेवाले दांवपेंच
अ. लव जिहाद में हिन्दू लडकियों के साथ निकटता बढाने के लिए माध्यम के रूप में मुस्लिम लडकियों का उपयोग किया जाता है । ये लडकियां हिन्दू लडकियों का मुस्लिम लडकों से परिचय कराने का कार्य करती हैं ।
आ. मोबाइल रिचार्ज सेंटर, निजी शिक्षावर्ग जैसे माध्यमों से हिन्दू लडकियों के चल-दूरभाष क्रमांक मुस्लिम युवकों को दिए जाते हैं तथा उनके साथ मित्रता बढाने के प्रयास किए जाते हैं ।
इ. आधुनिक जिम (व्यायाम) प्रशिक्षक बनकर हिन्दू लडकियों के साथ निकटता बढाकर उन्हें फंसाया जाता है ।
ई. स्वयं को उच्चवर्णीय हिन्दू दिखाकर हिन्दू लडकियों से निकटता साध्य की जाती है । उसके उपरांत हिन्दू धर्म में अनेक देवी-देवता हैं; परंतु वे उपयोगी नहीं हैं, ऐसे विचार रखकर उनका बुद्धिभ्रम कर उन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार किया जाता है ।
उ. महंगी गाडियों का उपयोग कर लडकियों पर प्रभाव डालने का प्रयास किया जाता है, साथ ही उन्हें महंगी भेंट वस्तुएं देकर भी उनके निकटता साध्य की जाती है ।
ऊ. कार्यालय के काम में सहायता कर, साथ ही विनम्र एवं प्रेमपूर्वक व्यवहार कर हिन्दू लडकियों को मानसिक आधार देने का प्रयास किया जाता है ।
ए. लव जिहाद करनेवाले फिल्मी अभिनेता-अभिनेत्रियों के महंगे शौक, फैशन, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ (बिना विवाह किए युवक-युवतियों का एकत्र रहना) जैसी कुप्रथाओं का अनुचित लाभ उठाते हैं । ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में शारीरिक संबंध की संकल्पना में विवाह के कोई भी संस्कार एवं बंधन नहीं होते । यह बात हिन्दू लडकियों की समझ में नहीं आती तथा वे लव जिहाद में फंस जाती हैं ।
३. संपूर्ण विश्व में लव जिहाद का संकट
लव जिहाद का यह संकट भारत तक ही सीमित नहीं है, अपितु वह संपूर्ण विश्व में चल रहा है । २९ सितंबर २००९ में लंदन के पुलिस आयुक्त सर इयान ब्लेयर ने सर्वप्रथम वहां के परिवारों को इससे सतर्क करते हुए कहा था, ‘मुस्लिम समुदाय के युवक षड्यंत्रपूर्वक हिन्दू, सिक्ख एवं ईसाई युवतियों को अपने प्रेमजाल में फंसाने का काम कर रहे हैं ।’ उस अवधि में लव जिहाद को ‘रोमियो जिहाद’ कहा जाता था । आज भी संपूर्ण विश्व के अनेक देशों में ‘ग्रुमींग गैंग’ के (लव जिहाद के लिए कार्यरत धर्मांधों का गिरोह) नाम से इसी प्रकार स्थानीय युवतियों को इस्लाम के जाल में फंसाकर उनका धर्मांतरण कर रहे हैं ।
४. लव जिहाद के माध्यम से आतंकवाद का प्रचार होने का कैथॉलिक चर्च का आरोप
कैथॉलिक चर्च ने यह दावा किया है कि केरल राज्य की ईसाई महिलाओं को बडी संख्या में लव जिहाद में फंसाकर उन्हें इस्लामिक स्टेट की आतंकवादी गतिविधियों में ढकेला जा रहा है । कार्डिनल जॉर्ज एलनचैरी की अध्यक्षता में कार्यरत ईसाई संगठन ने केरल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘वे (सरकार) लव जिहाद के प्रकरणों को गंभीरता से नहीं लेते ।’ उन्होंने पुलिस प्रविष्टियों का उदाहरण देकर बताया कि जिन २१ लोगों को आतंकी संगठन ‘आई.एस.आई.एस.’ में भर्ती किया गया था, उनमें से आधे लोग धर्मांतरित ईसाई थे । इस घटना से संपूर्ण समाज की आंखें खुलनी चाहिए । यह एक गंभीर प्रकरण है । लव जिहाद काल्पनिक नहीं है । चर्च ने भी लव जिहाद में सम्मिलित दोषियों के विरुद्ध तुरंत कार्यवाही की मांग की ।
५. ‘लव जिहाद’ के अनजान कारण
संपूर्ण विश्व में इस्लाम का राज्य स्थापित करना भले ही उनका मूल उद्देश्य रहा हो; परंतु उसे साध्य करने के लिए छोटे-छोटे माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है ।
