मंदिरों के उत्सवों में भक्ति के स्थान पर शक्ति का प्रदर्शन करनेवाले मंदिर बंद करने चाहिए ! – मद्रास उच्च न्यायालय

चेन्नई (तमिळनाडु) – मद्रास उच्च न्यायालय ने २१ जुलाई को एक याचिका पर सुनवाई करते समय कहा, ‘मंदिरों के उत्सव भक्ति के स्थान पर शक्ति प्रदर्शन तक मर्यादित रहते होंगे और उससे हिंसा को प्रोत्साहन मिलता होगा, तो ऐसे मंदिर बंद करने चाहिए ! अरुलमिघ श्री रूथरा महा कलियाम्मन् अलयम् इस मंदिर के उत्सव को सुरक्षा दी जाए, इस मांग के लिए मंदिर के विश्वस्त थंगाराज ने याचिका प्रविष्ट की थी । ‘उत्सव के संदर्भ में २ गुटों में वाद है । उसका निबटारा करने के लिए तहसीलदार की अध्यक्षता में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई थी; परंतु उससे कुछ निष्पन्न नहीं हुआ’, ऐसे थंगाराज ने कहा था । उस पर न्यायालय ने उपरोक्त टिप्पणी की ।

मंदिर में मूर्ति कौन रखेगा ? इस पर यह वाद-विवाद है । तहसीलदार ने उत्सव मनाने की अनुमति दी थी; परंतु मंदिर में मूर्ति रखने के लिए दोनों गुटों पर प्रतिबंध लगाया था ।

हिन्दुओं के मंदिर एवं न्यायालयों की पूर्व की टिप्पणियां !

१. वर्ष २०२२ में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक सार्वजनिक भूमि पऱ बने मंदिर हटाने की कार्रवाई को स्थगित करने से अस्वीकार किया था । तब न्यायालय ने कहा था कि ईश्वर सर्वव्यापी है और उसकी दैवीय उपस्थिति के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं ।

२. वर्ष २०२१ में देहली के साकेत न्यायालय ने कुतुब मीनार के स्थान पर पहले गिराए गए २७ हिन्दू एवं जैन मंदिरों के विषय की याचिका अस्वीकार कर दी थी । न्यायालय ने कहा था कि भूतकाल की चूकें वर्तमान एवं भविष्य की शांति भंग करने के लिए कारणीभूत नहीं हो सकती ।

संपादकीय भूमिका 

 हिन्दुओं की श्रद्धा है कि उनके मंदिर बंद करने के विषय का निर्णय हिन्दुओं के धर्मगुरु को है !