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रांची (झारखंड) – झारखंड विधानसभा के नए भवन में मुसलमानों को नमाजपठन करने हेतु स्थान देने के झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार के प्रस्ताव के विरुद्ध झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है । इस पर सरकार द्वारा कहा गया है कि इस संदर्भ में ७ सदस्यों की एक समिति स्थापित की गई है । अन्य राज्य की विधानसभाओं में क्या परिस्थिति है ?, इसका अध्ययन कर समिति ३१ जुलाई को हमें ब्योरा प्रस्तुत करेगी ।
१. विशेषत: सरकार का यह प्रस्ताव सितंबर २०२१ में आया था । उस समय इसे विपक्ष की भाजपा सरकार के विरोध करने पर सरकार ने समिति गठित की थी । यह समिति ४५ दिनों मे ब्योरा प्रस्तुत करनेवाली थी; परंतु गत २ वर्ष में पूर्व की समिति का ब्योरा क्या था ? अथवा उस समय क्या हुआ ? वह ब्योरा प्रस्तुत हुआ अथवा नहीं ?, अभी तक यह किसी की भी समझ में नहीं आ सका है । विधानसभा में ४ मुसलमान विधायक हैं; परंतु इनमें किसी ने भी नमाजपठन हेतु भिन्न स्वतंत्र भूमि देने की मांग नहीं की है ।
२. याचिकाकर्ता अजय कुमार मोदी ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार के नियंत्रण में स्थित किसी अहाते में इस प्रकार किसी धर्म की प्रार्थना को सम्मति देना अन्य धर्मियों के मूलभूत अधिकारों हनन है । इससे ‘सर्व धर्म समान’ तत्त्व का भी हनन हो रहा है ।
संपादकीय भूमिकाहिन्दुओं को नामजप, ध्यान आदि धार्मिक कृतियां करने हेतु कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकारी वास्तुओं में कभी भी स्वतंत्र स्थान देने का विचार क्यों नहीं करती ? |