५ अ. झारखंड एवं छत्तीसगढ जैसे राज्यों में वनवासियों की भूमि हडपने का षड्यंत्र : झारखंड एवं छत्तीसगढ राज्यों में प्रतिबंधित ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ के (‘पी.एफ.आई.’ के) सदस्य अत्यंत पिछडे क्षेत्र के वनवासी जनजातियों की (ट्राइबल) लडकियों एवं महिलाओं से विवाह कर रहे हैं । वनवासी जनजातियों के ये भोले लोग मुस्लिमों का षड्यंत्र उनकी समझ में नहीं आता । गुप्तचर विभाग के सूत्रों के अनुसार ‘पी.एफ.आई.’ के सदस्यों द्वारा वनवासी महिलाओं एवं लडकियों से विवाह करने के १ सहस्र प्रकरण सामने आए हैं । ‘वनवासी जनजातियों की युवतियों के साथ छल-प्रपंच कर विवाह करना तथा उसके उपरांत उनके द्वारा वन की भूमि नियंत्रण में लेना’ ही उनका मुख्य उद्देश्य है । आज जिस प्रकार जंगलों से वनवासी जनजातियों के माध्यम से नक्सलवाद बढाया गया, उसी प्रकार अब आदिवासी एवं अल्पसंख्यकों के नाम पर भारत के विरुद्ध जिहाद चलाने की उनकी नई योजना है ।
५ आ. बांग्लादेशियों द्वारा लव जिहाद के माध्यम से नागालैंड में भूमि हडपने का प्रयास किया जाना : ‘नागालैंड में काम के लिए आनेवाले बांग्लादेशी मुस्लिम स्थानीय नागा लडकियों को लालच देकर उनके साथ विवाह करते हैं’, यह वहां की स्थानीय जनजातियों का आरोप है । इन विवाहों की संख्या इतनी अधिक है कि अब ‘सेमा’ अथवा ‘सुमी’ (नागा जनजाति) की लडकी तथा बांग्ला मुस्लिम पुरुष के बीच विवाहों के कारण वहां ‘सुमिया’ नामक नई नागा जनजाति बन गई है ।
५ इ. लव जिहाद का एक प्रमुख कारण – अनुवांशिक बीमारियों से मुस्लिम बच्चों को बचाना : लव जिहाद के जिन विभिन्न कारणों की चर्चा होती है, उस चर्चा में न होनेवाला; परंतु एक महत्त्वपूर्ण कारण है । ‘कांसेग्युनियस मैरेज’ के कारण (Consanguineous marriage – ‘परिवार के व्यक्तियों के साथ किए गए निकाह’ के कारण) जन्म लेनेवाले मुस्लिम बच्चों को जो अनुवांशिक बीमारियां होती हैं, उनसे उन्हें बचाना ! मुस्लिम परिवारों में ‘कांसेग्युनियस मैरेज’ अर्थात अपनी (सगी) चचेरी एवं मौसेरी बहनों से निकाह करने की प्रथा है । स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इस ‘इंब्रिडिंग’ के कारण (inbreeding – निकट के संबंधों के कारण होनेवाले प्रजनन के कारण) मुसलमानों में अनुवांशिक बीमारियां बढ गई हैं । इसके फलस्वरूप आज की पीढी के अनेक बच्चे अनुवांशिक बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं । उनमें रक्त से संबंधित बीमारियों, दृष्टिहीनता, शिक्षा लेने में सक्षम न होना, मंद बुद्धि, बहरापन आदि बीमारियों का समावेश है । मुसलमानों में बढती बीमारियों की समस्या को देखते हुए इस्लाम के वैश्विक वर्चस्व के समक्ष चुनौती उत्पन्न हुई है । इस कारण भी ‘लव जिहाद’, साथ ही धर्मांतरण के माध्यम से हिन्दू-ईसाई लडकियों को मुस्लिम बनाकर उनके गर्भ से सुदृढ इस्लामी वंश उत्पन्न करने का उनका प्रयास चल रहा है ।
६. लव जिहाद के कारण होनेवाली हानि – हिन्दू संस्कारों की ‘जीन (जनुकीय) बैंक’ का नष्ट होना
हमारी एक हिन्दू बहन का मुस्लिम के साथ निकाह करने का अर्थ है, उसमें समाहित संस्कारी हिन्दूवंश उत्पन्न करने की उसकी क्षमता का नाश होकर उसके द्वारा इस्लामी वंश का आरंभ होना ! आमिर खान ने भी एक संवाद में स्पष्टतापूर्वक कहा था, ‘मेरी पत्नी हिन्दू हो सकती है; परंतु मेरे बच्चे तो मुस्लिम ही होंगे !’ इससे यह स्पष्ट होता है कि हिन्दू युवतियों के लव जिहाद के अंतर्गत विवाह करने से हिन्दुओं का सुसंस्कृत ‘जीन बैंक’ नष्ट हो रहा है ।
७. भारत से लापता महिलाओं की बडी संख्या तथा आगे जाकर उनका क्या होता है ?
