महिलाएं वर्तमान में अपने पुरुष जोडीदार के विरुद्ध बलात्कार के कानून का दुरुपयोग कर रही हैं ! – उत्तराखंड उच्च न्यायालय

देहरादून (उत्तराखंड) – जोडीदार के विवाह करने से मना करने पर सहमति से रखे गए शारीरिक संबंधों को बलात्कार नहीं कह सकते, यह सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले ही स्पष्ट किया है । वर्तमान में महिला पुरुष जोडीदार के विरुद्ध बलात्कार के कानून का दुरुपयोग कर रही हैं, ऐसे उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक अभियोग की सुनवाई के समय कहा ।

अ. ३० जून २०२० को पीडित महिला द्वारा किए गए परिवाद में कहा था, ‘आरोपी जोडीदार के साथ वर्ष २००५ से लिव इन रिलेशनशिप में हूं । हम एकदूसरे से प्रेम करते थे और नौकरी लगते ही विवाह करना भी निश्चित किया था; परंतु नौकरी लगने के पश्चात आरोपी ने दूसरी महिला के साथ विवाह किया । आरोपी के विवाह के उपरांत भी हमारे संबंध कायम थे । उसने विवाह का प्रलोभन देते हुए अनुचित लाभ उठाकर लैंगिक शोषण किया ।

आ. उच्च न्यायालय ने इस पर कहा कि अपना जोडीदार विवाहित होने की जानकारी होते हुए भी महिला ने स्वेच्छा से उसके साथ संबंध रखा । इस संबंध में दोनों की सहमति थी, यह स्पष्ट दिखाई देता है । इसलिए सहमति से रखे गए संबंधों को बलात्कार नहीं कह सकते । आपसी सहमति से रिलेशनशिप में रहते हुए ही विवाह के आश्वासन की सत्यता परखनी आवश्यक है । वर्तमान के प्रकरण से ऐसे दिखाई देता है कि दोनों में गत १५ वर्षों से संबंध हैं । आरोपी के विवाह के उपरांत भी दोनों के बीच संबंध कायम रहे । इसलिए ऐसे चरण पर पहले दिए गए आश्वासनों का विचार नहीं कर सकते ।