अ. राष्ट्रीय आपराधिक प्रविष्टि विभाग के ब्योरे के अनुसार महाराष्ट्र, बंगाल एवं मध्य प्रदेश, इन ३ राज्यों में पिछले ३ वर्षाें में सर्वाधिक महिलाएं लापता हैं । वर्ष २०१६ में महाराष्ट्र में २८ सहस्र ३१६, वर्ष २०१७ में २९ सहस्र २७९ तथा वर्ष २०१८ में ३३ सहस्र ९६४ महिलाएं लापता हैं । मुंबई में वर्ष २०१७ तथा वर्ष २०१८ में ४ सहस्र ७१८ एवं ५ सहस्र २०१ महिलाओं के लापता होने के साथ ऐसी घटनाओं की सर्वाधिक संख्या प्रविष्ट हुई है । बंगाल में वर्ष २०१६ से २०१८ तक की अवधि में लापता महिलाओं की संख्या क्रमशः २४ सहस्र ९३७, २८ सहस्र १३३ तथा ३१ सहस्र २९९ थी । मध्य प्रदेश में इन ३ वर्षाें में महिलाओं के लापता होने के २१ सहस्र ४३५, २६ सहस्र ५८७ तथा २९ सहस्र ७६१ परिवाद (शिकायतें) पंजीकृत किए गए । इन ३ राज्यों में ही इतनी बडी संख्या में महिलाओं के लापता होने की प्रविष्टियां होते हुए भी उसके संदर्भ में कुछ उपाय किए जा रहे हैं, ऐसा दिखाई नहीं देता ।
आ. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई तथा अन्य राज्यों में इतनी बडी संख्या में महिलाएं लापता हो रही हैं, तो इस विषय को गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता ? ‘लव जिहाद’ के साथ इसके संबंधों की जांच क्यों नहीं की जाती ?
८. लव जिहाद को रोकने के लिए हिन्दू लडकियों को हिन्दुओं का गौरवशाली इतिहास तथा महारानी पद्मावती द्वारा दिए गए बलिदान के विषय में बताना आवश्यक !
हमारी लडकियों को छत्रपति शिवाजी महाराज एवं महाराणा प्रताप के जीवन के विषय में, साथ ही छत्रपति संभाजी महाराज, रानी लक्ष्मीबाई एवं रानी पद्मावती के धर्म के लिए दिए गए बलिदान का इतिहास बताना होगा । रानी पद्मावती ने अलाउद्दीन खिलजी की बेगम (पत्नी) बनकर जीने की अपेक्षा जौहर कर स्वयं को अग्नि में समर्पित करना स्वीकार किया था । उस समय उनके साथ १ सहस्र ६०० क्षत्रिय स्त्रियों ने भी जौहर किया था । इससे मुसलमानों के सामने न झुकनेवाली तथा स्वयं के शील की रक्षा के लिए बलिदान देनेवाली हिन्दू वीरांगनाओं की मानसिकता समझ में आ सकती है, तो आज हमारी बहनें अब्दुल, सलीम, सलमान आदि के पीछे क्यों भाग रही हैं ? इसके लिए उन्हें हमारी वीरमाताओं एवं वीरपुरुषों का स्मरण करने के लिए कहें ।
लव जिहाद को रोकने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए । इस अभियान में निम्नांकित उपाय करने होंगे – हिन्दू युवतियों में लव जिहाद के प्रति जागृति, हिन्दू धर्मशास्त्र के संदर्भ में उन्हें प्रशिक्षित करना, विभिन्न समुदायों में जाकर उद्बोधन करना एवं संगठन बनाना, स्वरक्षा प्रशिक्षण, लव जिहादियों को रोकने के लिए आंदोलन; जिन पीडित हिन्दू लडकियों को पुनः हिन्दू धर्म में प्रवेश करना है, उनके लिए घरवापसी की योजना, लव जिहाद के विरुद्ध कठोर कानून बनाने के लिए प्रयास करना आदि । इसके साथ ही उसका प्रत्यक्ष कार्यान्वयन कर संगठित रूप से इस धर्मसंगठन का सामना करना पडेगा !
– श्री. आनंद जाखोटिया, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति